रेमडेसिविर नहीं है कोई रामबाण दवा, सोचे समझें, भेड़ चाल न चलें, किडनी डैमेज और हार्ट फैल का है खतरा


नई दिल्ली। अभी पूरे देश में एक इंजेक्शन का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है और वह है रेमडेसिविर इंजेक्शन। ऐसा माहौल बन गया है कि जैसे यह इंजेक्शन किसी ने लगा लिया तो वह कोरोना के कारण मौत के मुंह में नहीं जाएगा। लोग बिना चिकित्सक की सलाह के ही इस इंजेक्शन को लगवा रहे हैं या चिकित्सक पर भी यह इंजेक्शन लगाने का दबाव बना रहे हैं। कुछ प्राइवेट अस्पताल भी ऐसे हैं जिन्होंने मरीजों और उनके परिजनों के बीच इस इंजेक्शन का ऐसा माहौल बना दिया है कि जैसे इसके बिना मौत निश्चित है। लेकिन यह सब मिथ्या है। डर बेवजह का है। कोरोना के इलाज के लिए रेमडेसिविर की इसी गलत धारणा के बीच मांग बढ़ गई है।

इंटरनेट, टीवी, मीडिया, व्हाट्स एप ग्रुप्स, फेसबुक पर लोग रेमडेसिविर इंजेक्शन की गुहार लगाते दिख रहे हैं। ब्लैक में भी कई गुना दामों पर इसे खरीदने के लिए पागल हुए जा रहे हैं। यही कारण है कि इसकी कालाबाजारी भी बढ़ गई है। इस बीच एक कड़वा सच यह है कि दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉक्टर कहते हैं कि जो लोग रेमडेसिविर इंजेक्शन को कोरोना के रामबाण इलाज मानते है वो नासमझ हैं। इस दवा का इस्तेमाल किसी भी सूरत में जीवन रक्षक दवा के रूप में नहीं होनी चाहिए। इस दवा के बगैर भी कोरोना के मरीजों की जान बचाई जा सकती है। हां यह किसी भी कोरोना के मरीज के रिकवरी टाइम को कम जरूर करने में मददगार हो सकता है लेकिन 100% जान इससे बच जाती है ऐसा कतई नहीं है।

ऐसा कोई शोध भी अभी तक सामने नहीं आया है जो इस बात को साबित करता हो कि कोरोना संक्रमित मरीज को रेमडेसिविर इंजेक्शन दिए गए हों और उसकी मौत नहीं हुई हो।

राजस्थान के सबसे बड़े SMS अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. प्रवीण जोशी तो यहां तक कहते हैं कि 'कोरोना के इलाज में रेमडेसिविर की भूमिका अभी तक विवादास्पद और संदेहास्पद है। और तो और अभी तक हुए सभी ट्रायल में तो यह और सामने आया है कि कोरोना से मौत को कम करने में यह दवा ज्यादा फायदेमंद नहीं है। यदि ऐसा होता तो जिस अमेरिका में इसका सबसे बड़ा उत्पादन था वहीं कोरोना से होने वाली मौतें कम हो जाती, वहां हाहाकार नहीं मच रहा होता। यह ठीक वैसा ही माहौल बना हुआ है जैसा पहले भारत की HCQ को लेकर अमेरिका में माहौल बना था, पहले दवा ना उपलब्ध कराने पर तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो भारत को इसके नतीजे तक भुगतने के लिए चेतावनी दे दी थी लेकिन कुछ ही दिनों बाद जब भारत ने दवा उपलब्ध कराई तो वहां के एक्सपोर्ट्स ने बाद में कह दिया था कि यह दवा कोरोना के इलाज़ में कारगर नहीं, मौतों से नहीं बचा सकती। ठीक वैसा ही कुछ अभी रेमडेसिविर के साथ हो रहा है। और वैसे भी दवा असरदार तब कही जाती है जब उसके इस्तेमाल से मौतें कम हों। बस इस वक़्त इसका फायदा इतना सा है कि यह वायरल लोड को कम करने में मददगार हो सकता है। इससे ज्यादा रेमेडेसिविर से उम्मीद लगाकर बैठना और इसके भरोसे इलाज़ में कोताही बरतना, और इसको के गुण दामों पर ब्लैक में खरीदना सबसे बड़ी भूल होगी।'

खुद अमेरिका में एफडीए (फूड एंड ड्रग एड्रमिनिस्ट्रेशन) ने भी अस्पतालों में भर्ती उन मरीजों के इलाज में ही इसके इस्तेमाल को मंजूरी दी है जिनका ऑक्सीजन लेवल कम हो गया या जो ऑक्सीजन थेरेपी पर हों। क्योंकि यह रेमडेसिविर इंजेक्शन कई गंभीर दुष्प्रभाव का भी कारण बन सकता है। किडनी और लिवर को डेमेज करने के साथ यह हृदय गति बढ़ने की समस्या का कारण बन सकता है।

एक और बड़ी बात जान लीजिए कि डब्ल्यूएचओ तक ने भी अपने ट्रायल में यह कहा था कि कोरोना से होने वाली मौतें रोकने में इस दवा की खास भूमिका नहीं है। मरीजों का एक वर्ग जिनमें ऑक्सीजन स्तर 94 से कम होने लगे तो शुरुआत में कुछ खास लोगों में यह इंजेक्शन देने से अस्पताल में भर्ती रहने का समय कम कर सकता है।

कुल मिलाकर प्रयोगात्मक दवा के रूप में ही इस्तेमाल करना चाहिए। यह सोचना कि रेमडेसिविर के बगैर मरीज की जान नहीं बच सकती यह गलत है, इसलिए सभी मरीजों में इस इंजेक्शन का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। और बहुत सोच समझकर ही इसका इस्तेमाल हो।

इसलिए एक्सपर्ट्स ने सलाह दी है कि यदि आप या आपका कोई साथी कोरोना से संक्रमित हो गया है तो इस इंजेक्शन को तलाशने में, खोजने में और बहुत महंगे दामों पर अपनी क्षमताओं से बाहर जाकर खरीदने में कोई फायदा नहीं है। बल्कि आपको यह समय बेहतर इलाज के लिए एक अच्छे डॉक्टरों की सलाह के मुताबिक ध्यान रखने पर लगाना है। और हां एक बात का खास ध्यान रखें कि जो लोग स्वस्थ हैं वह बिना सोचे समझे ना तो इस इंजेक्शन को खुद कहीं से लगवाए ना चिकित्सकों पर इस इंजेक्शन को लगाने का दबाव बनाएं, वरना यह भी आपके नुकसान का कारण हो सकता है।