भाई पर CBI रेड पर बोले CM गहलोत- मैंने तो CBI-ED डायरेक्टर साहब से खुद टाइम मांगा था, 15 को मुकदमा दर्ज हो गया और 17 को रेड ही हो गई


राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने भाई अग्रसेन गहलोत पर सीबीआई रेड को लेकर बयान जारी किया है। उन्होंने इस मामले में ईडी और सीबीआई की कार्यशैली पर सवाल भी उठाया। उन्होंने कहा कि 'भई, मैंने तो टाइम मांगा था उल्टा सीबीआई के डायरेक्टर साहब से, ईडी के डायरेक्टर साहब से और इनकम टैक्स के चेयरमैन साहब से, 13 को टाइम मांगा, 15 को मुकदमा दर्ज हो गया और 17 को रेड हो गई। तो मुझे तो पता नहीं ये क्या अप्रोच है, ये समझ के परे है देखो और इस प्रकार के जो पहले क्राइसिस आया था हमारे ऊपर पॉलिटिकल, तब भी उनके यहां पर ईडी की रेड हुई थी जोधपुर के अंदर, 40-45 साल से ब्रदर अपने काम करते हैं और मैं अपना काम करता हूं, हमारे परिवार में सिस्टम कभी रहा ही नहीं और मैंने इतना अपने आपको इन्वॉल्व रखा राजनीति के अंदर कि घर में भी शादी-ब्याह होते हैं तो मैं वर्कर की तरह ही जाता हूं। अब मैं अगर दिल्ली में एक्टिव हूं या मैं राहुल गांधी जी के इस मूवमेंट में मैंने भाग लिया तो उसका बदला भाई से क्यों लिया जाता है? क्राइसिस सरकार पर आया था यहां पर जयपुर में, तब भी ईडी की रेड वहां पर हो गई जबकि उनका कोई संबंध ही नहीं है राजनीति से, उनके परिवार में कोई भी परिवार का सदस्य राजनीति में है ही नहीं और समझ के परे है कि इस प्रकार पहले छापे डाल दिए आपने ईडी के, अब पहुंच गई सीबीआई, ये समझ के परे है, इसको मैं समझता हूं कि आम जनता भी इसको लाइक नहीं करती है। धीरे-धीरे नुकसान बीजेपी को ही है.

 

