आनंदपाल एनकाउंटर के बाद हुई हिंसा मामले में CBI चार्जशीट पेश. कालवी, लोटवाड़ा, गोगामेड़ी सहित 24 आरोपी


नई दिल्ली. राजस्थान के चर्चित आनंदपाल एनकाउंटर के बाद हुई हिंसा के मामले में सीबीआई ने कोर्ट में चार्जशीट पेश कर दी है. एक ओर जहां आनंदपाल के पुलिस एनकाउंटर को CBI ने सही बताया है यानी एनकाउंटर फेक नहीं था वहीं एनकाउंटर के बाद फैली हिंसा मामले में राजपूत समाज के कई दिग्गज नेताओं सहित 24 लोगों को आरोपी बनाया गया है. आनंदपाल सिंह की पुत्री और वकील के अलावा राजपूत समाज के 22 नेताओं को दंगे भड़काने, तत्कालीन नागौर एसपी व महिला IPS पर जानलेवा हमला करने, पुलिस वाहनों को जलाने का दोषी माना है.

CBI, नई दिल्ली की स्पेशल क्राइम ब्रांच-2 के उप महानिरीक्षक जगरूपगुरु सिन्हा के निर्देशन में उपाधीक्षक मुकेश शर्मा ने 24 आरोपियों के खिलाफ जोधपुर की CBI मामलात अदालत में यह चार्ज शीट पेश की है.

जानकर सूत्रों के मुताबिक 2 साल 6 माह चली CBI जांच में लोकेन्द्र सिंह कालवी, सुखदेवसिंह गोगामेढ़ी, गिरीराज सिंह लोटवाड़ा, हनुमानसिंह खांगटा, महिपाल सिंह मकराना, रंजीतसिंह मंगला उर्फ रंजीतसिंह सोढाला, रंजीतसिंह गेंदिया, रणवीर सिंह गुड़ा, योगेन्द्र सिंह कतर, दुर्गसिंह, आेकेन्द्र राणा उर्फ हितेन्द्रसिंह राणा, चरणजीत सिंह कंवर उर्फ चीनू, एपी सिंह, सीमा रघुवंशी उर्फ सीमा राघव, महावीर सिंह, प्रताप सिंह राणावत, प्रेम सिंह बनवासा, भंवर सिंह रेता, दिलीप सिंह, जब्बर सिंह, मोहन सिंह हट्टौज, युनूस अली, राजेन्द्र सिंह गुड़ा, घनश्यामसिंह त्योड के खिलाफ जोधपुर स्थित ACJM-CBI मामलात की विशेष अदालत में चालान पेश किया है.

आपको बता दें कि राजस्थान सरकार ने कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की जुलाई 2017 में कथित मुठभेड़ में मारे जाने की जांच सीबीआई से कराने को मंजूरी दी थी. इससे पहले बडे स्तर पर इस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए राजपूत समाज और आनंदपाल समर्थकों ने बडा आंदोलन किया था जिसके बाद एनकाउंटर के साथ ही इस हिंसा की जांच भाजपा की वसुंधरा राजे सरकार ने सीबीआई को सौंपी थी. राजस्थान सरकार ने 24 जुलाई 2017 को एक पत्र लिखकर सीबीआई जांच का आग्रह किया था. हालांकि, सीबीआई ने 15 नवंबर 2017 को सबूतों की कमी का हवाला देते हुए पहले तो खारिज कर दिया था. बाद में राज्य सरकार ने फिर से 17 दिसंबर को केंद्र सरकार को पत्र लिखकर सीबीआई जांच की मांग नहीं माने जाने पर राजपूतों में असंतोष बढ़ने की बात कही थी. पत्र में चेताया था कि सीबीआई जांच का आदेश नहीं देने से कानून-व्यवस्था की स्थिति बदतर हो सकती है. आनंदपाल सिंह चुरु जिले के मालसर गांव में 24 जून 2017 को पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था.

उसके परिवार के सदस्यों ने मुठभेड़ की विश्वसनीयता को लेकर सवाल उठाए थे और दावा किया गया था कि वह समर्पण करना चाहता था फिर भी उसे मार दिया गया. उधर पुलिस अधिकारियों ने अपने बचाव में कहा कि उसे कई बार समर्पण करने को कहा गया, लेकिन उसने पुलिसकर्मियों पर फायरिंग शुरू कर दी. राजस्थान के प्रभावी राजपूत समुदाय ने उसके मारे जाने पर बड़े स्तर पर प्रदर्शन व सड़क को जाम कर दिया था. आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर पर सवाल उठाने वाले लोग उसे रॉबिनहुड मानते हैं. जबकि पुलिस रिक़ॉर्ड में वो इतना कुख्यात गैंगस्टर था कि अदालत को भी एक नहीं 6 बार उसे भगोड़ा घोषित करना पड़ा. एनकाउंटर से करीब डेढ़ साल पहले वो कैद से फरार हो गया था. और काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने उसे एनकाउंटर में मार गिराया. उधर इस चार्जशीट के बाद एकबार फिर राजपूत समाज मे आक्रोश देखने को मिल रहा है, बड़े आंदोलन की फिर तैयारी की सुगबुगाहट तेज़ हो गई है.

 

कौन था आनंदपाल?

 

13 मई 1975 को राजस्थान के नागौर जिले के गांव सांवराद में आनंदपाल सिंह का जन्म हुआ। फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने, टॉपी-जैकेट पहनने का शौक रखने वाला सबसे कुख्यात गैंगस्टर था। वह सितम्बर 2015 देशभर की सुखियों में तब आया जब हत्या, लूट व डकैती समेत कई मामलों में अजमेर जेल में आनंदपाल को लाड़नूं पेशी पर ले जाया गया था. वापसी में वह राजस्थान पुलिस पर हमला करके अपने तीन साथियों के साथ फरार हो गया था.

डेढ़ साल तक राजस्थान की पुलिस आनंदपाल को जिंदा नहीं पकड़ सकी थी. फिर पुलिस को सूचना लगी कि वह चूरू जिले के गांव मालासर में श्रवण सिंह के घर छिपा है. 24 जून 2017 की अमावस्या की रात को पुलिस की स्पेशल टीम ने वहां आनंदपाल को ​एनकाउंटर में मार गिराया.