राजस्थान विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह में बोले राज्यपाल - मौलिक स्थापनाओं से जुड़ी शोध संस्कृति विकसित किए जाने की जरूरत


जयपुर। राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने विश्वविद्यालयों में मौलिक स्थापनाओं को दिशा देने वाली शोध संस्कृति विकसित किए जाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को प्राचीन ज्ञान के साथ वैश्विक स्तर पर हो रहे शोध एवं अनुसंधान से प्रत्यक्ष जुड़ने के अवसर मिलने चाहिए। राज्यपाल रविवार को राजस्थान विश्वविद्यालय के कन्वेंशन सेंटर में विश्वविद्यालय के 77वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित 32 वें दीक्षान्त समारोह में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर राजस्थान विश्वविद्यालय के केन्द्रीय पुस्तकालय भवन के सामने स्थित उद्यान में शिला पट्टिका का अनावरण कर संविधान उद्यान का शिलान्यास किया।

कुलाधिपति ने विश्वविद्यालय के गौरवमयी इतिहास की चर्चा करते हुए सभी को संविधान उद्यान के शिलान्यास की बधाई दी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले युवाओं को संविधान से जुड़े अधिकारों के साथ मौलिक कर्तव्यों और इसकी महान संस्कृति के बारे में जानकारी हो। इस उद्देश्य से राज्य के सभी वित्तपोषित विश्वविद्यालयों में संविधान उद्यान बनाने की पहल की गई है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल बनने के बाद से ही उनकी मंशा रही है कि संविधान से जुड़ी संस्कृति का अधिकाधिक प्रसार हो। उन्होंने कहा कि राजभवन में लोकार्पित संविधान उद्यान में भी संविधान की संस्कृति को विविध कला-रूपों में जीवंत किया गया है।

उन्होंने भारतीय संविधान को विश्वभर के लोकतंत्रों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या बताते हुए कहा कि संविधान देश को शासित करने से जुड़ा ग्रंथ भर नहीं है। यह हमारी उदात्त जीवन परम्पराओं का संवाहक है। उन्होंने विश्वास जताया कि विश्वविद्यालय में बनने वाला संविधान उद्यान युवाओं को संविधान के उच्च आदशोर्ं की सीख देगा। राज्यपाल ने कहा कि देश की नई शिक्षा नीति पूरी तरह से विद्यार्थी केंद्रित है। इसमें शिक्षा के साथ- साथ विद्यार्थियों के चारित्रिक निर्माण पर विशेष ध्यान दिया गया है। उन्होंने नई शिक्षा नीति के अंतर्गत ऎसे पाठ्यक्रम तैयार किए जाने का आह्वान किया जिससे विद्यार्थी विषय के साथ आस-पास के परिवेश के प्रति भी जागरूक बनें। 

कुलाधिपति ने विद्यार्थियों से सदैव नया सीखने के लिए प्रयासरत रहने का आह्वान करते हुए कहा कि पढ़े हुए ज्ञान को रटन्त रूप में नहीं बल्कि जीवन व्यवहार की शिक्षा के रूप में ग्रहण किया जाए। उन्होंने शिक्षकों को भी निरंतर अपने ज्ञान में अभिवृद्धि करने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि ऎसे विषय और संदर्भों पर कार्य किया जाना चाहिए जिनसे समाज और राष्ट्र को नई दिशा मिले। उन्होंने राजस्थान की लोक संस्कृति से जुड़ी खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किये जाने पर बल दिया। उन्होंने परिसर में तीरंदाजी प्रशिक्षण केन्द्र को देश के अग्रणी प्रशिक्षण केन्द्र के रूप में विकसित किये जाने का सुझाव दिया।

राज्यपाल ने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि विश्वविद्यालय के दो वैज्ञानिक शिक्षकों प्रो. आर.सी. महरोत्रा एवं प्रो. आई.पी. जैन को अमेरिका की प्रसिद्ध स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा एक अध्ययन के आधार पर शीर्ष भारतीय वैज्ञानिकों की सूची में शामिल किया गया है। उन्होंने प्रो. पी.जे. जॉन को अमेरिका की सोसाइटी ऑफ टॉक्सिकॉलोजी की 61वीं वार्षिक बैठक में ग्लोबल सीनीयर रिसर्च स्कॉलर एक्सचेंज प्रोग्राम अवार्ड से सम्मानित किए जाने पर बधाई दी।

राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में इनोवेशन क्लस्टर को जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान परिषद् द्वारा ई-युवा सेंटर के रूप में विकसित करने की स्वीकृति प्रदान करने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इससे यहां पढ़ने वाले विद्यार्थी शोध-अनुसंधान के वैश्विक नवाचारों से जुड़ सकेंगे। उन्होंने युवाओं में उद्यमिता से जुड़े नवाचार व स्टार्टअप की प्रवृति को अधिकाधिक बढ़ावा दिए जाने का आह्वान किया। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा गांव गोद लेने की पहल के अंतर्गत चौमूं के निकट टाटियावास गांव में करवाए गए विकास कायोर्ं की सराहना की।

दीक्षान्त समारोह के अवसर पर 395 विद्यार्थियों को पीएचडी की उपाधियां तथा विभिन्न परीक्षाओं में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए  गए। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजीव जैन ने प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत कर विश्वविद्यालय की शैक्षणिक, सह-शैक्षणिक गतिविधियों एवं विकास कायोर्ं के बारे में जानकारी दी।

राज्यपाल ने समारोह के आरम्भ में उपस्थित अतिथियों, शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं को भारतीय संविधान की उद्देशिका एवं संविधान में वर्णित मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया। एनसीसी कैडेट्स द्वारा राज्यपाल को गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल के प्रमुख विशेषाधिकारी श्री गोविन्द राम जायसवाल, विश्वविद्यालय कुल सचिव नीलिमा तक्षक, सिंडिकेट, सीनेट, शैक्षणिक परिषद् के सदस्यगण, शिक्षकगण एवं विद्यार्थीगण प्रत्यक्ष एवं ऑनलाइन उपस्थित रहे।