क्या राजस्थान में परिवहन मंत्री बनाना 'दूध की रखवाली बिल्ली को' देने जैसा साबित हुआ!


जयपुर (राजस्थान). कांग्रेस की वर्तमान सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे चर्चित और बड़ी कार्रवाई में परिवहन विभाग के कई बड़े अधिकारी, दलाल तो फंसे ही पर क्या खुद विभाग के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास भी इसमें फंस गए हैं! कांग्रेस के ही अंदर अपने ही मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के खिलाफ विधायक और मंत्री खुलकर सामने आ गए हैं. कारण साफ है मंत्री जी खुद के विभाग में हुई कार्रवाई से इतने हतोत्साहित और खफा नजर आ रहे हैं कि वो एंटी करप्शन ब्यूरो की इस कार्रवाई पर ही सवाल उठा रहे हैं. और तो और उनके बयान कहीं ना कहीं पकड़े गए दलालों और अधिकारियों के प्रति सहानुभूति प्रकट करने जैसे नजर आ रहे हैं.

राजस्थान विधानसभा में जब मामला गर्माया तो प्रताप सिंह ने कहा 'एसीबी की ऐसी कार्रवाई से अधिकारियों में भय का माहौल है, भ्रष्टाचार के मामलों में पकड़े गए कई आईएएस, आईपीएस आज भी ऑन रोल हैं, एसीबी ने केवल एक ही इंस्पेक्टर पकड़ा है बाकी सबके घरों पर कार्रवाई की है, प्राइवेट बस ऑपरेटर के यहां से पैसा जब्त हुआ है.' और तो और इस कार्रवाई के बाद प्रताप सिंह ने अधिकारियों को दलाली और बंधी के लिए फटकारना या चेतावनी देना तो दूर उनके प्रति जो सहानुभूती जताई उससे मंत्रीजी पर सवाल उठना लाजमी हो गया. परिवहन विभाग के अधिकारियों की बैठक में मंत्रीजी ने चिंता जताते हुए कहा कि 'परिवहन विभाग के अधिकारियों में डर बैठ गया है, वे सड़क पर अपना काम नहीं कर पा रहे हैं, अगर निरीक्षक, डीटीओ और आरटीओ डर जाएंगे तो सड़क पर राजस्व कैसे अर्जित किया जाएगा.' यानी उलटा सरकार पर ही अप्रत्यक्ष रुप से दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है.

उधर कांग्रेस के विधायकों और मंत्रियों में अंदरखाने चर्चा है कि वो तो पहले ही कह रहे थे कि प्रताप सिंह को परिवहन मंत्री बनाना 'दूध की रखवाली बिल्ली को' देने जैसा साबित होगा और ऐसा हुआ भी. क्योंकि जो लोग इस कार्रवाई में पकड़े गए उनमें से कई अधिकारी और दलाल मंत्रीजी के करीबी बताए, और तो और उनकी मित्रमंडली और रिश्तेदारी में भी कई लोग ट्रांसपोर्ट व्यापार से जुड़े हैं. ऐसे में मंत्री जी को अब उनके ही पार्टी के नेता घेर रहे हैं. इसका अंदाजा इसी बात से भी लगाया जा सकता है कि इस कार्रवाई के बाद जमकर सोशल मीडिया पर 'प्रताप सिंह खाचरियावास इस्तीफा दो' ट्रेंड होने लगा जिसको ट्रेंड कराने में कांग्रेस की ही टीम लगी थी.

बताया जा रहा है कि मंत्री प्रतापसिंह को उनका बडबोलापन भी भारी पड़ा. राजस्थान प्रदेश कांग्रेस की ओर से हाल में जयपुर कलक्ट्रेट के बाहर दिए गए धरने के दौरान परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और पूर्व मंत्री व विधायक मुरारी लाल मीणा के बीच नोक-झोक हो गई. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उप मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट की मौजूदगी में हुई इस नोक-झोंक ने धरने में मौजूद सभी मंत्रियों, नेताओं और कार्यकर्ताओं का ध्यान खींचा. दरअसल खाचरियावास का जब सम्बोधन भाषण चल रहा था तो इस दौरान पास ही बैठे विधायक मुरारी मीणा ने उन्हें टोकते हुए कहा, 'आप इधर-उधर की नहीं, आरक्षण की बात बोलिये.' इधर, विधायक मुरारी मीणा के टोकने से हुए व्यवधान पर खाचरियावास ने भाषण रोकते हुए पलटवार किया. परिवहन मंत्री ने मुरारी के मशवरे से नाराज़ होते हुए कहा, 'आप तय नहीं करोगे मुझे क्या बोलना है.' बस फिर क्या था इसी दिन शाम को परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार के खिलाफ यह बड़ी कार्रवाई हो गई और मुरारी मीणा समर्थकों ने इस ट्रेंड को तेजी से चलाया. और प्रताप सिंह के इस्तीफे की मांग पुरजोर की.

