नई दिल्ली. फरवरी माह के पहले दिन भारत देश का केन्द्रीय बजट पेश होगा. बजट को लेकर उम्मीदें, आशाएं और शंकाएं सब का एक मिश्रण आवाम के जहन में देखने को मिल रहा है. सबसे बड़ी बात है बेरोजगारी, मंदी और ठप हो चुके व्यापार, उद्वोग धंधों के बीच हर माह वेतन पाने वाले लोगों में चिंताएं सबसे ज्यादा देखने को मिल रही है.
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बाद भारत में मोदी सरकार मौजूदा 3 टैक्स स्लैब की जगह 4 टैक्स स्लैब ला सकती है. इन चार स्लैब को लेकर हर कोई अपने अपने मायने निकाल रहा है. इस मामले में बनी टास्क फोर्स ने अगस्त, 2019 में अपनी रिपोर्ट केन्द्र सरकार को पेश करते हुए 4 टैक्स स्लैब के सुझाव दिए थे जिसमें 2.5 से 10 लाख रुपये के बीच सालाना आय वालों के लिए 10% टैक्स रेट प्रस्तावित की गई. इसके साथ ही 10 लाख से लेकर 20 लाख रुपये के बीच आय वालों के लिए 20% और 20 लाख से 2 करोड़ रुपये की आय वालों के लिए 30% टैक्स का प्रस्ताव लाया जा सकता है.
इसके अलावा जो लोग साल में 2 करोड़ रुपये से अधिक की आय वाले हैं उनके लिए 35% टैक्स दर तय करना प्रस्तावित है.
1- 2.5 लाख से 10 लाख- 10%
2- 10 लाख से 20लाख- 20%
3- 20 लाख से 2 करोड़- 30%
4- 2 करोड़ से अधिक आय- 35%
हालांकि बजट कैसा होगा, वित्त मंत्री के पिटारे में आपके लिए कैसा बजट है यह 1 फरवरी को साफ हो जाएगा लेकिन मंदी, बेरोजगारी के इस दौर में इनकम टैक्स में राहत जरुरत आवाम चाहेगी.
ऐसा नहीं है कि इस बार ही इनकम टैक्स में बदलाव की तैयार है इससे पहले भी कई तरह के बदलाव हुए. इस बीच आइए जानते हैं पिछले 10 सालों में इनकम टैक्स स्लैब, सरचार्ज और इनकम टैक्स छूट आदि में काफी बदलाव आया है. हममें से कई लोग ऐसे हैं जो नहीं जानते या याद नहीं होगा कि पिछले 10 (TEN) बजट में क्या क्या हुआ इनकम टैक्स के मामले में. कई ऐसे सवाल होंगे जो आपके जहन में होंगे. आइए जानते हैं भारत सरकार के पिछले 10 (TEN) बजट में क्या हुआ इनकम टैक्स को लेकर.
- पुरुष करदाताओं के लिए बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट यानी आयकर छूट की बुनियादी सीमा 1.6 लाख रुपये थी. महिलाओं के लिए इनकम टैक्स छूट की बुनियादी सीमा 1.9 लाख रुपये और वरिष्ठ नागरिकों के लिए 2.4 लाख रुपये सालाना थी.
- पर्सनल इनकम पर 10% सरचार्ज की व्यवस्था इस साल खत्म कर दी गई.
- टैक्स स्लैब में बदलाव करते हुए 5 लाख रुपये तक की सालाना कर योग्य इनकम पर 10%, 8 लाख रुपये सालाना तक की टैक्सेबल इनकम पर 20%, 8 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30% की दर से इनकम टैक्स लगाया गया.
- इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80CCF के तहत इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड में 20,000 रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट की सुविधा दी गयी.
- इस वर्ष फिर से इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव किया गया. पुरुष करदाताओं के लिए बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट यानी इनकम टैक्स छूट की बुनियादी सीमा 1.8 लाख रुपये और महिलाओं के लिए इनकम टैक्स छूट की बुनियादी सीमा 1.9 लाख रुपये की गई. वहीं वरिष्ठ नागरिकों के इसे 2.5 लाख रुपये सालाना किया गया.
- वरिष्ठ नागरिकों से जुड़ी छूट पाने के लिए उम्र की सीमा घटाकर 60 साल की गई. इसके अलावा इनकम टैक्स कानून में सुपर सीनियर सिटीजन यानी वरिष्ठतम नागरिक की कैटेगरी शुरूआत हुई.
