भाजपा नेता की प्रिंटिंग प्रेस से मिली NCERT की 35 करोड़ की डुप्लीकेट किताबें, नेता का भतीजा था मास्टरमाइंड


यूपी. यूपी एसटीएफ और मेरठ पुलिस के ज्वाइंट ऑपरेशन में 35 करोड़ की डुप्लीकेट किताबें पकड़ी गई हैं. मेरठ में एनसीईआरटी की डुप्लीकेट किताबें छापने का यह पर्दाफाश इसलिए चर्चा में नहीं है कि डुप्लीकेट किताबें पकड़ी गई है चर्चा इसलिए है कि मामले का आरोपी भाजपा के नेता का भतीजा है और खुद नेेताजी की यह प्रिंटिंग प्रेस बताई जा रही है. छापे में छह प्रिंटिंग मशीनें मिली हैं और दर्जनभर लोगों को हिरासत में लिया गया है.

बताया गया है कि एनसीईआरटी की डुप्लीकेट किताबें छापने का मास्टरमाइंड सचिन गुप्ता है, जो भाजपा नेता संजीव गुप्ता का भतीजा है. सचिन और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ परतापुर थाने में एसटीएफ सब इंस्पेक्टर ने मुकदमा दर्ज कराया है. और इस किताब कांड में कौन-कौन शामिल हैं पता लगाया जा रहा है.

एसटीएफ डीएसपी ब्रजेश कुमार सिंह के मुताबिक परतापुर के अछरौंडा में गोदाम और मोहकमपुर की प्रिंटिंग प्रेस का मुख्य संचालक सचिन गुप्ता है. जो फिलहाल वह फरार है. हालांकि छापेमारी के तुरंत बाद सचिन से पुलिस अधिकारियों की फोन पर बातचीत हुई. उसने कहा कि वह किताबों के कागजात लेकर आ रहा है, लेकिन बाद में नहीं आया और मोबाइल भी बंद कर लिया.  इन किताबों को यूपी, दिल्ली, उत्तराखंड, राजस्थान समेत कई राज्यों में सप्लाई की प्लानिंग थी.

इस मामले के खुलासे के बाद सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट के जरिए कहा है कि 'ईमानदारी का चोगा पहने लोगों का सच सामने आया गया है. शिक्षा-नीति में बदलाव करने वाली भाजपा पहले अपने उन नेताओं को नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाए, जो करोड़ों रूपये के नकली किताबों के गोरखधंधे में संलिप्त हैं.' सपा अध्‍यक्ष ने लिखा कि नक़ली ईमानदारी का चोगा ओढ़े लोगों का सच अब सामने आ गया है.

उधर इस पूरे मामले में ना केवल उत्तर प्रदेश में सियासत गर्म हो गई है. बल्कि आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी तेज हो गया है. ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी ने भी इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है. और भाजपा नेता की भूमिका संदिग्ध बताते हुए तुरंत कार्रवाई की मांग की है.

यह प्रिंटिंग प्रेस भाजपा के महानगर उपाध्यक्ष संजीव गुप्ता की बताई जा रही है. इस प्रिंटिंग प्रेस पर उनके भतीजे सचिन गुप्ता भी पार्टनर हैं. हालांकि कुछ साल पहले तक कैंट विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल के पुत्र भी इस प्रिंटिंग प्रेस में साझीदार थे. लेकिन जब पहले नकली किताबों के प्रकाशन को लेकर छापा पड़ा तो उन्होंने लिखित में अपनी हिस्सेदारी हटा ली. हालांकि इस संबंध में सूत्रों का कहना है कि अभी भी कैंट विधायक के पुत्र की अप्रत्यक्ष साझेदारी इस प्रिंटिंग प्रेस में है.