कांग्रेस पार्टी के विधायक राजेन्द्र गुढा ने अपनी ही सरकार के मंत्री को घेरते हुए कहा कि 'दाल में काला नहीं पूरी दाल ही काली है, 90% अधिकारी भ्रष्ट हैं, ऊपर तक मंथली पहुंचाते हैं, यह कार्रवाई तो छोटा सा ट्रेलर मात्र है.'

वहीं वरिष्ठ कांग्रेस विधायक रामनारायण मीणा ने कहा कि 'कोई दूध का धुला नहीं है, भ्रष्टाचारों को बीजेपी की मंत्रीमंडलीय कमेटी क्लीन चिट दे देती है, तो हमारी मंत्रीमंडलीय कमेटी भी ऐसे ही भ्रष्टाचारों को क्लीच चिट दे देती हैं. जबकि सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.

इन सबके बीच सबसे महत्वपूर्ण बयान राजस्थान सरकार के खाद्य मंत्री रमेश मीणा का आया, चूंकि मीणा ही वो शख्स थे जिन्होने सबसे पहले 29 अगस्त 2019 को कोटा-बूंदी मार्ग पर परिवहन विभाग के निरीक्षक को वाहनों से अवैध वसूली करते रंगे हाथों नोटों की गड्डी के साथ पकड़ा था और विभाग में अवैध वसूली के धंधे का भंडाफोड़ किया था. उन्होने कहा कि 'मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और एसीबी इस कार्रवाई के लिए बधाई के पात्र हैं, अधिकारियों में जब तक भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई का डर नहीं होगा तब तक वो आमजन की सेवा नहीं करेंगे और ऐसे ही अवैध वसूलियों से सरकार को बदनाम करते रहेंगे. जबकि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टोलरेंस की नीति पर काम कर रही है.'

बीजेपी सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि 'बिना राजनैतिक संरक्षण के करोड़ों की बंधी वसूलना संभव नहीं है, वो भी सत्ता के केन्द्र राजधानी जयपुर में ही. परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और इस मामले में पकड़े गए आरोपी गोल्ड लाइन ट्रांसपोर्ट कंपनी के जसवंत सिंह यादव के संबंध जगजाहिर होने चाहिए, एसीबी को निष्पक्ष जांच करनी चाहिए, कोई दबाव एसीबी पर नहीं होना चाहिए.'

मंत्री प्रताप सिंह के सामने चुनाव लड़ चुके बीजेपी विधायक अशोक लाहोटी ने भी विधानसभा सत्र के दौरान मौके का पूरा फायदा उठाते हुए मंत्रीजी को ऐसा घेरा की जवाब देते नहीं बना. लाहोटी ने कहा कि 'एसीबी की कार्रवाई सराहनीय है लेकिन सरकार और एसीबी को पूरा खुलासा करना चाहिए कि आखिर पकड़ी गई यह रकम कहां पहुंचाई जा रही थी, किस किस को यह पैसा बंटना था, कौन कौन से बडे अधिकारी और राजनेताओं को यह पैसा जाना था.'

इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा, पकड़े गए दलालों और अधिकारियों पर कानूनी कार्यवाही होगी.

- शांति धारीवाल, संसदीय कार्यमंत्री, राजस्थान

 

बहरहाल आखिर क्या कारण है कि परिवहन विभाग के मंत्री इस कार्रवाई से तिलमिलाए हुए नजर आ रहे हैं जबकि विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष के लोग भी इस कार्रवाई से खुश हैं. हालांकि अवसरों का लाभ उठाना राजनीति का पुराना खेल है लेकिन सच में अगर एसीबी मामले तह तक जाएगी तो पता चलेगा 'पिक्चर अभी बाकी है.' फिलहाल भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) दलालों के जरिये वाहन मालिकों को डरा-धमकाकर परिवहन विभाग के अफसरों की ओर से मासिक बंधी वसूलने के इस बड़े खेल में राजस्थान परिवहन विभाग के 2 डीटीओ, 6 इंस्पेक्टर और 8 दलालों से लगातार राज उगलवाने में लगी है और करोड़ों के केश और लेनदेन की जानकारियां एसीबी के हाथ लग चुकी हैं. कई महत्वपूर्ण साक्ष्य हाथ लगे हैं जिनपर गहनता से जांच जारी है. उधर लोग सीएम अशोक गहलोत की भी इस कार्रवाई के लिए सराहना कर रहे हैं.