पायलट के बाद अब वसुंधरा खेमा भी शक्ति प्रदर्शन की राह पर, दोनों ही अनदेखी से खफा  


जयपुर. राजस्थान में दो दिग्गज नेताओं के शक्ति प्रदर्शन प्रदेश की सियासत में इस वक्त चर्चा का विषय हैं. अब तक अपनी अनदेखी से खफा पायलट खेमा लगातार किसान आंदोलन के समर्थन में अपनी भारी भीड़ वाली सभाएं करके लगातार शक्ति प्रदर्शन कर रहा था वहीं अब 8 मार्च को भरतपुर में मनाए जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे के जन्मदिन के बहाने उनके खेमे के विधायक भी शक्ति प्रदर्शन की तैयारी में हैं.

बड़ी बात यह है कि एक ओर जहां पायलट गुट उनके नेताजी की अनदेखी से खफा और निराश है वहीं दूसरी ओर वसुंधरा राजे गुट की भी यही पीड़ा है कि बीजेपी प्रदेश संगठन और आला स्तर पर उन्हे जो तवज्जो मिलनी चाहिए वो नहीं मिल रही है. ना ही राजे को अगला सीएम पद के चेहरे के तौर पर प्रमोट किया जा रहा. यही कारण रहा कि गहलोत सरकार के पर आए संकट के वक्त भी वसुंधरा राजे खेमे ने सियासी उठापटक का विरोध किया. और तो और राजे समर्थक विधायकों ने इस उठापटक को राजनीतिक परम्पराओं के खिलाफ तक बता दिया. 

इसी कड़ी में अब 8 मार्च को वसुंधरा राजे के जन्मदिन के बहाने ही सही एक बड़े सियासी शक्ति प्रदर्शन की तैयारी है. कांग्रेस के पायलट और बीजेपी की वसुंधरा भले ही दोनों इस मसले पर खुलकर बयानबाजी से बच रहे हों लेकिन मानों दोनों एक ही बात कह  रहे हों कि 'किसी बात पर मैं किसी से खफ़ा हूँ, मुझे दोस्तों से शिक़ायत है शायद, मुझे दुश्मनों से मुहब्बत है शायद, मैं इस दोस्ती दुश्मनी से खफ़ा हूँ.' पर अब इन सबके बीच जब अनदेखी हो रही है हो तो शक्ति प्रदर्शन ही राजनीति में अपने ओहदे का अहसास कराने का सबसे बेहतर जरिया है. 
यही कारण है कि अब वसुंधरा राजे के इस प्रस्तावित शक्ति प्रदर्शन को लेकर बीजेपी संगठन में भी ठीक वैसी ही खलबली मची हुई है जैसी की पायलट की सभाओं और रैलियों से मची हुई थी. राजे 8 मार्च को अपने जन्मदिन पर भरतपुर जिले से धार्मिक यात्रा कर रही हैं. इस धार्मिक यात्रा को भी शक्ति प्रदर्शन से जोड़ कर देखा जा रहा है क्योंकि इसकी तैयारियां पूरे जोर शोर से चल रही हैं. इतना ही नहीं कोटा में वसुंधरा समर्थकों की ओर से उन्हें दोबारा सीएम फेस बनाने की मांग उठाई गई है तो कई उनके खेमे के विधायक लगातार राजे की अनदेखी से नाराज हैं. वहीं अब अब विधानसभा में बोलने का अवसर ना मिल पाने की भाजपा विधायकों की ओर से की गई शिकायत ने भी राजनैतिक सरगर्मी बढ़ा दी है. जो कहीं ना कहीं आभास करा रहा है कि राजस्थान की भाजपा में भी अब कांग्रेस के बाद बगावत होने की तैयारी है. रूक रूक कर लगातार बीजेपी में सामने आ रही बयानबाजी, गुटबाजी और ऐसी कुछ गतिविधियां हैं जिन्होंने राजनीति के पारे को चढ़ा दिया है. 
बहरहाल देखना होगा बीजेपी में समय रहते वसुंधरा राजे की सुन ली जाती है या उन्हे मना लिया जाता है या फिर उनका यह अप्रत्यक्ष शक्ति प्रदर्शन राजस्थान की राजनीति में एक अलग हलचल पैदा करता है.