वेदांता समूह ने बढाई चीन की चिंता, ताइवान की कंपनी फॉक्‍सकॉन के साथ मिलकर 1.54 लाख करोड़ में गुजरात में लगाया जाएगा एक बड़ा सेमीकंडक्‍टर प्‍लांट


नई दिल्ली। वेदांता समूह ने चीन की नींद उड़ा दी है। चीन को एक बड़ा झटका देते हुए इंडियन मल्टीनेशनल माइनिंग कंपनी वेदांता ने गुजरात के अहमदाबाद में ताइवान की कंपनी फॉक्‍सकॉन के साथ मिलकर एक बड़ा सेमीकंडक्‍टर प्‍लांट लगाने की घोषणा कर दी है। और सीधे तौर पर इस सेक्टर में चीन के दबदबे को चैलेंज कर दिया है। चीन की चिंता बढ़ गई है कि पहले दुनिया के देश इसके लिए चीन और ताइवान पर ही निर्भर रहते थे। अब भारत इस मिथक को तोड़ देगा।

बताते चले कि वेदांता भारत की एक बड़ी कंपनी है, जिसका हेडक्वार्टर मुंबई में है। जो गोवा, कर्नाटक, राजस्थान और ओडिशा में लौह अयस्क, गोल्ड और एल्युमिनियम माइन्स में बहुत बड़ा काम करती है। अमेरिका सहित दुनिया के दिग्गज देश भी सेमीकंडक्‍टर के लिए ताइवान जैसे कुछ छोटे देशों पर निर्भर हैं। यही वजह है कि चीन हमेशा से ताइवान पर कब्जा करने की कोशिश करता रहा है।

इस मौके पर वेदांता समूह के प्रमुख अनिल अग्रवाल ने कहा कि "आज एक नया इतिहास कायम हुआ है! मुझे ये शेयर करते हुए खुशी हो रही है कि गुजरात में वेदांता फॉक्सकॉन एक नया सेमीकंडक्टर प्लांट स्थापित करेंगे। वेदांता का महत्वाकांक्षी ₹1.54 लाख करोड़ का ऐतिहासिक निवेश भारत की आत्मानिर्भर सिलिकॉन वैली को एक वास्तविकता बनाने में मदद करेगा।"

बता दें कि भारत के सेमीकंडक्टर बाजार के 2026 तक 6300 करोड़ डॉलर तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है। 2020 में यह सिर्फ 1500 करोड़ डॉलर का था। अभी अमेरिका सहित दुनिया के दिग्गज देश भी सेमीकंडक्‍टर के लिए ताइवान जैसे कुछ छोटे देशों पर निर्भर है। उदाहरण के तौर पर बता दें कि चिप की किल्लत के चलते ऑटो और स्मार्टफोन इंडस्ट्री पर बुरा असर पड़ा था। पिछले दिनों जब अमेरिकी संसद के निचले सदन की प्रतिनिधि प्रतिनिधि नैंसी पेलोसी ताइवान की यात्रा पर गई थींए तो चीन भड़क उठा था। नौबत अमेरिका और चीन के आमने.सामने खड़े होने से युद्ध तक की आ गई थी। तब नैंसी पेलोसी ने ताइवान की सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉरपोरेशन द्ध के अध्यक्ष मार्क लुई से मुलाकात की थी। टीएसएमसी दुनिया की सबसे बड़ी चिप निर्माता कंपनी मानी जाती है। अमेरिका हो या अन्य बड़े देशए चिप के लिए इसी कंपनी पर निर्भर हैं। अमेरिका भी अपने यहां सेमीकंडक्टर का बेस तैयार करने की कोशिश कर रहा है। चीन को यह पसंद नहीं। चीन ऐसे ही कई कारणों से ताइवान को कब्जे में रखना चाहता है।

बता दें कि सेमीकंडक्टर्स को कंप्यूटर चिप्स या चिप्स कहते हैं। यह सभी नेटवर्क उपकरणों का अहम हिस्सा है। घरेलू उपकरण से लेकर डिफेंस और अंतरिक्ष विज्ञान तक तक में यह बहुत महत्वपूर्ण है।

वेदांता प्रमुख अनिल अग्रवाल ने कहा यह परियोजना भारत में एक मजबूत मैन्युफैक्चरिंग बेस बनाने के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के दृष्टिकोण को पूरा करने में मदद करेगी। यह हमारे इलेक्ट्रॉनिक्स इंपोर्ट को कम करेगा और हमारे लोगों को 1 लाख प्रत्यक्ष स्किल्ड रोजगार प्रदान करेगा। नौकरी चाहने वाले अब नौकरी देने वाले बनेंगे।

उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार और केंद्रीय आईटी मंत्री के प्रति मेरा गहरा आभार, जिन्होंने वेदांता को इतनी जल्दी चीजों से जुड़ने में मदद की है। भारत का टेक ईको सिस्टम फलेगा फूलेगा, जिससे हर राज्य नए इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग केंद्रों के माध्यम से लाभान्वित होगा। भारत की अपनी सिलिकॉन वैली अब एक कदम और करीब है। भारत न केवल अपने लोगों कीए बल्कि दुनिया भर के लोगों की डिजिटल जरूरतों को भी पूरा करेगा। चिप टेकर से चिप मेकर बनने का सफर आधिकारिक तौर पर शुरू हो गया हैं।