अक्ष ऑप्टिफाइबर कंपनी पर लगे बड़े घोटाले के आरोप, कंपनी के स्वतंत्र निदेशक ने ही 600 करोड़ के घोटाले का लगाया आरोप


नई दिल्ली. ऑप्टिफाइबर, नेटवर्क कनेक्टिविटी, एनर्जी इफिसिएंट प्रोडक्ट्स, ऑप्टिक लेंस, स्मार्ट सिटी, ई-मित्रा, आईटी सहित कई क्षेत्रों में काम करने वाली जानी मानी कंपनी अक्ष ऑप्टिफाइबर विवादों में घिरती नजर आ रही है. कंपनी पर प्रमोटर्स को कम से कम 600 करोड़ रुपए की चपत लगाने का बड़ा आरोप लगा है.

बड़ी बात यह है कि आरोप लगाने वाला कोई और नहीं बल्कि कंपनी के ही एक स्वतंत्र निदेशक अरविंद गुप्ता हैं. उन्होंने वित्‍त मंत्रालय और बोर्ड को लिखी चिट्ठियों में यह आरोप लगाया है. आरोप लगाते हुए कहा कि कंपनी प्रमोटर्स ने कानून कायदे ताक में रखकर फर्जी कंपनियां यानी Shell Companies बनाईं और अज्ञात पार्टियों से सौदे किए. इतना ही नहीं इन फर्जी कंपनियों के जरिये गोल्‍ड-प्‍लेटेड तक इम्‍पोर्ट किया. और तो और विदेश से की गई खरीदारी जितने की हुई उसकी वास्तविक कीमत से ज्यादा के ज्‍यादा के चालान यानी Over-Invoice बनाए गए. इस तरह की कारगुजारियों से कंपनी के खातों में धोखाधड़ी करने का आरोप अरविंद गुप्ता ने लगाए हैं.

गुप्ता के आरोपों के मुताबिक अक्ष ऑप्टिफाइबर लिमिटेड के प्रमोटर कैलाश एस. चौधरी और को-प्रमोटर पोपटलाल फूलचंद संदेश के फर्जीवाड़े के कारण शेयरहोल्‍डर्स और बैंकर्स को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. 26 जून 2020 को भेजे पत्रों में कंपनी के फॉरेंसिक ऑडिट (Forensic Audit) की मांग तक की गई थी. ताकि और आगे धोखाधड़ी ना हो. गुप्ता के मुताबिक प्रमोटर्स ने निवेशकों और बैंकर्स को कम से कम 600 करोड़ रुपये का चूना लगाया है. शेल कंपनियां बनाकर किया गया निवेश भी इसी तरह नियम कायदों को ताक में रखकर किया गया.

आरोपों के मुताबिक कंपनी ने प्‍लांट, मशीनरी और सस्‍ते कच्‍चे माल की खरीद के बड़े चालान बनाए. नियम कायदों से परे अक्ष ऑप्टिफाइबर की सर्विसेस और दूसरे इनपुट के बड़े बिल बनाए गए. इसमें चीफ फाइनेंशियल पार्टर, प्रबंध निदेशक और बोर्ड के दूसरे डायरेक्‍टर्स की भी मिलीभगत थी.

दिल्‍ली की अक्ष ऑप्टिफाइबर ऑप्टिक फाइबर, ऑप्टिक फाइबर केबल, ऑप्टिक लेंस बनाती है. कंपनी में प्रवर्तकों की हिस्‍सेदारी 27.95% है और मार्च, 2020 के आंकड़ों के मुताबिक कंपनी में पब्लिक होल्डिंग 72.05% है.

उधर अक्ष कंपनी के अन्य बोर्ड मेंबर्स ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है, उनका कहना है कि आरोप निराधार हैं. अरविंद गुप्ता दुर्भावना के तहत ऐसे आरोप लगा हैं, वो कंपनी की हर तरह की जांच के लिए तैयार हैं.

गौर करने वाली बात अरविंद गुप्‍ता ही कथित तौर पर वह व्यक्ति हैं जिन्होंने ICICI-Videocon धोखाधड़ी मामले का खुलासा किया था. और इस खुलासे के बाद बैंकर चंदा कोचर जैसे दिग्गज आरोपी बने और अपने पद से हाथ धोना पड़ा था. अक्ष ऑप्टिफाइबर लिमिटेड से जुड़े इस मामले में यह पहली बार हुआ है कि किसी स्‍वतंत्र निदेशक ने एक सूचीबद्ध कंपनी में वित्‍तीय घोटाले को उजागर करने की कोशिश की.

बहरहाल इस पूरे मामले के मीडिया में आने के बाद कंपनी सवाल जवाब के दौर से गुजर रही है, और वित्त मंत्रालय ने भी इस मामले पर जांच का मन बना लिया है ताकि शेयर धारकों के साथ किसी भी तरह की धोखाधड़ी कंपनी ना कर सके. यदि कंपनी के स्वतंत्र निदेशक अरविंद गुप्ता के आरोप सही साबित होते हैं तो यह देश में एक और बड़ी कॉरपोरेट धोखाधड़ी का मामला हो सकता है.