कभी हल्के में लिया था, अब कोरोना के आगे घुटने टेक रहीं अमेरिका और रुस जैसी महाशक्तियां!


न्यूयार्क. दुनिया को तबाह करने पर आमादा कोरोना वायरस से महाशक्तियां भी भयभीत हैं. अब तक जो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन इसको हल्के में ले रहे थे वो भी अब सरेण्डर नजर आ रहे हैं. चीन के बाद दोनों ही देशों ने इसको लेकर सख्ती बरतना शुरु कर दिया है, वहीं हर संभव प्रयास कोरोना के हमले से करने में जुट गए हैं. लेकिन चीन जहां इससे उबरने की ओर से वहीं अमेरिका में हालात अभी और बिगड़ने की प्रबल संभावनाए हैं.

अमेरिका की चिंता इसलिए है कि यहां संक्रमित लोगों की संख्या 1 लाख 90 हजार के पास पहुंच गई है. मरने वालों का आंकड़ा अब तेजी से बढ रहा है और चार हजार से ज्यादा लोगों की अब तक मौत हो चुकी है. अमेरिका ने कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित रहे चीन, इटली, फ्रांस, स्पेन, जर्मनी को भी काफी पीछे छोड़ दिया है.अमेरिका की चिंता इसलिए है कि यहां संक्रमित लोगों की संख्या 1 लाख 90 हजार के पास पहुंच गई है. मरने वालों का आंकड़ा अब तेजी से बढ रहा है और चार हजार से ज्यादा लोगों की अब तक मौत हो चुकी है. अमेरिका ने कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित रहे चीन, इटली, फ्रांस, स्पेन, जर्मनी को भी काफी पीछे छोड़ दिया है.

शुरुआत में ट्रम्प कोरोना को इतना हल्के में ले रहे थे कि इससे निपटने के मामले में खुद को 10 में से 10 नम्बर दे रहे थे. व्हाइट हाउस में आयोजित एक सम्मेलन में तो जब एक पत्रकार ने पूछा कि 'डरे हुए अमेरिकियों के लिए आप क्या संदेश देना चाहेंगे? तो ट्रम्प ने जवाब दिया 'मैँ उन्हे बता रहा हूं कि तुम बेहद घटिया पत्रकार हो'. इतना ही नहीं ऑवर कॉन्फिडेंट ट्रम्प ने कहा था कि 'हाइड्राक्सी क्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन को मिलाकर हमने दवाओं के इतिहास में सबसे बडे गैम चेंजर को इजाद कर लिया है' जबकि खुद अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग ट्रम्प को ऐसी गलतियों से बचने के लिए कह रहा था. लेकिन खुद का अति आत्मविश्वास दिखाने के चक्कर में ऐसा लग रहा था माना जो मन में आया बोल रहे थे.

हालात यह है कि दुनियाभर के लोगों से खचाखच सराबोर दिखाई देने वाला न्यूयार्क का वो टाइम्स स्क्वायर जिसे लोग देखने को तरसते थे अब वही टाइम्स स्क्वायर लोग देखने को तरस रहा है. ऐसे में अब महाशक्ति अमेरिका को कोरोना ने जकड़ लिया है तो ट्रम्प के बयान बिल्कुल उलट, और कोरोना के आगे सरेण्डर नजर आ रहे हैं.

अब खुद डोनाल्ड ट्रम्प कह रहे हैं कि 'आने वाले दो सप्ताह में मृत्यु दर के चरम पर पहुंचने की आशंका है. पहले ही कई लोगों की मौत हो चुकी है. मैं पिछले सप्ताह से टीवी चैनल्स पर देख रहा हूं. हर तरफ लाशें ही लाशें दिखाई दे रही हैं, मैं ऐसी चीजें देख रहा हूं जो पहले कभी नहीं देखीं. यदि हम एक लाख तक भी लोगों की मौतों को थाम लेते हैं तो गनीमत होगी.' और तो और कोरोना के मामले में दुनिया का नंबर वन हॉटस्पॉट बनने, अस्पतालों में दवाओं की किल्लत, लगातार बढ़ते मौतों के आंकड़े के बाद के बाद ट्रम्प ने चिंता जताते हुए कहा कि 'अमेरिका के लिए अगले दो हफ्ते बेहद दर्दनाक हैं.' जो ट्रम्प पहले यह कह रहे थे कि इस्टर (12 अप्रेल 2020) से पहले देश में सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी, चिंता की बात नहीं वही राष्ट्रपति ट्रम्प अब कह रहे हैं कि 'आप कई लोगों को खो देंगे, हो सकता है कि हज़ारों लोग आत्महत्या कर लें. देश में कई तरह की चीजें हो सकती हैं. देश में अस्थिरता हो सकती है.' और तो और कोरोना के आगे घुटने टिकाती में महाशक्ति नजर आ रही है. इसलिए ही अमेरिका में आधिकारिक तौर पर कोरोना वायरस को इमर्जेंसी घोषित कर दिया है. 20 साल बाद हेल्थ इमरजेंसी देश में हेल्थ इमर्जेंसी का ऐलान हुआ है. इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देशवासियों को इससे बुरे हालात के लिए तैयार रहने को कहा है. क्योंकि इतनी मौत तो 2001 में 9/11 को हुए आतंकी हमले में भी नहीं हुई थी.

उधर रुस की बात करें तो व्लादिमीर पुतीन इसे रूस में अभी महामारी नहीं मान रहें. और तो और वो इसी बात से संतुष्ट हैं कि यूरोप के दूसरे देशों के मुकाबले उनकी स्थिति अच्छी है. लेकिन जैसे जैसे चीन के बाद जैसे जैसे अमेरिका, इटली, स्पेन, फ्रांस, इरान, ब्रिटेन, स्विजरलैंड जैसे देशों की स्थिति बिगड़ती जा रही है रूस गंभीर नजर आने लगा है. रूस का कोरोना को नजर अंदाज करने वाला रवैया बदल गया है.

अब वो खुद कोरोना के खतरे के चलते लॉकडाउन का फैसला ले चुका है और इसे राष्ट्रपति पुतीन ने एक 'नॉन-वर्किंग वीक' का नाम दिया है. सरकार ने लोगों से घर पर रहने के लिए कहा है. लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. अब तक खुलेआम कोरोना के खौफ से दूर लोगों से हाथ मिलाने वाले राष्ट्रपति पुतिन अब सोशल डिस्टेंसिंग को अपना रहे हैं. इसके पीछे एक बड़ा कारण यह है कि पुतिन कुछ दिनों पहले ही मॉस्को के एक अस्पताल में गए थे जहां वह डेनिस प्रोत्सेंक से मिलकर कोरोना से निपटने की बातचीत करके लौटे थे. प्रोत्सेंक रूस में कोरोना वायरस की लड़ाई में मॉस्को में मुख्य चेहरा रहे हैं और उनको स्थानीय प्रशासन और लोग काफी गंभीरता से लेते हैं लेकिन अब वो खुद कोरोन से संक्रमित हो गए हैं.

हालांकि रुस में करीब 2800 लोग अभी कोरोना से संक्रमित मिले हैं और 24 के करीब मौतें हुई हैं लेकिन जिस तरह से दुनिया में संक्रमण बढ रहा है रूस जैसी महाशक्ति भी इसके आगे सरेण्डर होती नजर आ रही है और अब गंभीरता से बचाव के कदम उठाती नजर आ रही है. बहरहाल देखना होगा दुनियाभर को बर्बाद करने में लगे कोरोना वायरस को यह महाशक्तियां कैसे मिटा पाती हैं लेकिन इससे पहले बडा सवाल इससे बचाव का है.