चाहे कोई मुख्यमंत्री हो! 'ठरके' से राजनीति करते थे 'पंडित भंवर लाल शर्मा'


पंडित भंवर लाल शर्मा के निधन पर विशेष

जयपुर (जितेन्द्र सिंह शेखावत). "राजस्थान" के ब्राह्मणों को एक जाजम पर बिठाने के साथ सारी कोमों की भलाई के लिए जीवन खपा देने वाले पंडित भंवर लाल शर्मा चूरु जिले के सरदारशहर से सात बार विधायक रहे। वे भाजपा, जनता पार्टी, लोकदल, कांग्रेस सहित अनेक राजनीतिक दलों में "ठरके" से रहे। सरपंच और विधायक के साथ कई बार मंत्री भी रहे। पंडित जी ने जीवन भर गरीबों के दिल पर राज किया।

विद्याधर नगर में ब्राह्मण समाज के लिए परशुराम भवन बनाने में पंडित जी का ही सबसे बड़ा योगदान था। उनके दरवाजे से कोई भी खाली हाथ नहीं गया । उसी का ही परिणाम रहा कि वे चाहे किसी भी पार्टी का टिकट लेकर चुनाव में खड़े होते फिर भी भारी वोटो से जीत जाते। सन 1985 में वे लोक दल के टिकट पर खड़े हुए और कांग्रेस के नेता चंदनमल बैद जैसी शख्सियत को हरा दिया।

भंवर लाल जी ने अपने इलाके में पैसे और सत्ता के बल पर दलाली करने वाले अवसरवादी नेताओं के खिलाफ भी जिहाद छेड़े रखा। सरदार शहर क्षेत्र के जैतसीसर गांव में पंडित सेवाराम के घर जन्म लिया तथा मनीराम के गोद चले गए ।गांधी विद्या मंदिर से हाई सेकेंडरी पास कर गांव की राजनीति में पड़ गए । सन 1965 से लगातार बीस साल तक गांव के सरपंच रहे। सरपंच रहते हुए उन्होंने पंचायत में जनता शासन के दौरान 1500000 रुपए खर्च कर पशु अस्पताल, चिकित्सालय भवन, चार पानी के कुए बनवाए। धर्मशालाएं बनवाई। सरपंच रहे भंवरलाल ने पंचायत को मजबूत किया।

इनका जनसंपर्क बहुत मजबूत रहा। वह गांव में अधिकांश लोगों को नाम से जानते थे ।रात और दिन लोगों की बात सुनते और उनकी मदद करने में लगे रहे। जयपुर आने वालों के ठहरने की व्यवस्था और आवभगत में इनका कोई मुकाबला नहीं था। इन्होंने अपने इलाके के झगड़ों को थाने और तहसील तक में जाने नहीं दिया। काश्तकार विरोधी किसी भी विधेयक का उन्होंने हमेशा विरोध किया।

पंडित भंवर लाल शर्मा 1975 तक कांग्रेस के सदस्य रहे। लेकिन आपातकाल में कांग्रेस छोड़कर जनता दल में चले गए ।बाद में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए किंतु फिर लोक दल के टिकट पर चुनाव लड़ा। बार-बार पार्टी बदलने के मुद्दे को लेकर कोई पूछता तो वह बताते थे कि जनता की सेवा हो सके वही दल है। जयपुर में उनका विधायक निवास या फिर उनका निजी मकान हमेशा गांव के इलाके के लोगों से खचाखच भरा रहता था।

गांव से आने वाले लोगों का वे इलाज कराते और अपने घर पर उनकी आवभगत कर मेहमान नवाजी करते। राजस्थान पत्रिका के वरिष्ठ पत्रकार रहे बिशन सिंह शेखावत से 1985 में लिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि वह अपने को क्षेत्र का बेटा मान कर उसकी सेवा करने को ही महत्त्व देते हैं। 60 साल की राजनीतिक पारी खेलकर सरदार शहर के विधायक और राजस्थान ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष रहे भंवर लाल शर्मा की राजनीति के अनेक पहलू थे। वे खांटी राजनेता थे. जमीन से जुड़े रहे। उनके जैसे नेता बहुत कम होते हैं। वे कांग्रेस में भी रहे, बीजेपी में भी रहे और जनता दल में भी रहे लेकिन लोगों में उनकी स्वीकार्यता हमेशा बनी रही।कांग्रेस के विधायक रहते हुए उनमें इतना साहस था कि वह बड़े से बड़े दिग्गज नेता को खरी खोटी सुना देते थे। जनता दल में रहते हुए उन्होंने भैरो सिंह शेखावत की सरकार का तख्ता उस वक्त पलटने की कोशिश की जब शेखावत अमेरिका में इलाज करवा रहे थे।

दो साल पहले अशोक गहलोत सरकार के दौरान आए राजनीतिक संकट में भी वह चर्चा में आए लेकिन बाद में सर सरकार का सहारा ही बने। भैरों सिंह शेखावत की सरकार के दौरान ही उन्होंने जनता दल के टिकट पर सरदारशहर से उप चुनाव लडा था। जब शेखावत सरकार के पांच मंत्री सरदार शहर में कैंप कर रहे थे और भंवर लाल शर्मा ने वह चुनाव बड़े अंतर से जीता था। यह सिर्फ और सिर्फ अपने क्षेत्र के लोगों से जीवंत संवाद और जमीनी पकड़ के चलते ही संभव था। नई पीढ़ी के युवा जो राजनीति में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें पंडित भंवर लाल शर्मा के राजनीतिक कैरियर का अध्ययन करना चाहिए।