आखिर BJP ने अपने क्षत्रप यादव पर फिर जताया भरोसा


BJP ने एक बार फिर भूपेन्द्र यादव पर भरोसा जताया है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव को कमान सौंपी है क्योंकि कई विधानसभा चुनावों में भूपेन्द्र यादव बीजेपी के बेहतर क्षत्रप साबित हुए हैं. भूपेंद्र यादव कई राज्यों के चुनाव में बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हुए हैं. क्षमतावान, निडर, दृढ़निश्चयी यादव अमित शाह के साथ संगठनात्मक रणनीतियां तय करने में माहिर हैं. कई बार शाह के साथ मिलकर राजनीति विरोधियों को पार्टी हित में मात देने में कामयाब हुए हैं. विरोधियों की रणनीतियां ध्वस्त करने में माहिर यादव चाहे 2013 में राजस्थान का विधानसभा चुनाव हो या फिर 2014 में झारखंड और 2017 में हुए गुजरात तथा उत्तर प्रदेश के चुनाव. इन राज्यों में बीजेपी के लिए उन्होंने बैक स्टेज अहम रोल निभाए. जो बीजेपी के लिए फायदे का सौदा साबित हुए. यूपी में हालांकि उनका रोल सीधा चुनावों में नहीं था लेकिन अमित शाह ने उन्हें वॉर रूम की कमान सौंप रखी थी. वह मीडिया मैनेजमेंट भी देख रहे थे. भूपेंद्र यादव अमित शाह के भरोसेमंद बल्लेबाज हैं. हाल में राज्यसभा में कई अहम बिलों को पास कराने के लिए विरोधी दलों के सांसदों का भी समर्थन हासिल करने के लिए अमित शाह ने जो टीम बनाई थी, उसमें भूपेंद्र यादव की भी अहम भूमिका थी. महाराष्ट्र में बड़ी संख्या में यूपी और कर्नाटक के लोग रहते हैं. माना जाता है कि इसी को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने यूपी से केशव प्रसाद मौर्य और कर्नाटक के पूर्व विधायक लक्ष्मण सावदी को भी सह प्रभारी बनाकर महाराष्ट्र भेजा है. केशव यूपी के चुनावों में भूपेंद्र के साथ काम कर चुके हैं. यादव राजनीति का हर वो मास्टर स्ट्रोक खेलने की क्षमता रखते हैं जो खेलने में कई दिग्गज सोचकर ही पस्त हो जाते हैं. उधर यादव के साथ ओम प्रकाश माथुर को झारखंड विस चुनाव का प्रभारी बनाया गया है. हरियाणा विधानसभा चुनाव का प्रभारी नरेंद्र तोमर और दिल्ली विधानसभा चुनाव का प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर को बनाया गया है.
भूपेंद्र यादव से जुड़े लोगों का कहना है कि महाराष्ट्र के लिए भूपेंद्र यादव नए नहीं हैं. वह पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भी वहां काम कर चुके हैं. उनकी संगठन क्षमता ही है जो मोदी-शाह ने 2017 में उन्हें अपने गृह सूबे गुजरात का चुनाव प्रभारी बनाया था. यहां बीजेपी सत्ता बनाए रखने में सफल हुई थी. देखा जाता है कि प्रभारी चुनाव के दौरान ही ज्यादा सक्रिय होते हैं, मगर भूपेंद्र यादव नियुक्ति आदेश जारी होते ही संबंधित राज्य में कैंप का प्रोग्राम बना लेते हैं. हालांकि महाराष्ट्र में विपक्ष से भाजपा को उतनी चुनौती नहीं है जितना कि अपनी सहयोगी शिवसेना के नखरों से है. ऐसे में चुनाव से पहले सीटों के पेंच में उलझने के बजाए बेहद ही समझदारी से ऐसे मसलों को सुलझाना भूपेंद्र यादव के लिए चुनौती है. हालांकि उन्होंने जिस तरह से हालिया लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार में एनडीए सहयोगियों के बीच सीटों के बंटवारे को सुलझाया था, उससे माना जा रहा है कि महाराष्ट्र मे कोई दिक्कत नहीं होगी. महाराष्ट्र में अक्टूबर में चुनाव होने की संभावना है. झारखंड और हरियाणा में भी साथ चुनाव हो सकते हैं.

राजस्थान के रहने वाले हैं यादव, राजस्थानियों के करीबी
भूपेंद्र यादव राजस्थान के अजमेर के रहने वाले हैं. गवर्नमेंट कॉलेज अजमेर से कानून की पढ़ाई करने वाले 50 वर्षीय भूपेंद्र यादव सुप्रीम कोर्ट के वकील भी हैं. 2009 तक एबीवीपी में महासचिव की भूमिका निभाने के बाद 2010 में बीजेपी के नेशनल सेक्रेटरी बने भूपेंद्र यादव को पार्टी ने 2012 में पहली बार राज्यसभा भेजा था. फिर 2013 में राजस्थान प्रभारी की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी. बीजेपी को सत्ता में पहुंचाकर भूपेंद्र यादव पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को प्रभावित करने में सफल रहे. इसके बाद, जब 2014 में अमित शाह अध्यक्ष बने तो उन्होंने भूपेंद्र यादव पर और अधिक भरोसा जताते हुए जिम्मेदारियां बढ़ानी शुरू कीं. उन्हें प्रमोट कर राष्ट्रीय महासचिव बना दिया गया. वहीं, वर्ष 2018 में बीजेपी ने राजस्थान कोटे से दोबारा भूपेंद्र यादव को राज्यसभा भेजा. यही कारण है कि आज भी भूपेन्द्र यादव को राजस्थान के राजनेता भी बेहद करीब से जानते हैं.