- इस बजट में आम करदाताओं के लिए बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट यानी इनकम टैक्स छूट की बुनियादी सीमा बढ़ाकर 2 लाख रुपये की गयी. महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए इनकम टैक्स लिमिट में कोई बदलाव नहीं हुआ, ना ही अलग से इनकम टैक्स में कोई राहत दी गई.
- बैंक से ब्याज पर कमाई के रूप में 10,000 रुपये तक की रकम पर इनकम टैक्स कानून के तहत छूट की व्यवस्था की गयी.
- धनाड्य लोगों पर बजट में सरचार्ज के रूप में बड़ा टैक्स लगाया गया. एक करोड़ रुपये से अधिक की सालाना आमदनी पर 10 फीसदी सरचार्ज लगाया गया.
- इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80CCF के तहत इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड में 20,000 रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट की सुविधा वापस ली गई वहीं 5 लाख रुपये तक की आमदनी पर टैक्स में 2000 रुपये की छूट का प्रावधान किया गया.
- मोदी सरकार ने देश में जबरदस्त जीत के बाद अपना पहला बजट पेश किया. इनकम टैक्स में छूट की सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख की गई. वरिष्ठ नागरिकों के लिए जहां यह सीमा 2.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख हुई वहीं 80 साल या ऊपर आयु के वरिष्ठतम नागरिकों के लिए टैक्स में छूट की सीमा 5 लाख रूपये ही रखी गई, कोई बदलाव नहीं किया गया.
- 80C के तहत मिलने वाली छूट की सीमा 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख की गई, होम लोन के लिए यह सीमा 1.5 लाख से 2 लाख हुई.
- कर छूट के लिए स्वास्थ्य बीमा की लिमिट 5,000 से 25,000 रुपये की गई.
- वरिष्ठ नागरिकों के लिए 20,000 से बढ़ाकर 30,000 कर दी गई.
- इस बजट में परिवहन भत्ता छूट 800 रुपये से बढ़ाकर 1,600 रुपये मासिक की गई.
- 80 CCD के तहत NPS में निवेश पर 50,000 रुपये की अतिरिक्त छूट की घोषणा हुई और वहीं 1 करोड़ से ऊपर की आय पर सरचार्ज 10% से 12% किया गया.
- जिनकी सलाना कमाई 5 लाख से अधिक थी उनके लिए 87A में मिलने वाली कर छूट 2,000 से बढ़ाकर 5,000 रुपये की गई.
- 80GG के तहत मकान किराए पर मिलने वाले कर छूट को 24,000 से बढ़ाकर 60,000 रुपये सलाना किया गया.
- इस साल भी 1 करोड़ सलाना कमाई करने वालों पर सरचार्ज और बढ़ाकर इसे 12% से 15% कर दिया गया.
- मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के इस पांचवे बजट में परिवहन भत्ते में मौजूदा छूट के बदले 40,000 रुपये की मानक कटौती के साथ विविध चिकित्सा खर्चों की प्रतिपूर्ति की अनुमति दी गई.
- सीनियर सिटिजन के लिए मेडिकल खर्च की सीमा 30,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये की गई तो बैंक, वरिष्ठ नागरिकों के लिए पोस्ट ऑफिस में जमा राशि पर मिलने वाले ब्याज पर छूट की सीमा 10,000 से बढ़ाकर 50,000 कर हुई.
- गरीब और ग्रामीण परिवारों की शिक्षा-स्वास्थ्य जरुरतों को पूरा करने के लिहाज से व्यक्तिगत आयकर और कॉर्पोरेट कर पर मौजूदा 3% शिक्षा उपकर को 'स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर' से बदलकर 4% करने का प्रस्ताव रखा गया.
- 1 लाख से अधिक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स 10% किया गया.
- चुनावी साल होने के कारण यह अंतरिम बजट रहा. बजट में मध्यम वर्ग को इनकम टैक्स में बड़ी राहत देते हुए 5 लाख तक की आय को करमुक्त किया गया.
- टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया और वेतनभोगियों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन 40000 से बढ़ाकर 50000 किया गया. मानक कटौती में 10,000 रुपये की वृद्धि के परिणामस्वरूप 30% टैक्स ब्रैकेट (अधिभार और उपकर को छोड़कर) में व्यक्तियों के लिए रु. 3,000 की कर बचत हुई.
- इस अंतरिम बजट के बाद नई सरकार फिर से भाजपा की बनी और 'Modi 2.0' सरकार में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पूर्ण बजट पेश किया जिसमें कर ढांचे में कोई बदलाव नहीं किया गया.