भारत में ई-सिगरेट को किया पूरी तरह से बैन, जानें जानलेवा ई-सिगरेट से जुड़े 10 बड़े फैक्ट


नई दिल्ली. भारत सरकार ने देश में ई-सिगरेट को पूरी तरह से बैन कर दिया है. केन्द्रीय कैबिनेट ने फैसला लेते हुए माना यह देश के युवाओं के लिए काफी खतरनाक और जानलेवा लत साबित हो रही थी. फैसले के साथ ही साफ कर दिया गया कि ई-सिगरेट को बनाना, आयात या निर्यात करना, बिक्री, वितरण, स्‍टोर करना और विज्ञापन करना सब कुछ प्रतिबंध होगा. बीते अगस्त में ई-सिगरेट निषेध अध्यादेश, 2019 प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश के बाद एक जीओएम (GoM) को भेजा गया था. 'ई-सिगरेट ऑर्डिनेंस 2019' में मंत्रियों के समूह ने इसके गंभीर परिणामों पर मंथन किया था. ऑर्डिनेंस के ड्रॉफ्ट में स्‍वास्‍थ मंत्रालय ने प्रस्‍ताव दिया था कि पहली बार कानून का उल्‍लंघन करने वालों पर एक लाख रुपये का जुर्माना और एक साल की सजा का प्रावधान हो. जिसके बाद यह निर्णय लिया गया. लंबे समय तक ई-सिगरेट का सेवन करना बहुत ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है. ब्लड क्लॉट की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है. ई-सिगरेट में निकोटीन की मात्रा ज्यादा होती है और सिगरेट के समान इसमें से भी टॉक्सिक कंपाउंड निकलते हैं. ऐसा कहा जाता है कि निकोटीन के कारण हमारा ब्लड प्रेशर सामान्य से काफी ज्यादा बढ़ जाता है.

 

क्या है ई-सिगरेट:

यह एक बैटरी-चालित डिवाइस होती है, जो तम्बाकू या गैर-तम्बाकू पदार्थों की भाप को सांस के साथ भीतर ले जाती है. ज्यादातर स्मोकर ई-सिगरेट या इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट को सामान्य सिगरेट, बीड़ी और सिगार जैसे धूम्रपान के लिए प्रयोग किए जाने वाले तम्बाकू उत्पादों के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता है . यह तम्बाकू जैसा स्वाद और एहसास देती है, जबकि वास्तव में इसमें कोई धुआं नहीं होता है. ई-सिगरेट एक ट्यूब के आकार में होती है, और इनका बाहरी रूप सिगरेट और सिगार जैसा ही बनाया जाता है.

 

ई-सिगरेट से जुड़े 10 बड़े फैक्ट:

 

1- 2003 में एक चीनी फार्मासिस्ट होन लिक ने ई-सिगरेट को ईजाद किया. उनकी कंपनी गोल्डन ड्रैगन होल्डिंग्स ने 2005-2006 में विदेशों में इसकी बिक्री शुरू की और बाद में इसका नाम बदलकर 'रूयान' किया, जिसका मतलब होता है धूम्रपान के जैसा.

 

2- ई-सिगरेट सेवन से डिप्रेशन की संभावना दोगुनी हो जाती है.

 

3- एक शोध के मुताबिक जो लोग ई सिगरेट का सेवन करते हैं, उन्हें हार्ट अटैक का खतरा 56 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. वहीं लंबे समय तक इसका सेवन करने से ब्लड क्लॉट की समस्या भी उत्पन्न कर सकता है. निकोटीन की मात्रा ज्यादा होती है और सिगरेट के समान इसमें से भी टॉक्सिक कंपाउंड निकलते हैं.

 

4- कुछ ऐसी रिसर्च सामने आई हैं जिनके मुताबिक इसका सेवन अस्थमा समेत कई दूसरी बीमारियों की वजह बन सकता है. इसमें प्रयुक्त केमिकल जानलेवा हैं, इसके दुष्प्रभावों से पॉपकॉन लंग्स एवं लंग्स कैंसर का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. यह एक तरह का इलेक्ट्रॉनिक इन्हेलर है, जिसमें निकोटिन और अन्य केमिकल युक्त लिक्विड भरा जाता है. जो बेहद खतरनाक है.

