कोविड काल में इलाज के नाम पर मचाई लूट, जयपुर के धनवंतरी अस्पताल का लाइसेंस निरस्त करने के निर्देश


जयपुर। कोरोना संकटकाल में जब लोगों को अस्पताल एक मंदिर के रूप में और चिकित्सक भगवान के रूप में नजर आ रहे थे, उसी वक्त कई ऐसे अस्पताल संचालक भी थे जिन्होंने लोगों की जान बचाने से ज्यादा अपनी कमाई को बढ़ाने और लोगों के साथ लूट कसोट करने में कोई कमी नहीं छोड़ी। ऐसे ही एक मामले में कोविड—19 की दूसरी लहर के दौरान प्रदेश भर के अस्पतालों में बेड की भारी किल्लत के बीच स्टिंग में मरीजों को लूटते पाए गए जयपुर के धन्वन्तरि हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर का पंजीयन अब निरस्त होगा।

यह मामला राजस्थान पत्रिका के वरिष्ठ संवाददाता विकास जैन ने इससे जुड़े एक स्टिंग को प्रमुखता से उठाया था। प्रमुखता से प्रकाशित होने के बाद गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर चिकित्सा विभाग ने जयपुर जिला कलक्टर और जिला पंजीकरण प्राधिकरण के अध्यक्ष को पंजीयन निरस्त करने करने और जुर्माना लगाने के निर्देश दिए हैं। ​ इस स्टिंग में सामने आया था कि जरूरतमंद मरीज को यहां बेड की किल्लत बताकर एक बेड के 70 हजार रुपए तक मांगे जा रहे हैं।

जांच रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि अस्पताल में कार्यरत डॉ.देवराज तनेजा राजस्थान मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण नहीं होने के बावजूद मरीजों को देखे जाने और जांच करने के दोषी पाए गए हैं। इस मामले में विभाग ने डॉ.तनेजा के खिलाफ राजस्थान मेडिकल काउंसिल एक्ट की धारा 29 के तहत कार्यवाही किया जाना सुनिश्चित करने के निर्देश काउंसिल को दिए हैं।

गौरतलब है यह मामला उजागर होने के बाद निजी अस्पतालों की सोसायटी ने भी अस्पताल की सदस्यता रद्द कर दी थी। इस मामले में जिला प्रशासन ने ही जांच करवाकर रिपोर्ट चिकित्सा विभाग को दी थी। अभी दो—तीन दिन पहले ही विभाग की ओर से इस मामले में एक पत्र आया है। मुझे उसके बारे में अभी अधिक जानकारी नहीं है। इस पर आगे की कार्यवाही करेंगे। विभाग का पत्र मिलने के बाद इस मामले में डॉ.तनेजा की पत्रावली स्वास्थ्य निदेशालय से मांगी है। आगे की कार्यवाही के लिए इसे काउंसिल बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा।