अलविदा 'मिग-27', पढें दुनिया का इतिहास बने 'मिग-27' से जुड़े 10 बड़े फैक्ट


जोधपुर. कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मनों के होश फाख्ता करने देने वाला, खतनाक 'बहादुर' मिग-27 अब पूरी तरह से भारतीय वायुसेना से विदा हो चुका है. मिग-27 की जोधपुर स्थित स्क्वाड्रन न सिर्फ दक्षिण पश्चिमी वायु कमान, बल्कि समूचे देश की मिग-27 की अंतिम स्क्वाड्रन थी. दुनिया में इतिहास बन चुका लडाकू विमान मिग-27. जानकारों के मुताबिक जोधपुर वायुसेना स्टेशन में मिग-27 की अंतिम स्क्वाड्रन की सेवानिवृत्ति के बाद, यह विमान न सिर्फ भारत (India), बल्कि पूरे विश्व में एक इतिहास बन गया है.

 

मिग-27 से जुड़े 10 बड़े फैक्ट:

1- मिग-27 को भारतीय वायु सेना के बेड़े में 1985 में शामिल किया गया था.

2- यह अत्यंत सक्षम लड़ाकू विमान ज़मीनी हमले की क्षमता का आधार रहा है. वायु सेना के सभी प्रमुख ऑपरेशन्स में भाग लेने के साथ मिग-27 ने 1999 के कारगिल युद्ध में भी एक अभूतपूर्व भूमिका निभाई थी. कारगिल जंग के दौरान मिग-27 फाइटर जेट्स का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हुआ था, युद्ध में काफी अहम भूमिका अदा की थी.

3- रक्षा मंत्रालय ने मिग-27 को लेकर कहा, 'इन एयरक्राफ्ट्स ने युद्ध काल हो या फिर शांति का दौर भारत के लिए अहम भूमिका अदा की. कारगिल की ऐतिहासिक जंग में इनका अहम योगदान था. तब इन फाइटर जेट्स ने दुश्मन के ठिकानों पर चुन-चुनकर रॉकेट और बम बरसाए थे. इसके अलावा ऑपरेशन पराक्रम में भी मिग-27 की अहम भूमिका थी.'

4- पावरफुल R-29 इंजन की मदद से यह फाइटर कम ऊंचाई पर बहुत तेजी से उड़ान भरने में सक्षम रहे. 1985 में भारत में ही असेंबल किए गए 165 मिग-27 विमानों को भारतीय वायुसेना ने अपने बेड़े में शामिल किया था.

5- मिकोयान मिग-27 एक रुसी लड़ाकू विमान है. मूल रूप से इसे सोवियत संघ में मिकोयान-गुरेविच ब्यूरो द्वारा डिज़ाइन और निर्मित किया गया था. बाद में लाइसेंस पर भारत में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स द्वारा बहादुर विमान के रूप में भी इसे निर्मित किया.

6- यह ग्राउंड अटैक की भूमिका में काफी अहम रोल में रूस और यूक्रेन वायु सेना से मिग-27 पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं. अब 27 दिसम्बर 2019 को भारत भी इसके फेयरवेल दे चुका है.

7- इसे 1 पायलट चालक दल सदस्य के रुप में चलाता है. लंबाई लगभग 56.04 फीट (17.08 मीटर), चौड़ाई लगभग 45.83 फीट (13.97 मीटर), ऊंचाई लगभग 16.40 फीट (5 मीटर) होती है जबकि वजन लगभग 26,257 पाउंड (11,910 किलोग्राम) होता है.

8- यह 1,885 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ने में सक्षम है.

9- कहने को तो मिग-27 ने करगिल में अहम भूमिका अदा की हो, लेकिन बीते कुछ सालों में इन जेट्स को कई बार हादसों का शिकार होना पड़ा है. यहां तक कि मिग-27 को हादसों के लिए ही जाना जाने लगा था. इसे 'उड़ता ताबूत' भी कहा जाने लगा. पश्चिमी देशों में तैयार फाइटर जेट्स के मुकाबले इन्हें काफी असुरक्षित माना जाता था. भारतीय वायुसेना ने 10 फीसदी मिग-27 क्रैश में ही गंवाए हैं.

10- मिग-27 का पुराना वर्जन पहले ही सेवा से बाहर कर दिया गया था. 2006 में अपडेट किया गया मिग-27 का वर्जन एयरफोर्स में सेवाएं दे रहा था. बाद में इसके स्थान पर वायु सेना ने मिग-21 फाइटर जेट की सेवाएं लेना शुरू कर दिया.