दुनिया के दो महाबलियों की मुलाकात, शी जिनपिंग की भारत यात्रा से जुड़े 10 फैक्ट


तमिलनाडु. भारत और चीन के बीच रिश्तों की नई मिठास देखने को मिली. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दो दिवसीय भारत के दौरे में वो सब देखने को मिला जो पाकिस्तान को नापसंद था और जिस पर दुनिया की नजर थी. भारत ने स्वागत सत्कार में कोई कमी नहीं रखी तो चीन ने भी इस अभिवादन और गर्मजोशी की जमकर तारीफ की. दोनों ही नेताओं ने एक दूसरे को गिफ्ट्स का आदान प्रदान किया.

बडी बात यह रही कि भारत की उन्नति से चिड़ने वाले चीन ने इस बार भारत की बढ़ती शक्ति देख भारत से संबंध मजबूत करने पर ध्यान लगाया. मोदी-जिनपिंग ने महाबलीपुरम के ताज कोव रिजॉर्ट में बैठक भी की. महाबलीपुरम में दोनों देशों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत के ओपनिंग रिमार्क में राष्ट्रपति जिनपिंग ने कहा कि वे भारत की मेहमाननवाजी से अभिभूत हैं, और उन्होंने और चीन से आए उनके सहयोगियों ने इसे महसूस किया है. राष्ट्रपति ने कहा कि ये दौरा उनके और उनके साथियों के लिए यादगार दौरा रहेगा.

क्यों चुना महाबलीपुरम को?

तमिलनाडु में बंगाल की खाड़ी किनारे स्थित महाबलीपुरम शहर चेन्नई से करीब 60 किमी दूर है. इस नगर की स्थापना धार्मिक उद्देश्यों से सातवीं सदी में पल्लव वंश के राजा नरसिंह देव बर्मन ने करवाई थी. महाबलीपुरम का संबंध चीन से भी जुड़ा हुआ है, ऐतिहासिक शोध के मुताबिक महाबलीपुरम से चीनी, फारसी और रोम के प्राचीन सिक्के बड़ी संख्या में मिले हैं. इतिहासकार महाबलीपुरम और चीन का संबंध करीब 2000 साल पुराना बताते हैं. महाबलीपुरम में बड़ी संख्या में चीनी व्यापारी व्यापार करने आते जाते रहते थे. महाबलीपुरम के पास में ही स्थित कांचीपुरम में 7वीं सदी में पल्लव शासन के दौरान चीनी यात्री ह्वेन सांग आए थे. जिन्होंने अपनी किताब में दक्षिण भारत की भव्यता और चीनी संबंधों का वर्णन किया था. यही कारण रहा कि इस जगह का चीन और भारत के बीच ऐतिहासिक महत्व है.

मोदी-जिनपिंग मुलाकात की 10 अहम बातें:

1- भारत में मोदी और चीन में जिनपिंग बेहद मजबूत नेता हैं. भारत-चीन सीमा विवाद सुलझाने का यह सबसे सही वक्त कहा जा सकता है. वैश्विक धरातल पर नए सिरे से उबरने के लिए दोनों ही देशों के लिए आपसी संबंध काफी अहम हैं. इस लिहाज से यह यात्रा काफी महत्वपूर्ण रही.

2- दोनों नेताओं की ओर से कोई औपचारिक बयान तो नहीं जारी होना था लेकिन उन्होंने अपने-अपने दिल की बात जरूर देश के सामने रखी. पीएम मोदी ने कहा है कि चीन के साथ मतभेद को झगड़े की वजह नहीं बनने दिया जाएगा. पिछले दो हजार सालों के अधिकांश कालखंड में भारत और चीन दुनिया की प्रमुख आर्थिक शक्तियां रही हैं. अब इस शताब्दी में हम फिर से साथ-साथ उस स्थिति को प्राप्त कर रहे हैं. मतभेद आपसी सहमति से सुलझाएंगे और इसे विवाद नहीं बनने देंगे, एक दूसरे की चिंताओं के बारे में संवेदनशील रहेंगे और हमारे संबंध विश्व में शांति और स्थिरता के कारक होंगे.

3- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि युहान समिट से भारत और चीन के बीच संबंधों में स्थिरता आई है और स्ट्रैटेजिक कम्युनिकेशन भी बढ़ा है. भारत और चीन के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक भी हुई. इस बैठक में भारत की ओर से PM मोदी के अलावा विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी शामिल थे.

4- विदेश मंत्रालय ने इस दौरे को दोनों देशों के लिए बेहद सफल बताया. साथ ही कहा कि भारत और चीन के व्यापारिक संबंधों में भी मजबूती आएगी. इस मुलाकात से एक दिन पहले दोनों देशों की कंपनियों के बीच 129 अहम एमओयू पर करार हुए. जिन अ‍हम एमओयू पर दोनों देशों की कंपनियों ने हस्‍ताक्षर किए उनमें एग्री, मिनरल, टेक्‍सटाइल और फूड प्रोसेसिंग सेक्‍टर शामिल हैं.

5- मानसरोवर यात्रा पर यात्रियों की सुविधा के लिए दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई. पीएम मोदी ने चीनी राष्ट्रपति के सामने मानसरोवर यात्रियों की सुविधा के लिए जरुरी बातें रखीं, इसके अलावा तमिलनाडु और चीन के फुजियान राज्य के बीच संबंध बढ़ाने पर भी चर्चा हुई.

6- आतंकवाद और कट्टरपंथ की चुनौतियों पर चर्चा की गई. राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस बात पर सहमत थे कि मौजूदा दुनिया में आतंकवाद और कट्टरपंथ की चुनौतियों से निपटना जरूरी है. दोनों नेताओं ने कहा कि भारत और चीन न सिर्फ क्षेत्र आबादी के लिहाज से बड़े है, बल्कि विविधता के हिसाब से भी दोनों देश बड़े हैं.

7- कश्मीर पर चीन के साथ कोई चर्चा नहीं की गई. विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि भारत बहुत पहले स्पष्ट कर चुका है कि कश्मीर भारत का आंतरिक मसला है. ऐसे में मुलाकात के दौरान इस पर कोई चर्चा नहीं हुई. हालांकि दोनों देशों ने वैश्विक आतंकवाद और इससे पैदा होने वाले खतरे पर चर्चा की.

8- शी जिनपिंग ने पीएम मोदी को चीन आने का न्यौता दिया. पीएम नरेंद्र मोदी ने न्यौता स्वीकार किया. वे अगले साल चीन के दौरे पर जा सकते हैं.

9- चीन कारोबारी रिश्तों को नई ऊंचाई पर ले जाने को गंभीर है. दोनों देशों के राष्ट्रध्यक्षों के बीच लगभग 90 मिनट की बातचीत में रक्षा, व्यापार, निवेश, कैलाश मानसरोवर यात्रा, आईटी और दवा क्षेत्र पर बात हुई.

10- चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा है कि वे भारत में मिले सम्मान से अभिभूत हैं. महाबलीपुरम में दोनों देशों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत के ओपनिंग रिमार्क में राष्ट्रपति जिनपिंग ने कहा कि वे भारत की मेहमाननवाजी से अभिभूत हैं. उन्होंने और चीन से आए उनके सहयोगियों ने इसे महसूस किया है.राष्ट्रपति ने कहा कि ये दौरा उनके और उनके साथियों के लिए यादगार दौरा रहेगा. अनौपचारिक बातचीत से रिश्तों में नई गर्माहट आई है.