त्योंहारी मौसम में मिठाइयां खाते वक्त जरा सावधान, कहीं यह मिठास ना घोल दे जीवन में जहर


नई दिल्ली. दीपोत्सव के साथ ही बाजार में हजारों करोड़ का मिठाइयों का बाजार भी फल फूल रहा है. चमक धमक के साथ रंग बिरंगी ​मिठाइयों से बाजार अटे पड़े हैं. लेकिन त्योंहारी मौसम में मिठाइयों की मिठास के चक्कर में कहीं आपका स्वास्थ्य ना बिगड़ जाए इसका खास ध्यान रखें. खासकर बाजार में बिकने ​वाली मावे की मिलावटी और घटिया सामग्री से बनी रंग बिरंगी मिठाइयों से सावधान रहें. लोगों की जान से खिलवाड़ कर मिलावटी मिठाइयों के कारोबार से मुनाफा कमाने वाले कम नहीं हैं.

राष्ट्रीय उपभोक्ता परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनंत शर्मा के मुताबिक ऐसा नहीं है कि सभी जगह आपके साथ बाजार में धोखा हो रहा हो लेकिन भारतीय बाजारों में सरकारी निगरानी, सख्त कानूनों के बावजूद मिलावट रूक नहीं रही है. त्योंहारों के वक्त मिठाइयों की डिमांड अचानक बढ़ जाती है और उसकी आपूर्ति संभव नहीं होती ऐसे में मिलावट का कारोबार बढ़ जाता है. दिवाली, भाईदूज, क्रिसमस, इयर एण्ड सेलिब्रेशन, शादियां कुछ ऐसे मौके होंगे जब जमकर मिठाइयां खाई और परोसी जाएंगी. ऐसे में सावधान रहने की जरूरत है.   

सीनियर फूड एण्ड न्यूट्रिशन ​विशेषज्ञ डॉ. श्वेता गुप्ता कहना है कि त्योंहारी मौसम के साथ अभी शादियों का सीजन भी  है. ऐसे में मिठाइयों और पकवान के चक्कर में कहीं आप अपने स्वास्थ्य से समझौता तो नहीं कर रहे यह बात अवश्यक समझ लें. क्योंकि लोग अपने लालच के चक्कर में सख्त कानूनों की भी परवान नहीं कर रहे और भुगतना आमजन को पड़ रहा है. ऐसे में हर मिठाई आपकी सेहत के लिए अच्छी है, ऐसा कतई नहीं है. 
 
मिलावट के तरीके


कई बार ऐसे प्रकरण सामने आए हैं कि शकरकंद, सिंघाड़े, मैदे, आटे, वनस्पति घी, आलू, अरारोट से ​नकली मावा तैयार किया जाता है. पनीर बनाने के लिए सिंथेटिक दूध का इस्तेमाल होता है. सिंथेटिक दूध यूरिया, कास्टिक सोडा, डिटर्जेन्ट पाउडर आदि के इस्तेमाल से बनाया जाता है. मिठाइयों को आकर्षक दिखाने के लिए अमानक और घटिया कृत्रिम रंग मिलाए जाते हैं. चांदी के वर्क की जगह एल्यूमीनियम फॉइल मिठाइयों पर लगाया जाता है. चॉकलेट घटिया स्तर की हैं तो जमाखोर पुराने सूखे मेवो को एसिड में साफ करके नया बताकर आपको बेच देते हैं. यह सब खाना स्वास्थ्य के लिए घातक है.

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क्यों जानलेवा है यह मिठाइयां


मिलावटी और घटिया स्तर की मिठाइयों, पकवानों से पेट से जुड़े विकार, फूड पॉइ​जनिंग का खतरा बढ़ जाता है. किडनी और लीवर पर बुरा असर होता है. आंखों की रोशनी, बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर नकारात्मक असर पड़ता है. घटिया सिल्वर फॉएल में एल्यूमीनियम की मात्रा ज्यादा होती है, जो शरीर के महत्वपूर्ण अंगों के ऊतकों और कोशिकाओं को डैमेज कर देता है. दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. हड्डियों तक की कोशिकाओं नुकसान पहुंचता है. सिंथेटिक दूध से बनी मिठाइयां और पनीर आहार नलिका में अल्सर पैदा करते हैं और किडनी को खराब करते हैं. एसिड में धोए गए सूखे मेवों से भी ऐसा ही खतरा रहता है. मिलावटी मिठाइयों में फॉर्मेलिन, कृत्रिम रंगों और घटिया सिल्वर फॉएल से लीवर, किडनी, कैंसर, अस्थमैटिक अटैक, हृदय रोग, मानसिक रोग जैसी घातक ​बीमारियां हो सकती हैं. गर्भवती महिलाओं के गर्भ में पल रहे शिशु में विकास पैदा हो सकते हैं. 

 

ऐसे बच सकते हैं


सबसे बेहतर विकल्प है बाजार की मिठाइयों और पकवानों से बचा जाए. घर पर ही मिठाइयां और पकवान बनाएं.
बाजार में बिकने वाली वर्क लगी, मावे की या कृत्रिम रंगों से बनी मिठाइयों से दूर रहें. जब भी कोई मिठाई खरीदें तो स्तरीय प्रतिष्ठान से खरीदें. खरीदने से पहले गुणवत्ता परख लें. शादी जैसे बड़े आयोजनों में पकवानों की गुणवत्ता जांचने का कोई तरीका नहीं होता, ऐसे में यहां मिलावटखोर माल खपाते हैं, इससे सावधान रहें.


सौजन्य. इंडिया हेल्थ