दुआ करो की आज 'चांद पर हिंदुस्तान हो', मिशन चन्द्रयान-2 की लैंडिंग से जुड़ी 10 बड़ी बातें


बेंगलुरु. चांद पर हिंदुस्तान की ताकत देखने के लिए पूरी दुनिया टकटकी लगाए देख रही हैं. चांद के दक्षिणी ध्रुव चन्द्रयान-2 को उतारने की तैयारियां पूरी कर ली है. बड़ी बात यह है सबकुछ ठीक रहा तो भारत ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा. हालांकि रूस, यूएस और चीन इसके उत्तर में पहले यान उतार चुके हैं लेकिन चांद के दक्षिण में यान को उतारने वाला भारत पहला देश होगा. चंद्रयान-2 मिशन के शनिवार को चांद पर उतरने के अत्यंत महत्वपूर्ण घटनाक्रम से पहले इसरो के साथ देशवासियों के मन में तमाम तरह के भाव उमड़ रहे हैं और यहां सभी भारतीय चंद्रयान-2 के चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं ताकि भारत दुनिया के सामने अपनी ताकत को साबित कर सके और मिशन चन्द्रयान में भारत झंडा गाड़ सके. इस मिशन में रोवर को प्रज्ञान और लैंडर को विक्रम का नाम दिया गया है. बडी बात यह है कि चांद का दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र बेहद रुचिकर है क्योंकि यह उत्तरी ध्रुव क्षेत्र के मुकाबले काफी बड़ा है. 11 साल पहले चंद्रयान-1 के रूप में भारत ने चांद की ओर पहला मिशन भेजा था. यह एक ऑर्बिटर मिशन था, जिसने 10 महीने चांद का चक्कर लगाया था. चांद पर पानी की खोज का श्रेय भारत के इसी अभियान को जाता है. अब चंद्रयान-2 इसी उपलब्धि की आगे की कड़ियां जोड़ेगा और चांद के पानी व विभिन्न खनिजों की उपस्थिति के प्रमाण जुटाएगा.

जानिए मिशन चन्द्रयान-2 की लैंडिंग से जुड़ी 10 बड़ी बातें -

1- रात 1 बजकर 40 मिनट पर चंद्रयान ठीक 90 डिग्री पर उतरना शुरू करेगा और 1 बजकर 55 मिनट पर दो क्रेटर के बीच लैंड करेगा, जिसके दो घंटे के बाद 3 बजकर 55 मिनट पर लैंडर का रैंप खुलेगा.

2- मिशन-2 चंद्रयान के तहत जब विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए बढ़ेगा तो इस दौरान इसकी रफ्तार बुलेट ट्रेन की रफ्तार से 14 गुना अधिक होगी. इसलिए इसकी रफ्तार कम की जाएगी.

3- विक्रम और प्रज्ञान ऑर्बिटर से अलग होने के बाद यान 6120 किलोमीटर प्रति घंटे रफ्तार से घूम रहा है. इस दौरान यह चांद की सतह से न्यूनतम 35 किलोमीटर और अधिकतम 100 किलोमीटर की दूरी पर है.

4- शनिवार तड़के चांद की सतह पर उतरने से 15 मिनट पहले इसकी रफ्तार को कम की जाएगी. इसके 10 मिनट 30 सेकेंड के बाद जब विक्रम 7.4 किलोमीटर की ऊंचाई पर होगा तो इसकी रफ्तार को 526 किलोमीटर प्रति घंटा किया जाएगा. इसी दौरान 400 मीटर की ऊंचाई पर ही यह 12 सेकेंड तक उतरने के लिए सही जगह और उससे संबंधित आंकड़े एकत्रित करेगा.

5- अगले 66 सेकेंड बाद जब यह 100 मीटर की दूरी पर होगा तो इकट्ठा किए गए डाटा और तस्वीरों के आधार पर उतरने की जगह चुनेगा.

6- जब इसकी दूरी केवल 10 मीटर रह जाएगी तो 13 सेकेंड के अंदर यह चांद की सतह को छू लेगा. उसी वक्त विक्रम के सभी पांच इंजन काम करना शुरू कर देंगे. इसके बाद सेंसर के आदेश पर विक्रम के चारों पैर खुल जाएंगे और वह चांद पर उतर जाएगा.

7- चांद की सतह पर उतरने के 15 मिनट बाद विक्रम वहां की पहली तस्वीर भेजेगा. लेकिन इसकी तस्वीर इसरो को शनिवार सुबह 11 बजे तक मिलने की उम्मीद है.

8- सतह पर उतरने के चार घंटे तक विक्रम एक ही स्थान पर रहेगा. इस दौरान वह कई जानकारी जुटाएगा. इसके बाद विक्रम का दरवाजा खुलेगा और उसके अंदर से प्रज्ञान बाहर निकलकर अपना काम शुरू कर देगा.

9- प्रधानमंत्री चंद्रयान-2 के ह्यलैंडर विक्रम की शनिवार तड़के चंद्रमा की सतह पर ऐतिहासिक सॉफ्ट लैंडिंग देखने के लिए बेंगलुरु में मौजूद होंगे. प्रधानमंत्री पीनया के पास इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमान नेटवर्क में चंद्रयान की लैंडिंग को देखेंगे. देशभर से 70 बच्चे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इसरो में मौजूद रहेंगे.

10- यह मिशन कितना अहम है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खुद अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा (NASA) कह चुकी है कि हम भारतीय मिशन को करीब से देख रहे हैं, क्योंकि हम 2024 में इंसानों को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर भेजेंगे.