नई दिल्ली। लंदन। कोरोना से बचने के लिए जिस कोरोना वैक्सीन को अनिवार्य किया गया और देश के अस्सी फीसदी लोगों को जो कोरोना वैक्सीन लगाई गई वो जानलेवा थी। यह कोई और स्वीकार नहीं कर रहा बल्कि खुद कोर्ट में इस फार्मूले को बनाने वाली कंपनी ने स्वीकार किया है। ब्रिटिश हाईकोर्ट में जमा किए गए दस्तावेजों में कंपनी ने स्वीकार किया कि उनकी कोरोना वैक्सीन से थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम हो सकता है। हालांकि यह बहुत दुर्लभ है।
इस बीमारी से शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है। इसकी वजह से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का भी खतरा है। कंपनी के खिलाफ हाईकोर्ट में 51 मामलों में मुकदमा चल रहा है। पीड़ितों ने एस्ट्राजेनेका से करीब 1 हजार करोड़ का हर्जाना मांगा है।
बता दें कि एस्ट्राजेनेका का जो फॉर्मूला था उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने कोवीशील्ड नाम से वैक्सीन बनाई थी।
ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने माना है कि उनकी कोविड 19 वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। ब्रिटिश मीडिया टेलीग्राफ की रिपोर्ट की माने तो एस्ट्राजेनेका पर आरोप है कि उनकी वैक्सीन से कई लोगों की मौत हो गई। वहीं कई अन्य को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा। लोगों का सामान्य जीवन जीना भी प्रभावित हुआ। कई और साइड इफैक्ट्स देखे गए।
बताते चलें कि एस्ट्राजेनेका ने अपनी वैक्सीन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ तैयार की थी। कंपनी की इस बड़ी स्वीकारोक्ति के बाद उन पर बड़ा जुर्माना लगाया जा सकता है।
गौरतलब है कि अप्रैल 2021 में जेमी स्कॉट नाम के शख्स की वैक्सीन लगवाने के बाद हालत खराब हो गई थी। शरीर में खून के थक्के बनने का सीधा असर उनके दिमाग पर पड़ा। इसके अलावा स्कॉट के ब्रेन में इंटर्नल ब्लीडिंग भी हुई। यहां तक की डॉक्टर्स ने उनकी पत्नी से कहा था कि वो स्कॉट को नहीं बचा पाएंगे।
जिस पर पिछले साल स्कॉट ने एस्ट्राजेनेका के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। मई 2023 में स्कॉट के आरोपों के जवाब में कंपनी ने दावा किया था कि उनकी वैक्सीन से टीटीएस नहीं हो सकता है। हालांकि, इस साल फरवरी में हाईकोर्ट में जमा किए कानून दस्तावेजों में कंपनी इस दावे से पलट गई। इन दस्तावेजों की जानकारी अब सामने आई है।
एस्ट्राजेनेका ने लिखा कि कुछ मामलों में उनकी वैक्सीन की वजह से टीटीएस हो सकता है। हालांकि, वैक्सीन में किस चीज की वजह से यह बीमारी होती है, इसकी जानकारी फिलहाल कंपनी के पास नहीं है। इन दस्तावेजों के सामने आने के बाद स्कॉट के वकील ने कोर्ट में दावा किया है कि एस्ट्राजेनेका.ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन में खामियां हैं और इसके असर को लेकर गलत जानकारी दी गई।
उधर कोवीशील्ड लगवाने वाले भारतीयों में भी इस मामले के बाद डर का माहौल हैं। क्योंकि भारत में वैक्सीन लगाने के बाद कई लोग अचानक आए स्ट्रोक और हार्ट अटैक से अपनी जान गवा चुके हैं। भारत सरकार इस मामले पर नजर बनाए हुए है।
बता दें कि भारत में इस वैक्सीन का निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने किया था। और मार्केट में वैक्सीन आने से पहले ही सीरम इंस्टीट्यूट ने एस्ट्राजेनेका के साथ समझौता किया था। सीरम इंस्टीट्यूट दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी है। भारत में करीब 80 फीसदी वैक्सीन डोज कोविशील्ड की ही लगाई गई है।
बताते चलें कि अदार पूनावाला, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ ने कोरोना काल में कोविशील्ड नाम से वैक्सीन बना कर दुनिया भर में मशहूर हुए। वैक्सीन बनाने के अगले ही साल यानी 2022 में इन्होंने भारी भरकम रकम चंदे में दी। 48 घंटे के भीतर 50 करोड़ रुपए दे दिए। 15 दिन बाद और ढाई करोड़ रुपए दिए। प्रूडेंट चुनावी ट्रस्ट ने 52.5 करोड़ रुपए की यह कुल रकम एक ही बार में बीजेपी को सौंप दी।
यह जानकारी समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट की ओर से चुनाव आयोग को सौंपी रिपोर्ट का विश्लेषण कर जारी की गई थी।