वाई-20 परामर्श बैठक में वैश्विक शिक्षा सुधारों पर विचार-विमर्श किया गया


नई दिल्ली। 21वीं सदी की इस तेज़ गतिशील दुनिया के संदर्भ में हमें किन शिक्षा सुधारों की ज़रूरत है? इसी प्रश्न का उत्तर तलाशने के लिए युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के सहयोग से आज पुणे में सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी (एसआईयू) में आयोजित चौथी वाई-20 परामर्श बैठक के एक सत्र में विशेषज्ञों और विचारकों द्वारा की गई। 'एजुकेशन फॉर पीस' यूनेस्को इराक में कार्यक्रम प्रबंधक साइमन कुआनी कीर कुआनी ने ज्यादा इंटरैक्टिव और खेल भरी शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। जिसमें खुद के बारे में सोचने की क्षमता और भविष्य में कैसे नेतृत्व किया जाए, ऐसे जीवन कौशल भी शामिल हैं। उनके मुताबिक, शिक्षा का ढांचा सांस्कृतिक रूप से उन्मुख होना चाहिए, जहां संस्कृति से समझौता नहीं किया गया हो, ताकि ये छात्रों को अपनी पृष्ठभूमि से जोड़े रख सके। अर्जेंटीना की युवा शिक्षा अधिवक्ता श्रीमती सोफिया बरमूडेज़ ने शिक्षा के समग्र दृष्टिकोण के बारे में बात की, जहां व्यक्ति नौकरी खोजने की तुलना में अपने शिक्षण के उद्देश्य पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करे। उन्होंने विविध पृष्ठभूमियों के छात्रों के मुताबिक विशेष निर्देशों की आवश्यकता पर बात की। उन्होंने ये मांग की कि संबंधित नेताओं को शिक्षा नीतियां बनाने की प्रक्रिया में छात्रों को भी शामिल करना चाहिए क्योंकि ये नीतियां उन्हीं के विकास का अभिन्न अंग हैं। उन्होंने शिक्षा को एक मूक संकट बताते हुए कहा कि अगर इसमें सुधार के कदम तुरंत नहीं उठाए गए तो उसका नतीजा अगले पांच वर्षों में महसूस किया जाएगा। अर्जेंटीना में यूनेस्को के एसडीजी4यूथ नेटवर्क के श्री उलीसेस ब्रेंगी ने शिक्षा पाठ्यक्रम में हार्ड और सॉफ्ट स्किल दोनों के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के संस्थान इन्फ्रास्ट्रक्चर और फंडिंग से जुड़ी जरूरतों की कमी के कारण अप-टू-डेट हार्ड स्किल्स देने में जूझ रहे हैं, वहीं सॉफ्ट स्किल्स लगभग न के बराबर हैं। उन्होंने प्राचीन मौजूदा शिक्षा ढांचे, पारंपरिक शिक्षण विधियों और उस मौजूदा शिक्षा प्रणाली के बीच भारी अतंर का जिक्र किया जिसमें काम करने के लिए छात्रों की आने वाली पीढ़ी को मदद की जरूरत पड़ेगी।