अब ज्वैलर नहीं बेच सकेंगे नकली या कम गुणवत्ता का सोना, आज से गोल्ड पर हॉलमार्क अनिवार्य, जानें 10 बड़ी बातें


नई दिल्ली। देश में सोने और उसके आभूषणों के नाम पर अब घटिया या नकली सोना बेचने वालों की खैर नहीं होगी। आज से देश में सोने के आभूषणों की अनिवार्य हॉलमार्किंग लागू हो गई है। हालांकि जिनका 40 लाख रुपये वार्षिक तक का टर्नओवर है, उनको रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं होगी। पोल्की मीना, कुंदन, जड़ाऊ ज्वैलरी और घड़ी को हॉल मार्किंग से बाहर रखा गया है।

अभी गोल्ड हॉलमार्किंग लागू करने में अगस्त के अंत तक कोई जुर्माना नहीं लगेगा। सोने के आभूषणों का अनिवार्य हॉलमार्क प्रमाणीकरण ग्राहकों और कारोबार दोनों के लिए अच्छा कदम कहा जा रहा है।

 

10 बड़ी बातें


1- प्रारंभ में हॉलमार्किंग देश के 256 जिलों से शुरू की गई है, जहां जांच करने वाले मार्किंग सेंटर हैं।

2- 40 लाख रुपये तक के सालाना टर्नओवर वाले ज्वैलर्स को अनिवार्य हॉल मार्किंग से अभी छूट दी गई है।

3- भारत सरकार की व्यापार नीति के अनुसार आभूषणों का निर्यात और पुन: आयात- अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों के लिए आभूषणों, सरकार द्वारा अनुमोदित बी2बी घरेलू प्रदर्शनियों के लिए आभूषणों को अनिवार्य हॉलमार्किंग से छूट दी गई है।

4- अतिरिक्त 20, 23 और 24 कैरेट के सोने के लिये हॉल मार्किंग की भी अनुमति है।

5- घड़ियाँ, फाउंटेन पेन और विशेष प्रकार के आभूषण जैसे कुंदन, पोल्की और जड़ाऊ को हॉलमार्किंग से छूट है।

6- ज्वैलर्स उपभोक्ता से बिना हॉलमार्क वाले पुराने सोने के आभूषण वापस खरीदना जारी रख सकते हैं।

7- गोल्ड ज्वैलरी के विनिर्माताओं, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं को पर्याप्त समय देने के लिए अगस्त अंत तक कोई जुर्माना नहीं लगेगा।

8- यदि ज्वैलर द्वारा संभव हो तो पुराने आभूषणों को जैसे हैं उसी रूप में, या फिर पिघलाने के बाद नई ज्वैलरी बनाकर हॉलमार्क किया जा सकता है।

9- योजना के क्रियान्वयन के दौरान सामने आने वाले संभावित मुद्दों पर गौर करने के लिए सभी हितधारकों, राजस्व अधिकारियों और कानूनी विशेषज्ञों के प्रतिनिधियों की एक समिति गठित की जायेगी।

10- भारतीय मानक ब्यूरो की हॉलमार्किंग योजना के तहत, ज्वैलर्स हॉलमार्क वाले आभूषण बेचने और जांच और हॉलमार्किंग केंद्रों की पहचान के लिये पंजीकृत हैं। बीआईएस (हॉलमार्किंग) अधिनियम, 14.06.2018 को लागू हुआ था। हॉलमार्किंग उपभोक्ताओं/आभूषण खरीदारों को सही विकल्प चुनने में सक्षम बनायेगी और उन्हें सोना खरीदते समय किसी भी अनावश्यक भ्रम से बचाने में मदद करेगी। वर्तमान में, केवल 30% भारतीय स्वर्ण आभूषण हॉलमार्क हैं।


बता दें कि आभूषणों/कलाकृतियों की हॉलमार्किंग सोने की बतायी गयी शुद्धता/उत्कृष्टता पर तीसरे पक्ष के आश्वासन के जरिये सोने के आभूषणों की विश्वसनीयता और ग्राहकों की संतुष्टि को बढ़ाने के लिये आवश्यक है। यह कदम भारत को विश्व में एक प्रमुख स्वर्ण बाजार केंद्र के रूप में भी विकसित करने में भी मदद करेगा।

यह ध्यान में रखा जाये कि पिछले पांच वर्षों में एएंडएच केंद्रों में 25 प्रतिशत की बढ़त हुई है। पिछले पांच वर्षों में एएंडएच केंद्रों की संख्या 454 से बढ़कर 945 हो गई है। वर्तमान में 940 परख करने वाले एवं हॉलमार्किंग केंद्र संचालित हैं। इसमें से 84 एएचसी सरकार के द्वारा दी गयी सब्सिडी योजना के तहत विभिन्न जिलों में स्थापित किये गये हैं।

वर्तमान में ए एंड एच सेंटर एक दिन में 1500 आभूषणों को हॉलमार्क कर सकते हैं, ए एंड एच सेंटर की प्रति वर्ष अनुमानित हॉलमार्किंग क्षमता 14 करोड़ वस्तुएं (500 वस्तु प्रति शिफ्ट और 300 कार्य दिवस मानते हुए) है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक, भारत में करीब 4 लाख ज्वैलर्स हैं, इनमें से सिर्फ 35879 ही बीआईएस प्रमाणित हैं।

देश के जाने माने उपभोक्ता मामलों के विशेषज्ञ और राष्ट्रीय उपभोक्ता परिसंघ के अध्यक्ष अनंत शर्मा का कहना है कि 'स्वर्ण आभूषणों में उपभोक्ता के साथ गड़बड़ी की शिकायत आम है, हमारी लंबी लड़ाई के बाद हॉलमार्क का अनिवार्य हुआ है। उम्मीद है कि इससे स्थिति में कुछ सुधार होगा और उपभोक्ताओं को गुणवत्ता पूर्ण सोना मिल सकेगा.'