अब POK पर कुछ बड़ा करने की तैयारी, 10 फेक्ट से जानें क्या है POK विवाद


नई दिल्लीः अनुच्छेद 370 के बड़े फैसले के बाद अब मोदी सरकार पीओके पर कुछ बड़ा फैसला ले सकती है. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करना सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि बताई. साथ ही साफ किया कि अगला एजेंडा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा बनाना है. जितेन्द्र सिंह के इस बयान के बाद पाकिस्तान में खलबली मची है तो दुनियाभर की नजरें भारत पर हैं. पीएम मोदी और अमित शाह के बाद मंत्री जितेन्द्र सिंह ने इस बात को दौहरा कर साफ कर दिया है कि अब पीओके (POK) में कुछ बड़ा होने वाला है. जितेंद्र सिंह ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुद्दे पर कहा 'यह केवल मेरी या मेरी पार्टी की प्रतिबद्धता नहीं है बल्कि यह 1994 में पीवी नरसिंह राव के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा सर्वसम्मति से पारित संकल्प है. यह एक स्वीकार्य रुख है.' धारा 370 के अधिकतर प्रावधान समाप्त करने पर पाकिस्तान की ओर से शुरू किये गए दुष्प्रचार अभियान पर बीजेपी के मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि 'विश्व का रुख भारत के अनुकूल है. कुछ देश जो भारत के रुख से सहमत नहीं थे, अब वे हमारे रुख से सहमत हैं.' गौरतलब है कि भारतीय जम्मू-कश्मीर का वह हिस्सा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर कहलाया, जिस पर 1947 के युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया था.

10 फेक्ट से जानें क्या है POK विवाद-

1- 1947 में आजादी के वक्त अंग्रेजों ने रियासतों को विकल्प दिया था अपनी इच्छानुसार भारत या पाक के साथ जा सकते हैं. उस समय 500 से ज्यादा रियासतों ने भारत में अपना विलय किया, लेकिन कश्मीर महाराजा हरि सिंह ने विलय के लिए पाक की जगह भारत को चुना.

2- यह बात पाक को बुरी लगी. नाराज पाक ने हमला कर कश्मीर को अपने कब्जे में कर लिया. पाक फौज से सुरक्षा के लिए महाराजा हरि सिंह ने भारत से सैन्य मदद मांगी. भारतीय फौज ने कश्मीर पहुंचकर पाक पश्तून लड़ाकों को वहां से मार भगाया.

3- बाद में महाराजा हरिसिंह ने इस दोस्ताना रुख पर भारत साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए.

4- बावजूद इसके 13,300 वर्ग KM के दायरे में पाकिस्तान फिर भी मौजूद रहा, जिसे पाक ने प्रशासनिक तौर पर 2 हिस्सों- आजाद कश्मीर और गिलगिट-बाल्टिस्तान में बांटा. POK पाकिस्तान के कब्जे में है. यहां उसका ही नियंत्रण है. भारतीय कश्मीर से 3 गुना बड़ा है, जहां करीब 40 लाख लोग रहते हैं.

5- पाक अधिकृत कश्मीर का एक बड़ा हिस्सा हुनज़ा गिलगिट, शक्सगाम घाटी और रक्साम है. बाल्टिस्तान के इलाके 1963 में पाकिस्तान ने चीन को सौंपे थे. इस सत्तांतरित इलाके को ट्रांस काराकोरम कहा जाता है.

6- POK की सीमाएं पाक के पंजाब प्रांत, अफगानिस्तान के वखान कॉरीडोर, चीन के शिनजियांग क्षेत्र और भारतीय कश्मीर के पूर्वी क्षेत्र से मिलती हैं.

7- पीओके को लेकर पाकिस्तान की दोहरी नीति साफ नजर आती है. एक तरफ तो वह इसे आजाद कश्मीर कहता है जबकि दूसरी तरफ यहां के प्रशासन और राजनीति में सीधा दखल देकर यहां के सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ने में लगा है. यहां पर बाहरी लोगों को बसा दिया गया है. इतना ही नहीं पीओके का शासन मूलत: इस्लामाबाद से सीधे तौर पर संचालित होता है. दिखावे के लिए आजाद कश्मीर के नाम पर एक प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया गया है, जो इस्लामाबाद का हुक्म मानता है या यों कहें कि इस्लामाबाद के हाथों की कठपुतली है.

8- पा​क अधिकृत कश्मीर की राजधानी मुज़फ्फराबाद है और यहां 8 ज़िले मीरपुर, भीमबर, कोटली, मुज़फ्फराबाद, बाग, नीलम, सूधानोटी और रावलकोट के अलावा 19 तहसीलें और 182 संघीय परिषदें हैं.

9- भारत का आरोप है कि पाकिस्नान ने पाक अधिकृत कश्मीर को भारतीय कश्‍मीर में आतंकवादी फैलाने के लिए एक ट्रेनिंग सेंटर बना दिया है. 1988 से ही पाकिस्तान आतंकवादियों को यहां ट्रेंड कर जम्मू और कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए भेजता है. जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में एक बार उमर अब्दुल्ला ने खुद जानकारी दी थी कि पाक अधिकृत कश्मीर में बड़ी संख्या में आतंकी ट्रेनिंग लेते हैं.

10- संसद के दोनों सदनों ने 22 फरवरी,1994 को ध्वनिमत से पारित एक प्रस्ताव में पीओके पर अपना हक जताते हुए कहा था कि ये भारत का अटूट अंग है. पाकिस्तान को उस भाग को छोड़ना होगा जिस पर उसने कब्जा जमाया हुआ है.