नई दिल्ली: देश के इतिहास में 25 जून की तारीख एक विवादास्पद फैसले के लिए याद की जाती है. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को ही देश में आपातकाल लागू किया था, इसके तहत सरकार का विरोध करने वाले तमाम नेताओं को जेल में ठूंस दिया गया था और सख्त कानून लागू करते हुए आम लोगों के अधिकार का सीमित किया गया था.
आपातकाल यानी इमरजेंसी को स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे विवादास्पद और गैर लोकत्रांतिक फैसला माना जाता है और तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी को इसकी कीमत बाद में लोकसभा चुनाव में मिली हार के साथ चुकानी पड़ी थी.
तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की सिफारिश पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा की थी. इमरजेंसी को आज 45 साल हो गए. इस मौके पर बीजेपी नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कई ट्वीट कर कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा है.
'आज से ठीक 45 वर्ष पहले देश पर आपातकाल थोपा गया था. उस समय भारत के लोकतंत्र की रक्षा के लिए जिन लोगों ने संघर्ष किया, यातनाएं झेलीं, उन सबको मेरा शत-शत नमन! उनका त्याग और बलिदान देश कभी नहीं भूल पाएगा.' अमित शाह, गृह मंत्री: 'इस दिन, 45 साल पहले सत्ता की खातिर एक परिवार के लालच ने आपातकाल लागू कर दिया. रातों रात देश को जेल में तब्दील कर दिया गया गया. प्रेस, अदालतें, भाषण ... सब खत्म हो गए. गरीबों और दलितों पर अत्याचार किए गए.'
'भारत उन सभी महानुभावों को नमन करता है, जिन्होंने भीषण यातनाएं सहने के बाद भी आपातकाल का जमकर विरोध किया. ये हमारे सत्याग्रहियों का तप ही था, जिससे भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों ने एक अधिनायकवादी मानसिकता पर सफलतापूर्वक जीत प्राप्त की.'
'जेल में यातनाएँ अंग्रेजी राज्य से भी बर्बर थीं. इस दौरान प्रेस की स्वतंत्रता भी छीन ली गयी और प्रत्येक अखबार के कार्यालय में पुलिस का व्यक्ति रहता था जिसकी स्वीकृति के बाद ही कोई खबर छापी जा सकती थी. सत्याग्रह के परिणामस्वरूप पड़ रहे अंतर्राष्ट्रीय दबाव के कारण 21 मार्च 1977 को आपातकाल समाप्ति की घोषणा हुई और चुनाव हुए जिसमें विपक्ष का साझा मोर्चा जनता पार्टी विजयी हुआ और मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने. लेकिन हिंदुस्तान के इतिहास में आपातकाल के नाम पर हुआ अत्याचार भुलाए नहीं भुलाया जा सकता.
'आज भारत के इतिहास का सबसे काला दिन है. एक परिवार की राजनीतिक लिप्सा ने 1975 में आज के दिन ही लोकतांत्रिक मूल्यों का गला घोंट, 'आपातकाल' थोप कर मां भारती को बेड़ियों में जकड़ दिया था. उन महामानवों को नमन, जिनके बलिदान ने लोकतंत्र की पुनः प्राणप्रतिष्ठा कर मां भारती को गौरव भूषित किया.'
'45 वर्ष पूर्व सत्ता की चाहत में भारतीय लोकतंत्र का गला घोंटते हुए जिस तरह कांग्रेस ने देश में आपातकाल घोषित किया, वो आजाद भारत के इतिहास का सबसे काला अध्याय है, ये राष्ट्र कांग्रेस की उन दमनकारी नीतियों व क्रूर मानसिकता को ना भूल पाया है, और ना भूल पाएगा.'
'25 जून 1975 को पीएम इंदिरा गांधी की अगुवाई में कांग्रेस सरकार द्वार इमरजेंसी लगाई गई थी. लोक नायक जय प्रकाश नारायण, भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, चंद्रशेखर और भारत के लाखों लोगों सहित प्रमुख विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया गया. मैं भाग्यशाली था कि बिहार से जेपी आंदोलन के एक कार्यकर्ता के रूप में मैंने आपातकाल के खिलाफ लड़ाई लड़ी.'
'मुझे आश्चर्य होता है की लोकतंत्र की 45 साल पहले जिन्होंने पूर्ण हत्या की वह आज सरकार पर सवाल दाग रहे. पूरी व्यवस्था को दबाया, सबको बंदी बनाया और सबकी आजादी खत्म की वह अब आजादी के नारे लगा रहे है ? इतनी ओछी राजनीती नहीं चलती.'