 

5- कुछ ही दिन पहले अमेरिका के न्‍यूयॉर्क में इसको प्रतिबंधित किया गया है. जापान में ई-सिगरेट को गैरकानूनी घोषित किया गया है. इसके अलावा ब्राजील, सिंगापुर, शिशेल्‍स, ऊराग्‍वे में भी ई-सिगरेट पर प्रतिबंध है. डेनमार्क में इसका विज्ञापन प्रतिबंधित है. 2014 में कनाडा ने इसको तकनीकी तौर पर गैरकानूनी घोषित किया था. अर्मेनिया, बोसनिया हर्जिगोवेनिया में इसकी बिक्री नियमित नहीं है. बुल्‍गारिया में इसकी बिक्री को कानूनी मान्‍यता प्राप्‍त है. क्रोएशिया में इसके विज्ञापन और सार्वजनिक जगहों पर इस्‍तेमाल से रोक है. यहां नाबालिगों के लिए इसकी बिक्री पूरी तरह से प्रतिबंधित है. चेक रिपब्लिक में 18 वर्ष से कम आयु के किसी भी इंसान को इसकी बिक्री करना पूरी तरह से प्रतिबंधित है. हालांकि यहां पर इसके विज्ञापन पर कोई प्रतिबंध नहीं है. फिनलैंड में जनवरी 2012 के बाद से ई-सिगरेट प्रतिबंधित है. फ्रांस में भी यह प्रतिबंधित है.

 

6-इस्‍तोनिया में पहले ई- सिगरेट को प्रतिबंधित किया गया था. लेकिन 7 मार्च 2013 को आए कोर्ट के एक आदेश ने इस फैसले को पलट दिया. इसके बाद 0.7mg/ml से अधिक मात्रा वाले निकोटिन प्रोडेक्‍ट को बेचना गैर कानूनी है. इस मात्रा के उत्‍पाद को यहां पर औषधीय माना गया है. इससे अधिक मात्रा में निकोटिन वाले उत्‍पादन के लिए यहां किसी को लाइसेंस नहीं दिया गया है.

 

 

7- ब्रिटेन में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट बिक्री और उपयोग कानूनी है और अनेक पब्स भारत में ई-सिगरेट को किया पूरी तरह से बैन, जानें जानलेवा ई-सिगरेट से जुड़े 10 बड़े फैक्ट

 

8- भारत में तम्बाकू सेवन के कारण हर साल 13 लाख से अधिक लोगों की मौत होती है। कैट की विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘ सिगरेट का धुआं 400 से अधिक विषाक्त पदार्थों और 69 ज्ञात कैंसरकारी रसायनिक पदार्थ पैदा करता हैं.

 

9- दिसंबर 2018 में जारी भारत के आईटी एक्ट के मसौदे में स्पष्ट तौर पर व्हॉट्सएप, ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स को शराब और ENDS (इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम) को बढ़ावा देने वाली सामग्री को हटाने को कहा गया है. ENDS वर्तमान में भारत के 29 राज्यों में से 8 में प्रतिबंधित है और उसे लेकर सख्त नियम और दिशानिर्देश बनाने पर ध्यान दिया जा रहा है.

 

10- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सितंबर 2008 में घोषणा की कि उसे नहीं लगता कि धूम्रपान की आदत छुडाने में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट कोई तर्कसंगत उपाय है. WHO ने इसके विपणनकर्ताओं से कहा कि वे अपनी सामग्री से ऐसी कोई भी सलाह हटा दें कि WHO ई-सिगरेट को सुरक्षित और प्रभावकारी मानता है. सुरक्षित और प्रभावकारी निकोटीन प्रतिस्थापन चिकित्सा के रूप में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट को स्थापित करने के लिए कोई सख्त, विशेषज्ञ-शोध अध्ययन नहीं हुए हैं.'