राजस्थान में राज्यसभा की 4 सीटों पर रोचक मुकाबला, लेकिन ऐसी कठिन गणित बैठने पर ही जीत सकते हैं निर्दलीय सुभाष चंद्रा


जयपुर. राजस्थान के रण में राज्यसभा की 4 सीटों पर मुकाबला रोचक हो गया है। जहां मंगलवार को कांग्रेस की ओर से मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला और प्रमोद तिवारी ने नामांकन भरा वहीं BJP से घनश्याम तिवाड़ी और बिजनेसमैन सुभाष चंद्रा ने BJP समर्थित उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरा। हालांकि कांग्रेस नेता और कई राजनीतिक विश्लेषक सुभाष चंद्रा की एंट्री पर हेरान हैं। उनका मानना है कि एक बड़े बिजनेसमैन ने ऐसा क्या गणित बैठा लिया जो आंकड़े पक्ष में नहीं होने के बावजूद मैदान में आ गए। पर सुभाष चंद्रा का आत्मविश्वास और उनके नामांकन के बाद दिए बयान ने कांग्रेस की नींद जरूर उड़ा रखी है। 

वहीं सुभाष चंद्रा ने नामांकन के बाद जीत का दावा किया है। और कहा कि मैंने चुनाव लड़ने से पहले निर्दलीयों से बात की है। पहले बीजेपी के आलाकमान से इजाजत ली , फिर निर्दलीयों से बातचीत करके ही चुनाव मैदान में उतरा हूं। मैं बाहरी नहीं, राजस्थान का जाया जन्मा हूं। 

गौर करने वाली बात यह है कि घनश्याम तिवाड़ी ने बीजेपी और सुभाष चंद्रा ने बीजेपी समर्थक निर्दलीय के तौर पर नामांकन दाखिल किया है यानी बीजेपी के एक तरह से दूसरे उम्मीदवार के तौर पर सुभाष चंद्रा मैदान में हैं क्योंकि उनके प्रस्तावक नरपत सिंह राजवी, वासुदेव देवनानी, अनिता भदेल बने हैं।

अब यदि सुभाष चंद्रा से जुड़ी गणित की बात की जाए तो बता दें कि एक सीट जीतने के लिए 41 विधायकों के वोट चाहिए। जबकि BJP के पास कुल 71 विधायक हैं। ऐसे में बीजेपी को दो उम्मीदवारों के लिए 82 वोट चाहिए। यदि पहला वोट 41 घनश्याम तिवाड़ी को जाता है तो बचे हुए 30 वोटों से काम नहीं चलने वाला। BJP समर्थक दूसरे उम्मीदवार को जीतने के लिए 11 वोट कम पड़ जाएंगे।

आरएलपी के 3 विधायकों का सपोर्ट BJP को मिलता है तो भी बीजेपी के पास कुल 82 के मुकाबले संख्या 74 ही रह पाएगी। फिर भी दूसरे उम्मीदवार के लिए 8 वोटों की कमी होगी। इस बीच कांग्रेसी खेमे में सेंध लगाकर आठ वोट का प्रबंध करने पर ही BJP समर्थक दूसरा उम्मीदवार जीत सकता है। और यह लोहे के चने चबाने जैसा है। यह कोई आसान टास्क नहीं है। और यदि इस टास्क को बीजेपी या सुभाष चंद्रा पूरा कर लेते हैं तो पूरे देश की राजनीतिक में सुभाष चंद्रा का एक अलग कद देखने को मिलेगा। पर यह सब आसान नहीं है। क्योंकि कांग्रेसी और निर्दलीय खेमे से इतनी बड़ी संख्या में विधायकों के वोट तोड़ने में बीजेपी  या सुभाष चंद्रा कामयाब होंगे यह आसान नजर नहीं आ रहा है।

उधर कांग्रेस के पास 108 खुद के, 13 निर्दलीय,  2 सीपीएम, 1 आरएलडी, और 2 बीटीपी विधायकों को मिलाकर 126 विधायकों के समर्थन का दावा ठोका जा रहा है। ऐसे में मुकाबला देखने लायक बन गया है। 

इन सबके बीच राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के तीनों ही उम्मीदवारों की जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कांग्रेस के तीनों उम्मीदवारों ने नामांकन कर दिए हैं। हमारे तीनों उम्मीदवार चुनाव जीतेंगे। बीजेपी को सुभाष चंद्रा का नामांकन दाखिल करवाना महंगा पड़ेगा।