भारत में आने वाली है कोरोना वैक्सीन! कितनी होगी कीमत, अभी किस स्टेज पर है?


नई दिल्ली. भारत में अब उम्मीदों भरे दिन लगातार सामने नजर आने लगे हैं. भारतीय वैज्ञानिक जिस तरह से दिन रात कोरोना वैक्सीन को तैयार करने में जुटे हैं उससे लगता है भारत दुनिया से पीछे नहीं रहने वाला है. बस अब कुछ और वक्त का इंतजार करना है यह वक्त है 2020 का अंत या फिर 2021 की शुरुआत. भारतीय बाजार में किसी भी सूरत में 2021 की शुरुआत में एक स्वीकृत टीका उपलब्ध हो जाने की उम्मीद बढ़ गई है. यह जानकारी शीर्ष वॉल स्ट्रीट रिसर्च और ब्रोकरेज फर्म, बर्नस्टीन रिसर्च की रिपोर्ट से मिली है.

रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर चार संभावित टीके हैं, जिन्हें 2020 के अंत तक या 2021 की शुरुआत में स्वीकृति मिल जाने के अनुमान हैं. इनमें से दो टीके ऐसे हैं जिनमें भारत की भागीदारी है. एस्ट्राजेनेका व ऑक्सफोर्ड का वायरल वेक्टर टीका और नोवावैक्स का प्रोटीन सब यूनिट टीका वो दो टीके हैं जिनमें भारत ने भागीदारी है.

बडी बात यह है कि रिपोर्ट के मुताबिक इन दोनों वैक्सीन के लिये सुरक्षा तथा प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की क्षमता बढ़ाने में पहले व दूसरे चरण के परीक्षण भरोसेमंद लगते हैं. इस बारे में वैज्ञानिक आशावादी हैं और मान रहे हैं कि किसी भी सूरत में भारत में 2021 की पहली तिमाही में बाजार में एक स्वीकृत टीका उपलब्ध हो जायेगा. अब बात इसकी कीमत की करें तो हालांकि अभी इन वैक्सीन की कोई फाइनल कीमत तय नहीं हुई है लेकिन रिपोर्ट में दावा है कि वैक्सीन की कीमत प्रति खुराक 6 डॉलर ( करीब 420 रुपये) हो सकती है.

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस वैक्सीन के आने के बाद सामूहिक प्रतिरक्षा विकसित होने में दो साल लग सकते हैं. इसका कारण व्यापक स्तर पर टीकाकरण के मामले में कम अनुभव होना बताया गया है. वैसे बड़े स्तर पर टीकाकरण के दो अनुभव भारत के पास हैं. जिनमें एक 2011 का पोलिया उन्मूलन अभियान और दूसरा हालिया सघन मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई), लेकिन इनका स्तर कोविड-19 के लिये अपेक्षित स्तर का एक तिहाई भर था. इसके अलावा भारत में वैक्सीन के स्टोरेज और कुशल श्रम की कमी को भी बडी चुनौती बताया गया है.

शुरूआती दौर में भारत में यह टीका स्वास्थ्यकर्मियों और 65 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों को उपलब्ध कराए जाएंगे या फिर उन लोगों को जो कोरोना योद्धा के रुप में दिन रात अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इनके बाद टीके आवश्यक सेवाओं में लगे लोगों तथा आर्थिक रूप से गरीब लोगों को दिये जाने की रणनीति है.

बताया जा रहा है कि नोवावैक्स का टीका एजेड व ऑक्सफोर्ड वाले की तुलना में बेहतर परिणाम दे रहा है. पहले चरण में दोनों से अच्छे परिणाम सामने आए हैं. अब इसका तीसरा चरण चल रहा है. कुल मिलाकर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पहले टीके को पेश करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. सीरम इंस्टीट्यूट ने एजेड व ऑक्सफोर्ड तथा नोवावैक्स दोनों के साथ उनके संभावित टीके के उत्पादन का करार किया हुआ है. उसके पास प्रोटीन सब यूनिट और वायरल वेक्टर दोनों तरह के टीके के उत्पादन की क्षमता है. जरूरत पड़ने पर दोनों की प्रकार की क्षमताओं को बदलकर किसी एक को और बढ़ाया जा सकता है. अत: विनिर्माण के मोर्चे पर कोई अवरोध नहीं दिखाई देता है.

सीरम इंस्टीट्यूट एक अरब खुराक की अतिरिक्त क्षमता पर भी काम कर रहा है. और अनुमान के मुताबिक 2021 में 60 करोड़ खुराक और 2022 में 1 अरब खुराक बनाई जा सकेगी. इनमें से 2021 में भारत के लिये 40 से 50 करोड़ खुराक उपलब्ध होंगे.

इसके अलावा बात करें तो भारत की तीन कंपनियां जायडस, भारत बायोटेक और बायोलॉजिकल ई भी अपने अपने टीके पर काम कर रही हैं. ये टीके पहले व दूसरे चरण के परीक्षण में हैं. माना जा रहा है कि भारत का टीका बाजार वित्त वर्ष 2021-22 में छह अरब डॉलर का हो सकता है.