बेहतर वायु परिसंचरण और सूर्य के प्रकाश की सुविधा देने के लिए वास्तुकला पर हो पुनर्विचार: उपराष्ट्रपति


नई दिल्ली. उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने भवनों के भीतरी भागों (इनडोर) में बेहतर वायु परिसंचरण और सूर्य के प्रकाश की सुविधा देने के लिए वास्तुकला पर पुनर्विचार करने का आह्वान किया है. उन्होने कहा कि 'कोविड ने हमें याद दिलाया है कि जिस हवा में हम सांस लेते हैं वह भी हमारे स्वास्थ्य और भलाई को निर्धारित करती है. वायु की बिगड़ती गुणवत्ता के संबंध में, उपराष्ट्रपति ने कहा कि 'स्थायित्व के दृष्टिकोण से विकास का पुनर्मूल्यांकन करने की जरूरत है.' 

उपराष्ट्रपति ने इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी पर दूसरे वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया करते  हुए यह बात कही. उन्होने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिक निदान और स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थापना की आवश्यकता है. 

नायडु ने उन शोध अध्ययनों का उल्लेख किया जो यह दिखाते हैं कि सामान्य सांस लेने या बात करने से भी विषाणुओं (वायरस) का हवा में संचरण हो सकता है क्योंकि वायरस घंटों तक हवा में निलंबित रहते हैं। उन्होंने कहा कि खराब वायु संचरण (वेंटिलेशन) वाले भीड़भाड़ के स्थान वहां स्थिर हवा के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों के लिए उच्च संक्रमण का खतरा पैदा कर सकते हैं।

इस संबंध में, उन्होंने पर्याप्त वायु संचरण (वेंटिलेशन) और प्राकृतिक प्रकाश के साथ रहने और काम करने की जगह बनाने का आह्वान किया और चिकित्सा समुदाय से इस संदेश को लोगों तक ले जाने का आग्रह किया।