क्या मुकुल वासनिक होंगे कांग्रेस के अगले अध्यक्ष? क्यों चर्चा में आया यह नाम जानें 10 बडे फैक्ट


नई दिल्ली. कांग्रेस की सियासत में पिछले कुछ दिनों से कई घटनाक्रम तेजी से मूर्त रुप ले रहे हैं. पार्टी रिफॉर्म्स के लिए हर वो काम किया जा रहा है जो पार्टी को सक्षम, मजबूत बना सके. इसी कडी में सोनिया गांधी के भी अंतरिम अध्यक्ष का पद छोडकर तुरंत स्थाई अध्यक्ष नियुक्ति​ की मांग तेजी से उठने लगी है.

हालांकि माना यह जा रहा है कि अब पूरी तरह से राहुल गांधी के हाथ में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की कमान आने वाली है, लेकिन इन सबके बीच सूत्रों के हवाले से जो खबर है वो यह है कि कांग्रेस ने अध्यक्ष पद के मामले में बेहद ही स्मार्ट तरीके से 'प्लान बी' भी तैयार कर रखा है, यानी यदि गांधी परिवार से हटकर अध्यक्ष बनाना पडे तो फिर किसे बनाया जाए? इस बीच जो नाम अचानक सामने आया है वो बेहद चौकाने वाला कहा जा सकता है, यह नाम है कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव मुकूल वासनिक का.

 

10 बडे फैक्ट:


1. गांधी परिवार के सबसे विश्वास पात्र क्षत्रपों में से एक हैं. वासनिक लंबे समय से बिना विवादों, बगावत के कांग्रेस पार्टी के संगठन के पुराने खिलाडी रहे हैं. जिनका संगठन में सीधा दखल देखने को मिलता है, अनुशासनहीनता का कभी शिकार नहीं हुए.


2. वासनिक के ओहदे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो चुनावी राज्यों में उम्मीदवारों के चयन से लेकर राज्यसभा सीट के लिए पार्टी की फील्डिंग सेट करने तक सभी में परोक्ष रूप से पूरा काम कराया. ऐसे में संगठन के विश्वास पात्र के रूप में उनकी नियुक्ति की अटकलें और जोर पकड़ रही हैं. और पार्टी के भीतर भी वासनिक के अध्यक्ष बनने पर ये संदेश जा सकता है कि बीजेपी की ही तरह किसी को भी संगठन से नेतृत्व में स्थान देने के रास्ते खुल गए हैं. इससे संगठन के लिए काम करने वाले नेताओं के मनोबल पर भी बड़े असर की उम्मीद है.


3. मुकुल वासनिक का नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए तब भी चर्चा में आ चुका है जब इससे पहले तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. पर जब अन्य नेताओं ने सोनिया गांधी के नाम को ही पार्टी हित में ज्यादा बेहतर समझा तो वासनिक का नाम ठंडे बस्ते में चला गया. उस वक्त अशोक गहलोत, सचिन पायलट के साथ अन्य गैर गांधी परिवार के नामों पर भी चर्चा हुई थी. ऐसे में अब एक बार फिर यह नाम चर्चा में आया.


4. कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे बालकृष्ण वासनिक का कांग्रेस में अच्छा सम्मान था, गांधी परिवार भी उनका सम्मान करता है और मुकुल वासनिक उन्हीं के बेटे हैं, जिससे यह नाम मजबूत है.


5. वासनिक को राजनीति में लाने का श्रेय राजीव गांधी को जाता है, जिनके कार्यकाल में ही वह पहली बार सांसद बने थे, तब उनकी उम्र महज 25 साल थी. यानी राजीव के समय से वास​निक की गांधी परिवार और कांग्रेस के प्रति गहरी आस्था रही है.


6. वासनिक 1984 में राजीव गांधी के साथ लोकसभा के साथी रहे वासनिक उस वक्त की लोकसभा में सबसे कम उम्र के सांसद रहे थे. उनके राजीव गांधी से भी अच्छे संबंध रहे थे. वो राजीव के सबसे अनुशासित सिपाहियों में शामिल थे.


7. वासनिक महाराष्ट्र से ताल्लुक रखते हैं और उन्होंने यहां की बुलढाना और रामटेक लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ा है. वासनिक 1984, 1991, 1998 और 2009 में लोकसभा के सांसद रह चुके हैं. इसके अलावा वह पूर्व में कांग्रेस के अनुषांगिक संगठनों भारतीय यूथ कांग्रेस और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं. जिससे उनके पास सत्ता और संगठन का लंबा अनुभव रहा है.


8. 2009 के चुनाव में महाराष्ट्र से चुनाव जीतने वाले मुकुल वासनिक को मनमोहन सिंह की सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर बनाया जा चुका है. वासनिक की राजस्थान, बिहार, गुजरात और महाराष्ट्र के पार्टी संगठन में अच्छी पैठ मानी जाती है. यहां वो चुनावी मोर्च भी संभाल चुके हैं. इसके अलावा वह उन नेताओं में से एक हैं जिन्हें गांधी परिवार का वरदहस्त प्राप्त है यानी वह अध्यक्ष बनते भी हैं तो पूरी कमाण्ड गांधी परिवार के ही हाथ में रहेगी.


9. बिहार चुनाव से पहले कांग्रेस में दलित अध्यक्ष बनाना एक रणनीति का हिस्सा भी है, क्योंंकि देश में अगला सबसे बड़ा विधानसभा चुनाव बिहार में होगा. बिहार में दलित, महादलित और पिछड़ों के करीब 60 फीसदी वोटर्स के बीच एक बड़ा संदेश देने की कोशिश कर भी वासनिक के नाम के साथ कांग्रेस कर सकती है.


10. वासनिक के नाम पर कई वरिष्ठ और युवा कांग्रेसी नेता भी सहमति दे सकते हैं क्योंकि वासनिक की दोनों ही वर्गों पर पकड हैं.