भारत में 64 लाख लोग मई में ही हो चुके थे संक्रमित! ICMR के सीरो सर्वे में बड़ा खुलासा


नई दिल्ली. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने पूरे देश में किए गए सीरो सर्वे (Sero Survey) के पहले दौर के नतीजों का ऐलान किया तो बड़ा हड़कंप मच गया. सर्वे में ना केवल भारत की ग्रामीण आबादी को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए बल्कि यह भी संकेत मिले हैं कि भारत में मई की शुरुआत तक ही 64,68,388 लोगों के कोरोना वायरस संक्रमण के चपेट में ले चुका था.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सर्वेक्षण के निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि भारत में ‘सीरोप्रेवलेंस’ (प्रसार) समग्र रूप से कम था और मई 2020 के मध्य तक केवल 1% व्यस्क आबादी ही सार्स-COV-2 की चपेट में आई थी. गौरतलब है कि कारोना सीरो सर्वे में किसी संक्रमित क्षेत्र में रहने वाले लोगों के खून के सीरम की जांच की जाती है. इस सर्वे में लोगों के शरीर में कोरोना वायरस से लड़ने वाले एंटीबॉडीज की मौजूदगी के साथ ही यह पता चल जाता है कि कौन सा शख्स इस वायरस से संक्रमित था और फिलहाल ठीक हो चुका है.

यह पहले दौर के सर्वे के नतीजे हैं जो कि भारत के 21 राज्यों के 70 जिलों के 700 गांवों और वार्डों में जिसमें 181 शहरी (25.9 %) इलाके शामिल थे वहां 11 मई से 4 जून के बीच किया गया था. इसमें करीब 28,000 लोगों के रक्त के नमूनों की जांच के लिए ‘कोविड कवच एलिसा’ किट का इस्तेमाल किया गया था और इम्यूनोग्लोबिन-जी एंटीबॉडी की जांच की गई थी.

सर्वे में सामने आया कि जब जांच की गई तो इसमें 18 से 45 आयुवर्ग में सबसे अधिक 43.3% एंटीबॉडी पाया गया. 46 से 60 वर्ष के 39.5% लोगों में तो 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले 17.2% लोगों में एंटीबॉडी पाया गया. पहले दौर के नतीजों में यह भी सामने आया कि गांवों में कोरोनो वायरस के संक्रमण की दर 69.4% थी. जबकि शहरी झुग्गियों में यह दर 15.9% और शहरी गैर-मलिन बस्तियों में 14.6% थी.

बता दें सीरोलॉजिकल टेस्ट या सीरो सर्वे दरअसल एक तरीके का ब्लड टेस्ट है, जो व्यक्ति के खून में मौजूद एंटीबॉडी की पहचान करता है. ब्लड में अगर रेड ब्लड सेल को निकाल दिया जाए, तो जो पीला पदार्थ बचता है उसे सीरम कहते हैं. इस सीरम में मौजूद एंटीबॉडीज से अलग-अलग बीमारियों की पहचान के लिए अलग-अलग तरह के सेरोलॉजिक टेस्ट किए जाते हैं. बावजूद इसके सभी तरह के सीरोलॉजिकल टेस्ट में एक बात कॉमन होती है और वो ये कि सभी इम्यून सिस्टम द्वारा बनाए गए प्रोटीन पर फोकस करते हैं. शरीर का यह इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता बाहरी तत्वों द्वारा शरीर पर किए जा रहे आक्रमण को रोक कर आपको बीमार पड़ने से बचाता है.

ऐसे टेस्ट की ज़रूरत इसलिए है ताकि कंटेनमेंट प्लान में बदलाव की कोई गुंजाइश हो या फिर सरकार को अपनी टेस्टिंग की रणनीति में कोई बदलाव लाना हो तो तुंरत किया जा सके. कुल मिला कर कोरोना के फैलने से रोकने के लिए ये टेस्ट जरूरी हैं.