ACB प्रकरण में पूर्व IAS उमराव सालोदिया को जेल


जयपुर. राजस्थान से एक बड़ी खबर आई है. जयपुर के नींदड़ क्षेत्र में 78 बीघा जमीन से जुड़े प्रकरण में पूर्व आईएएस उमराव सालोदिया को जेल भेज दिया गया है.ACB ने सालोदिया प्रकरण में चालान पेश किया और इस दौरान खुद सालोदिया भी मौजूद रहे, लेकिन कोर्ट ने सालोदिया को जमानत देने के बजाए 6 सितंबर तक जेल भेजने के आदेश दिए. सालोदिया पर यह आरोप तब के हैं जब वो रेवेन्यू बोर्ड में चेयरमैन के पद पर थे. आरोप है कि सोलादिया की मिलीभगत से ही इस करोड़ों की जमीन का नामांतरण खोला गया था. ACB ने उमराव सालोदिया को धारा 120(बी) का आरोपी बनाते हुए जांच की और उनको दोषी माना. हम आपको बता दें कि यह वही सालोदिया हैं जिन्होने 2019 के लोकसभा चुनाव में जयपुर सीट से बसपा की टिकट पर चुनाव लड़ा था और बुरी तरह से चुनाव हार गए थे. इससे पहले लम्बे समय राजस्थान में आईएएस के पद पर सेवाएं दी लेकिन सीनियर होने के बावजूद मुख्य सचिव नहीं बनाने से खुद को आहत बताते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) का पद छोड़ते हुए सालोदिया ने धर्म तक परिवर्तन कर लिया था. उमराव सालोदिया ने खुद को पीड़ित दलित बताते हुए धर्म परिवर्तन करने की घोषणा कर दी थी, जिसकी जानकारी उनके घरवालों को भी मीडिया के जरिए मिली थी. उन्होंने सर्विस पूरी होने से 6 महीने पहले ही स्वैच्छिक रिटायरमेंट लेने का एलान भी कर दिया था और सीएम को लेटर लिखकर नाराजगी भी जताई थी.

क्या है पूरा प्रकरण-

गौरतलब है कि आमेर तहसील में हरमाड़ा के पास इस 78 बीघा जमीन का नामांतरण खोलने के मामले में एसीबी ने पूर्व आईएएस उमराव सालोदिया, तत्कालीन आरएएस हरिशंकर भारद्वाज सहित 6 लोगों को दोषी मानते हुए एसीबी कोर्ट-प्रथम में चार्जशीट दाखिल की थी. हालांकि, जज ने इसमें तकनीकी कमियां बताते हुए फाइल को वापस एसीबी को लौटा दी थी लेकिन खामियां दूर कर फिर से चार्जशीट दाखिल की गई थी. सालोदिया और भारद्वाज के अलावा तत्कालीन तहसीलदार अरविंद शर्मा, अजमेर के तत्कालीन गिरदावर मक्खन लाल मीणा, नींदड़ के तत्कालीन हल्का पटवारी नारायण लाल यादव और बनीपार्क निवासी रणवीर सिंह को दोषी माना गया है. एसीबी ने मामले की जांच में नींदड़ आमेर की कृषि भूमि आराजी संख्या 3392, 3398, 3399, 3400, 3401, 3505 रकबा लगभग 78 बीघा जमीन को वर्ष 1954 से पहले प्रार्थी नानगराम शर्मा व अन्य खातेदारों के बुजुर्गों के समय से पहले बिना बाधा के लगातार काश्त करना पाया. आमेर के नींदड़ गांव निवासी नानकराम शर्मा ने सितंबर 2012 में एसीबी में मामला दर्ज करवाया था. आरोप लगाए गए थे कि वर्ष 1954 से पहले नानगराम और अन्य खातेदारों को ठिकाना नींदड़ के जागीरदार सुरेंद्र सिंह ने नजराना लेकर वर्ष 1954 में पट्टा जारी किया. सुरेंद्र सिंह के बेटे रणवीर सिंह ने 2001 में आमेर एसडीओ को नानगराम व अन्य लोगों के नामांतरण निरस्त करने हेतु अपील की. यहां प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया गया. इसके बाद रणवीर ने संभागीय आयुक्त न्यायालय द्वितीय में अपील की. वहां से मामले को एसडीओ आमेर के पास भेज दिया गया. रणवीर सिंह ने संभागीय आयुक्त और एसडीओ आमेर के निर्णय को राजस्व मंडल अजमेर में पेश किया. अजमेर में राजस्व मंडल सदस्य हरिशंकर भारद्वाज ने मामले को सुनकर फैसला नहीं दिया. नानकराम ने इसकी शिकायत तत्कालीन राजस्व मंडल के चेयरमैन उमराव सालोदिया से शिकायत की. उन्होंने भी मामले में कोई सुनवाई नहीं की. इसके बाद तत्कालीन राजस्व सदस्य रविशंकर भारद्वाज ने 17 जुलाई 2012 को रणवीर सिंह के पक्ष में निर्णय कर दिया. गलत निर्णय करने पर नानगराम ने 6 सितंबर 2012 को एसीबी में मामला दर्ज करवाया था. 50 साल पुरानी खातेदारी में गलत नामांतरण खुलने का मामला तत्कालीन मुख्यमंत्री के पास भी पहुंचा. सीएमओ के दखल पर तत्कालीन कलेक्टर नवीन महाजन ने अरविंद शर्मा, मक्खन लाल मीणा और नारायण लाल यादव को एपीओ किया था.