India Health TV: दुनियाभर में लिवर कैंसर (liver cancer increase) के मामले लगातार बढ रहे हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है। आंकड़ों पर नजर डालें तो भारत में हर 1 लाख लोगों में से 3 से 5 लोगों को लिवर कैंसर होने की संभावना रहती है। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता हैै कि हर साल लिवर कैंसर के 3०,००० से 5०,००० नए मामले सामने आते हैं। इनमें से कई रोगियों को समय पर बीमारी का पता नहीं लगने या देरी से इलाज की शुरूआत करने पर अपनी जान भी गवानी पड़ती है। इसका एक प्रमुख कारण यह भी है कि आमतौर पर लिवर कैंसर के शुरुआती लक्षण और संकेत स्पष्ट नहीं होते हैं और लिवर अंदर ही अंदर खराब होता चला जाता है।
यह हेपेटिक कैंसर के नाम से भी जाना जाता है। लिवर कैंसर वो स्थिति होती है जब कैंसर कोशिकाओं की उपस्थिति और वृद्धि के कारण लिवर ठीक से काम नहीं कर पाता। लिवर रक्त और विषाक्त पदार्थों को छानने और पित्त का उत्पादन करने वाला एक प्रमुख अंग है। इसके कारण रक्तप्रवाह से गुजरने वाली विभिन्न कोशिकाएं जिगर तक पहुंचती हैं। जिसमें कैंसर कोशिकाएं भी शामिल हैं जो ट्यूमर में विकसित होती हैं। इस प्रकार लिवर कैंसर शरीर में पैर पसारने लगता है।
यदि लिवर कैंसर के प्रकारों की बात करें तो इसे प्राथमिक और द्वितीयक लिवर कैंसर के रूप में देखा जाता है। प्राथमिक लिवर कैंसर लिवर में जहां असामान्य कोशिकाएं विभाजित होने लगती हैं और तेजी से बढने लगती हैं, वहीं द्वितीयक लिवर कैंसर पास के या अन्य आंतरिक अंगों के कैंसर के कारण उत्पन्न होता है।