क्यों मुखर हो रहीं है कांग्रेस की यह महिला विधायक? पीसीसी चीफ के खिलाफ खोला मोर्चा


जयपुर. 'माननीय मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत साहब के नेतृत्व में कैबिनेट की कल एक अहम बैठक आयोजित की गई बैठक में जनहित में बहुत अच्छे निर्णय लिए गए हैं. माननीय मुख्यमंत्री महोदय के निर्देशानुसार उपखण्ड बोली और बामनवास को पूर्णतः किसान भाइयों के समर्थन में बंद रखा गया. कल बैठक के बाद प्रदेशाध्यक्ष जी के द्वारा प्रेस कॉन्फ़्रेन्स की गई उसको मैंने सुना, उसमें जो विधायकों के द्वारा जनता की किस प्रकार सुनवाई करनी है? ये सब अध्यक्ष जी बता रहे हैं. लेकिन मैं एक विधायक होने के नाते एक सवाल शिक्षा मंत्री व प्रदेश अध्यक्ष महोदय से पूछना चाहूंगी कि विधायकों द्वारा जनता की समस्याओं को जब आपको बताया जाएगा तो उसके लिए इस कोरोना काल में कितनी बार आपके बंगले पर आना पड़ेगा और इसके बाद भी क्या यह सुनिश्चित है कि उनके कार्य होंगे या फिर उनके द्वारा दी गई चिट्ठी पत्री को कचरा पात्र में डाल दिया जाएगा ...???'

तीन प्रश्नवाचक चिन्ह के साथ 8 दिसंबर को फेसबुक पर अपनी बात को समाप्त करने वाली कांग्रेस की बामनवास विधायक इंदिरा मीणा ने जैसे यह बात सोशल मीडिया पर यह पोस्ट डाली तो मानो कांग्रेस में बवाल मच गया हो. कांग्रेस विधायक इंदिरा मीणा के इस बयान को कई कांग्रेसी और भाजपाई अपने अपने स्वार्थ के मुताबिक शेयर करने लगे और आला नेताओं तक पहुंचाने लगे. देखते ही देखते राजस्थान कांग्रेस की सियासत में एक बार फिर से नई बगावत की बू आने लगी है.

किसी ने कहा कि राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा से कांग्रेस की कमान नहीं संभल रही है, क्योंकि जो विधायक सरकार बचाने के लिए कुछ दिनों पहले तक बाड़ाबंदी में थे उन्हीं की बातें ठीक से सुनी नहीं जा रही हैं. ठीक से उनको तवज्जो नहीं दी जा रही है. जबकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विधायकों को पूरी तरजीह देने और उनकी बातों को सम्मानपूर्वक सुनने की नसीहत सभी मंत्रियों को दे चुके हैं. बावजूद इसके कुछ तो कांग्रेस अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक इंदिरा मीना के बीच ऐसा चल रहा है जिससे नाराजगी सार्वजनिक मंच पर परवान चढ़ रही है.

कांग्रेस विधायक इंदिरा मीणा ने अपने फेसबुक अकाउंट पर गोविंद सिंह डोटासरा को आड़े हाथों लेते हुए उनकी कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाया? और बातों ही बातों में कह डाला कि जनता के काम नहीं हो रहे हैं. इतना ही नहीं कुछ मीडिया संस्थानों में यह खबर चली कि इंदिरा मीणा को अपने इस बयान के लिए आलाकमान से लताड़ पड़ी है, राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अजय माकन ने इंदिरा मीना को अनुशासन का पाठ पढ़ाया है. तो उसके तुरंत बाद एक बार फिर इंदिरा मीणा ने मुखर होकर गोविंद सिंह डोटासरा के खिलाफ बगावत के शब्द लिखें. और इन खबरों को गोविंद डोटासरा द्वारा उन्हीं के खिलाफ मैनेज खबरें बताया.

11 दिसंबर को फेसबुक पर एक बार फिर डोटासरा के खिलाफ नाराजगी जताते हुए लिखा कि 'डोटासरा जी आप इस प्रकार की गलत खबरें मीडिया पर नहीं चलवाएं. मैं खुद माकन साहब से मिलने गई थी और मुझे किसी ने तलब नहीं किया. न ही किसी ने डांट लगाई है. जनता के हित में अगर मुझे बोलना पड़ेगा तो मैं बोलती रहूंगी.'

इंदिरा मीणा के सोशल मीडिया पर लिखे गए इस बयान से कांग्रेस में एक बार फिर बगावत तेज होती नजर आ रही है. हालांकि इंदिरा मीणा ने इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर कोई निशाना नहीं साधा. बल्कि गोविंद सिंह डोटासरा को ही आड़े हाथों लिया है. इस पूरे मामले में फिलहाल गोविंद सिंह डोटासरा की ओर से कोई सफाई नहीं दी गई है. वहीं दूसरी ओर इंदिरा मीणा लगातार मजबूती से अपना पक्ष रख रही है.

अब चाहे जो भी हो लेकिन कई दिनों तक बाड़ाबंदी में साथ रहने वाले विधायक ही जिन्होंने सरकार को बचाया. कुछ ही दिनों बाद इस तरह से क्यों मोहभंग का माहौल बना रहे हैं यह सोचने वाली बात है. और इस बयान से राजस्थान के सियासी गलियारों में बगावत की नई चर्चाएं शुरू हो गई हैं. इससे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से राजस्थान में सरकार को अस्थिर करने की साजिश पर दिए गए बयान के बाद इंदिरा मीणा का इस तरह से सार्वजनिक पोस्ट करना ना केवल कांग्रेस में, बल्कि बीजेपी के नेताओं में भी चर्चा का विषय बना हुआ है.