क्यों है भारत का भविष्य खतरे में? जानें ICMR की रिपोर्ट के 10 चौंकाने वाले फैक्ट


नई दिल्ली (विपुल शर्मा). मोदी सरकार के कुपोषण मुक्त भारत के सपने को पूरा करने के लिए उठाए गए कदम को बडा झटका लगा है. कुपोषण भारत छोडो की बात भले ही हम सब कर रहे हों लेकिन भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की हाल में जारी रिपोर्ट पर नजर डालें तो स्थितियां आज भी भयावह ही नजर आती हैं. देश का भविष्य कुपोषण का शिकार है. सरकार अपने स्तर पर कोई कमी नहीं छोड रही लेकिन सालाना सात लाख से ज्यादा बच्चों की मौत का कारण आज भी भारत में कुपोषण है. कुपोषण को लेकर राज्यों के स्तर पर पहली बार आईसीएमआर ने इस तरह का अध्ययन किया है. वर्ष 1990 से लेकर 2017 तक के हालातों पर किए इस अध्ययन के अनुसार, उत्तर प्रदेश में प्रति एक लाख में से 60 हजार बच्चों का जीवन गंभीर चुनौतियों से घिरा हुआ है. इस गंभीर श्रेणी में राजस्थान, बिहार और असम को भी रखा है. 54 फीसदी महिलाओं में खून की कमी है. इनमें सबसे ज्यादा हरियाणा में 65 फीसदी और सबसे कम मिजोरम में 28 फीसदी है.

10 फैक्ट से समझें पूरी रिपोर्ट के नतीजे:

1- देश में सालाना करीब 14 लाख बच्चों की मौत हो रही है जिसमें 7 लाख से ज्यादा मौतों का कारण कुपोषण है. पांच वर्ष तक की आयु के ज्यादातर बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. करीब 50 फीसदी से ज्यादा मौत का कारण कुपोषण है.

2- तेलंगाना और दिल्ली के बच्चे ज्यादा मोटे हैं. तेलंगाना में प्रति 100 बच्चों में 23.2 बच्चे, दिल्ली में 23.1, गोवा में 22.3, राजस्थान में 10, छत्तीसगढ़ में 9.9, झारखंड में 8.6, मध्य प्रदेश में 8.2, बिहार में 6.8, हिमाचल प्रदेश में 18.5, पंजाब में 12.1, हरियाणा में 14.4, गुजरात में 13.1 और महाराष्ट्र में 14.9% बच्चे मोटापे के शिकार हैं. यह भी एक तरह का कुपोषण है.

3- उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान की स्थिति सबसे ज्यादा भयावह है. असम, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ, ओडिसा, नागालैण्ड, त्रिपुरा में भी हालात अच्छे नहीं हैं.

4- देश में करीब 60 फीसदी बच्चे और 54.40 प्रतिशत महिलाएं एनिमिया के शिकार हैं.

5- भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में दिल्ली की महिलाओं में सबसे ज्यादा एनीमिया की समस्या पाई जाती है.

6- नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल के मुताबिक देश में काफी बच्चे प्री डायबिटिक मिल रहे हैं. 10 से 19 वर्ष की आयु के बीच करीब नौ फीसदी बच्चे प्री डायबिटिक हैं.

7- 1990 में भारत में कुपोषण की वजह से होने वाली मौत की दर प्रति एक लाख पर 2,336 थी जो कि वर्ष 2017 में घटकर 801 पर रही.

8- कुपोषित 54.9 फीसदी नवजात गंभीर रोगों की चपेट में आ रहे हैं.

9- कम वजन वाले करीब 84.7 फीसदी बच्चे संक्रमण, श्वास रोग के​ शिकार हैं. करीब 47 फीसदी का मानसिक व शारीरिक विकास मंद गति से हो रहा है.

10- 39 फीसदी बच्चों की लंबाई जन्म के समय कम होती है. उत्तर प्रदेश में 49फीसदी और सबसे कम गोवा में 21फीसदी बच्चे जरूरत से कम लंबे हैं. 60 फीसदी बच्चों में खून की कमी, सबसे ज्यादा हरियाणा में 74 फीसदी और सबसे कम मिजोरम में 21 फीसदी में कमी पाई जाती है.