कलयुग के साक्षात 'राम', डॉक्टर ने की वीडियो कॉल पर मां की अंत्येष्टि


जयपुर. कौन कहता है कि इस कलयुग में भगवान 'राम' नहीं हैं? वो आज भी इस दुनिया में हैं और अपना फर्ज अदा करने में कहीं पीछे नहीं हैं. बस इतना जरूर है कि वो अच्छे इंसान के रूप में इस दुनिया में हमें नज़र आते हैं. ऐसा ही एक नायाब उदाहरण पेश किया राजस्थान के जयपुर में कार्यरत डॉक्टर राममूर्ति ने.

कोरोना से अपनों को बचाने में जुटे इस बेटे का दर्द शब्दों में बयां नहीं हो सकता. 93 साल की मां भोली देवी दुनिया में नहीं रही. जन्म देने वाली मां पर मातृभूमि का प्यार भारी पड़ा. कोरोना से जिंदगी की जंग लड़ रहे लोगों को भला अकेला कैसे छोड़ता ये बेटा? मां की अंत्येष्टि में नहीं जाने का पहाड़ सा फैसला किया. एक तरफ मरीजों की सेवा तो दूसरी तरफ आंसुओं को रोकते हुए वीडियो कॉल पर मां के अंतिम संस्कार में भागीदारी.

जयपुर के SMS हॉस्पिटल में आइसोलेशन और आईसीयू के नर्सिंग इंचार्ज राममूर्ति मीणा करौली के राणोली गांव के हैं. मां के अंतिम दर्शन मोबाइल पर ही हो पाए. फिलहाल राममूर्ति जयपुर में ही क्वॉरेंटाइन हैं. जब राममूर्ति को सेल्यूट किया तो बोले, "मेरी ड्यूटी है लोगों की जान बचाना." मां से माफी मांगते हुए राम बोले- "मां, मुझे माफ करना मैं आपकी चिता को अग्नि ना दे सका." राममूर्ति पिछले कई दिनों से उन लोगों की सेवा में लगे हैं जो SMS हॉस्पिटल में भर्ती हैं. उनका कहना है कि जिस मां ने उन्हें इतनी लाड प्यार से बढ़ाकर इस मुकाम तक पहुंचाया, उनकी अंतिम यात्रा में शामिल नहीं होना सबसे बड़ी त्रासदी है. वे बताते हैं की मुश्किल हालात में वे मैदान छोड़कर भाग नहीं सकते.

राममूर्ति के पारिवारिक सदस्यों ने भी उन्हें अपने कर्तव्य पथ पर डटे रहने के लिए हिम्मत दी. राममूर्ति बड़े साहस के साथ कहते हैं, यदि हम सब एकजुट रहेंगे, प्रशासन और पुलिस के नियम कायदों का पालन करेंगे तो जरूर से कोरोना को परास्त कर दम लेंगे.

- राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार मदन कलाल की रिपोर्ट.