'हाथ' से ना फिसल जाए सरकार, गहलोत अपने कैम्प के साथ जैसलमेर में, बीजेपी ने पूछा- क्यों दर-दर भटक रहे हो 'सरकार'!


जयपुर. 'अपने ही राज्य में राजस्थान सरकार असुरक्षित दर-दर भटक रही है! यह गहलोत जी का प्रदेश वासियों को स्पष्ट संदेश है, अपनी रक्षा स्वयं करें!' विधायकों की खरीद फरोख्त के मामले में फंसे केन्द्र सरकार के मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने यह ट्वीट उस वक्त किया जब राजस्थान की गहलोत सरकार ने अपने विधायकों की बाड़ेबंदी जयपुर से जैसलमेर कर दी. चूंकि विधानसभा का सत्र 14 अगस्त से शुरु होना है तो पूरे चांस है कि कहीं इतने लम्बे अंतराल में 'हाथ' से विधायक ना फिसल जाएं. मानेसर में पायलट 'कैम्प' किए हुए हैं तो अब जैसलमेर में गहलोत का 'कैम्प' लग गया.

असुरक्षा, आशंका, शक का दौर राजस्थान की राजनीति में इस कदर परवान पर है कि पायलट कैम्प कहां लुका छिपी खेल रहा है कोई थप्पी नहीं कर पा रहा. सरकार के साथ एसओजी, एसीबी भी दिन रात चक्कर खा-खा कर घनचक्कर हो रही है लेकिन ढूंढे विधायक नहीं मिल रहे. ठीक उसी तरह से जब जीतने के बाद नेताओं को ढूंढना मुश्किल हो जाता है. होटल फेयरमोंट की बाडेबंदी से ऊब चुके विधायकों ने उदयपुर, रणथम्भौर, जैसलमेर, जोधपुर सहित राजस्थान के बाहर भी इस बाडेबंदी को ले जाने के सुझाव दिए लेकिन सरकार राजनीतिक आपदा के वक्त कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी तो उन्हें जैसलमेर के सूर्यगढ़ में अभेद सुरक्षा का सपना साकार होते नजर आया और वहीं आलिशान होटल में विधायकों की बाडेबंदी-टू का निर्णय लिया गया.

बड़ी बात यह है कि इलाके के हिस्ट्रीशीटर रहे राजनीतिक दिग्गज और वर्तमान सरकार के मंत्री सालेह मोहम्मद के पिता गाजी फकीर का इस बड़ेबंदी को सफल बनाने में अहम किरदार होगा. गाजी फ़क़ीर जयपुर में भी अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और विधायकों से मिलने गए थे. उनका मकसद राजनितिक अस्थिरता के बीच गहलोत का विश्वास जीतना और शाले मोहम्मद अथवा अमरदीन को पार्टी में अहम ओहदा दिलाना है. अगर गहलोत की सरकार बच जाती है तो गाजी फ़क़ीर का प्रभाव स्पष्ट दिखेगा और राजस्थान की राजनीति में फ़क़ीर की घुसपैठ हो जायेगी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि इस पूरे विधायकों की खरीद फरोख्त मामले को लेकर विधायक काफी दबाव में थे इसलिए कुछ वक्त के लिए उन्हें मानसिक रुप से रिलेक्स होने के लिहाज से जैसलमेर जाने का मन था तो वहां शिफ्ट किया गया है. मैं और मंत्री लगातार जयपुर में जनता की सेवा में समर्पित हैं और जैसलमेर भी आना जाना रहेगा. बीजेपी अपने षड्यंत्र में कामयाब नहीं हो पाएगी.

उधर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने सरकार को आडे हाथों लेते हुए पूछा कि'जैसलमेर से आगे विधायकों को कहां ले जायेंगे अशोक गहलोत? आगे तो पाकिस्तान है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भाजपा को दोष क्यों देते हैं, सरकार गिर रही है तो बचाना हमारी जिम्मेदारी है क्या. किसानों का कर्जा तो माफ किया नहीं, मुख्यमंत्री विधायकों को पीपा दे दें ताकि टिड्डी भगाने के काम आयेंगे.

निक्कर पहनने से लेकर निक्कर उतारने जैसे बयानों से राजस्थान की सियासत शर्मिदंगी के दौर से भले ही गुजर रही हो लेकिन स्वाभिमान की लडाई ऐसी है कि कोई बोल्ड नहीं होना चाहता. हालात यह हो चले हैं कि सरकार COVID-19 से मुकाबला कर रही है या MLA-19 से कोई समझ नहीं पा रहा. जानकार बताते हैं कि गहलोत अपने राजनीतिक कार्यकाल में सबसे ज्यादा परेशान इसी वक्त हैं. क्योंकि लडाई विपक्षी पार्टी के साथ साथ अपनी ही पार्टी के लोगों से है. बहरहाल देखना होगा अभी जो असली पिक्चर बाकी है उसका क्लाइमेक्स क्या होता है.