सरकार साहूकार ना बने, आर्थिक तूफान अभी आया नहीं है, आने वाला है: राहुल गांधी


नई दिल्ली. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार की ओर से घोषित 20 लाख करोड़ के पैकेज पर सवाल उठाते हुए सरकार को आड़े हाथों लिया है और सरकार को कुछ सुझाव भी दिए हैं.

राहुल गांधी का कहना है कि देश में आर्थिक तूफान अभी आया नहीं है, आने वाला है. बहुत जबरदस्त नुकसान होने वाला है.

शनिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने वीडियो कांफ्रेंस के मार्फत पत्रकारों से बातचीत की. इस दौरान सरकार के 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज, कोरोना के दौरान मजदूरों की समस्या, लॉकडाउन, देश के आर्थिक हालात, प्रवासियों के मुद्दों पर पर अपनी बात रखी. कहा कि 'हम चाहते हैं सरकार हमारी सुने, हम यानी विपक्ष थोड़ा दबाव डालें और अच्छी तरह से समझाए तो सरकार सुन भी लेगी.'

 


राहुल की बड़ी बातें.

 

1- सड़क पर चलने वाले प्रवासी मजदूरों को कर्ज नहीं पैसे की जरूरत है. बच्चा जब रोता है तो मां उसे लोन नहीं देती, उसे चुप कराने का उपाय निकालती है, उसे ट्रीट देती है. सरकार को साहूकार नहीं, मां की तरह व्यवहार करना होगा. इनके लिए सरकार, विपक्ष और मीडिया सभी को मिलकर काम करना चाहिए.


2- लॉकडाउन पर केंद्र सरकार को समझदारी से कदम उठाना चाहिए. अभी लॉकडाउन खोलने की बात हो रही है, बिना सोचे-समझे ऐसा किया तो नुकसान होगा. लोगों की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए फैसला करना चाहिए.


3- मांग को शुरू करने के लिए पैसा देने की जरूरत है. NYAY(न्यूनतम आय योजना) जैसी योजना इसमें मददगार साबित हो सकती है. मांग शुरू न होने पर बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान होने की संभावना है, जो कोरोना से भी बड़ा हो सकता है.'


4- यह वक्त किसी पर दोष मढ़ने का नहीं है. मजदूरों की बात बहुत ही चुनौतीपूर्ण है. जो लोग सड़कों पर हैं उनकी मदद करना और उनकी सुरक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है. उनके जेब में सीधे पैसा भेजना होगा. इससे ज्यादा मुश्किल वक्त उनके जीवन में नहीं आएगा. इसलिए हमें उन्हें यह एहसास कराना होगा कि हम उनके साथ हैं और उनका सम्मान कम नहीं होने देंगे.


5- केन्द्री जितनी मदद राज्य सरकार को देगा, उतना ही फायदा होगा. केंद्र का काम मैनेटमेंट संभलना है. राज्यों का काम कोविड की लड़ाई लड़ने का है. राज्यों को पूरा समर्थन देना चाहिए. शिकायत आ रही है कि जिस तरह से केंद्र को राज्यों को पैसा देना चाहिए, वह नहीं हो रहा है. 


6- लॉकडाउन ने कोरोना वायरस के प्रसार को तो रोका लेकिन इसके साथ ही कई सारी आर्थिक समस्याएं भी खड़ी हो गई हैं. ऐसे में सरकार के सामने लोगों को कोरोना महामारी और उनके आर्थिक नुकसान दोनों से निपटने की चुनौती है.


7- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुजारिश करूंगा कि वे इस पैकेज के बारे में दोबारा सोचें. उन्हें डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर पर सोचना चाहिए. मनरेगा के तहत 200 दिन का रोजगार दिया जाए. किसानों को पैसा सीधे ट्रांसफर किया जाए.


8- राहुल गांधी ने कहा कि मैंने सुना है रेटिंग्स की वजह से सरकार पैसा नहीं दे रही है. कहा जा रहा है कि अगर वित्तीय घाटा बढ़ता है तो विदेशी एजेंसियां भारत की रेटिंग्स कम कर देंगी. मुझे लगता है कि फिलहाल भारत के बारे में सोचिए, रेटिंग के बारे में नहीं. भारत के सभी लोग अगर ठीक रहेंगे तो एक बार फिर से मिलकर काम करेंगे और रेटिंग अपने आप ठीक हो जाएगी.'


9- मैं प्रधानमंत्री नहीं हूं पर एक विपक्ष के नेता के तौर पर कहूंगा कि कोई भी आदमी घर छोड़कर दूसरे राज्य में जाता है तो काम की तलाश में जाता है. इसलिए सरकार को रोजगार के मुद्दे पर एक राष्ट्रीय रणनीति बनानी चाहिए.


10- कांग्रेस शासित राज्‍यों में मजदूरों को पूरा सपोर्ट देने की कोशिश है. हम डायरेक्‍ट पैसा दे रहे हैं. मनरेगा के तहत रोजगार को डबल करने की कोशिश कर रहे हैं.