उन्होंने कहा कि "इस सरकार को यह है कि जितना ज्यादा तंग करेंगे लोगों को पूरे मुल्क के अंदर उतना ज्यादा ही बैकलेश इनके लिए होगा मेरा मानना है। जैसे नरेंद्र मोदी जी के भाई को कोई नहीं जानता है देश के अंदर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री जी के भाई को कोई जानता नहीं था, उसी प्रकार से मेरे भाई को कोई नहीं जानता था, अब तमाम मीडिया चला रहा है कि सीबीआई का छापा पड़ गया उनके यहां, छापा पड़ गया, तो ये परिवार के जो सदस्य हैं उनका क्या कसूर है? कि अगर राजनीति में भाग ले रहा है कोई व्यक्ति, उसके परिवारवाले पर अटैक हो और वो भी सरकार द्वारा, मैं समझता हूं कि उचित नहीं कहा जा सकता है। इससे कोई हम घबराने वाले नहीं हैं। आज मैं आया हूं, संडे को मैं वापस जाऊंगा, दिल्ली जाऊंगा, मंडे को वापस भाग लूंगा वहां पर मूवमेंट के अंदर, आप अन्याय कर रहे हो सोनिया गांधी जी पर और राहुल गांधी जी पर, हम बार-बार कह रहे हैं कि वो नॉन-प्रॉफिटेबल कंपनियां हैं, वहां का 1 रुपया भी सोनिया गांधी जी, राहुल गांधी जी नहीं ले सकते हैं चाहें तो भी। तो जब आप प्रॉफिट ले ही नहीं सकते हो उसके अंदर, तो मनी लॉन्ड्रिंग कैसे हो गई ये बताएं? तब भी तंग किया जा रहा है। तो ये पूरा देश देख रहा है, इसीलिए लोगों में आक्रोश भी है, कार्यकर्ताओं में भी बहुत भयंकर आक्रोश पैदा हुआ, इसलिए लोग दिल्ली तक आ रहे हैं और मैं समझता हूं कि ये ध्यान डायवर्ट करने के लिए, देखिए आप महंगाई बड़ा मुद्दा है, बहुत भारी मुद्दा है, बेरोजगारी बहुत बड़ा मुद्दा है, तनाव है गांव-गांव में, मैं बार-बार कहता हूं कि लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि हिंदू-मुसलमानों के बीच में इतनी बड़ी दरार हो गई है, अविश्वास हो गया है कि पता नहीं जिसका बस चलेगा वो अटैक नहीं कर दे हमारे ऊपर, जिसकी संख्या कम होती है वो ज्यादा डरता है, चाहे वो हिंदू हो या मुस्लिम हो, क्या ये देशहित में है क्या? देश इस प्रकार विकास कर पाएगा क्या? जब अशांति रहेगी, तनाव रहेगी तो? प्रेम-भाईचारा, आपस में मोहब्बत होनी चाहिए, हिंसा को बर्दाश्त नहीं करेंगे ये प्रधानमंत्री जी को हम रिक्वेस्ट कर रहे हैं कहने के लिए, मैंने तो हाथ जोड़ दिए। प्रधानमंत्री को मैं हाथ जोड़ता हूं कि आप अभी जो माहौल देश में बन गया है, कारणों पर मत जाओ मान लीजिए, नहीं जाना चाहते तो नहीं जाएं, पर कम से कम उनको अपील करनी चाहिए कि मैं चाहूंगा देश में शांति, भाईचारा, प्यार-मोहब्बत से सब रहें और हिंसा को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे, ये प्रधानमंत्री जी को कहने में क्या ऐतराज है? न प्रधानमंत्री जी कह रहे हैं, न गृहमंत्री जी कह रहे हैं, तो पूरा देश सकते के अंदर है, घबराया हुआ है, वो भावना वहां तक पहुंच नहीं रही है, मैं समझता हूं कि यही बात है इसलिए वो बोल नहीं रहे हैं वो, एक न एक दिन उनको ये अपील करनी पड़ेगी देशहित के अंदर। इन हालातों में आप देखिए ध्यान डायवर्ट करने के लिए कभी राहुल गांधी जी को ईडी ने अचानक बुला लिया, 8 साल पहले का केस है, अब क्यों बुलाया गया? अब ये आपका अग्निवीर और अग्निपथ नया शुरू कर दिया, पहले अगर मान लो कोई आपके दिमाग में कोई सोच थी, तो कोई दिक्कत नहीं है, अगर वो सोच थी, देशहित में थी मान लो, जैस इजरायल के अंदर इस प्रकार का प्रोसेस होता है वो ऐसा नहीं होता है, वो बिलकुल वहां का सिस्टम दूसरा है, वहां की आबादी पूरे इजरायल की 80 लाख है, राजस्थान की आबादी 8 करोड़ है तो आप सोच सकते हो कि कितना छोटा सा इजरायल है, वहां पर अगर इस प्रकार से वहां पर सरकारी कर्मचारी, अधिकारी, स्टूडेंट, यूथ सबके लिए है स्कीम है ये, अलग तरह का वहां पर ट्रेनिंग दी जाती है। अगर आपको इजरायल की तरह बात आपके दिमाग में आई, तो देशवासियों को, युवाओं को विश्वास में लेना चाहिए था आपको, अचानक आपने जो लोग इंतजार कर रहे थे लाखों लोग नौकरी का, उसकी बजाय आपने थोप दिया उसके ऊपर अग्निपथ और अग्निवीर, अब मुझे तो चिंता लगी हुई है कि कहीं ये आरएसएस के नौजवान जो हैं उनको, बीजेपी के नौजवानों को भर्ती करके 4 साल की ट्रेनिंग दिलाकर उनको कहां भेजेंगे? वहां इजरायल में तो स्कीम बनी हुई है उनकी पूरी, वहां नौकरियों की कमी नहीं है, वहां मैनपावर की कमी है, हमारे यहां मैनपावर की कमी नहीं है नौकरियों की कमी है, उल्टा मामला है हमारे देश के अंदर, तो आप इजरायल से कंपेयर नहीं कर सकते हो, हमारे यहां नौकरियां हैं ही नहीं और लोग बेरोजगार बहुत ज्यादा हैं, वहां उल्टा मामला है, नौकरियां ही नौकरियां हैं, पर व्यक्ति नहीं मिल रहा है वहां पर, आदमी नहीं मिल पा रहा है, इसलिए उन्होंने एक सिस्टम बना रखा है। यहां जो ये ध्यान डायवर्ट करने के लिए कि महंगाई, बेरोजगारी, टेंशन, हमारे ऊपर कोई ब्लेम नहीं आए, इसलिए आपने शगूफ़े छोड़ दिए ये नए-नए और उसी में पूरा देश जो है पूरा मीडिया उसमें लग गया है, तो ये तमाम बातें हमारे सामने हैं और मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि ये जो हरकतें हो रही हैं इनकी, ये इनके लिए भारी पड़ेंगी, ये मैं कह सकता हूं। उन्होंने यह भी कहा कि '50 साल से मैं राजनीति कर रहा हूं, क्या तो डराएंगे-धमकाएंगे, जो कल राजनीति में आए हैं, इनकी अभी रगड़ाई भी नहीं हुई है अभी इनकी क्योंकि ये बड़े-बड़े पद पर आ गए, बिना रगड़ाई के पद पर आ गए बड़े-बड़े पद पर आ गए, चाहे बीजेपी के हों चाहे कोई लोग हों, एनएसयूआई, यूथ कांग्रेस में लोग आते हैं तो रगड़ाई पूरी होती है उनकी, तब नेता बनता है। इनकी पार्टी में भी कई लोग आ गए ऊपर से, अचानक आ गए हैं और सरकारें आ गईं मोदी जी के नाम पर, बड़े-बड़े पद पर आ गए, पर जो रगड़ाई होती है, जिस प्रकार से ग्रूमिंग होती है, रगड़ाई का मतलब ग्रूमिंग है, उसके बाद में वो कोई पद भी प्राप्त करते हैं तो फिर वो जिम्मेदारी के साथ में बिहेव करता है, वो फिर इस प्रकार की हरकतें नहीं करते हैं। मैं टाइम मांग रहा हूं उनसे, आज भी मैं ये कहना चाहूंगा, मैं पुनः टाइम मांगूंगा तीनों एजेंसियों के हैड से क्योंकि ये तीनों प्रीमियर एजेंसीज हैं हमारे देश की, प्रतिष्ठित संस्थाएं हैं सीबीआई, इनकम टैक्स और ईडी। मैं चाहूंगा कि मैं एज ए मुख्यमंत्री, एज ए नागरिक मैं उनको बताऊं कि देश में आपके बारे में क्या ओपिनियन बनी हुई है, क्यों बनी हुई है, क्या उनको सुनने में तकलीफ होती है क्या? हम लोग आज मुख्यमंत्री हैं, प्रधानमंत्री हैं, जनता कोई बात कहती है, अच्छी भी लगती है, नहीं भी लगती है, तब भी लोकतंत्र में सुनी जाती है, तो ये तो ब्यूरोक्रेट हैं, इनको हमारी बात सुननी चाहिए।