इंडियन मुजाहिदीन के लिए काम करते पकड़े गए अब्दुल मजीद, मोहम्मद वाहिद, मोहम्मद उमर, मोहम्मद आकिब सहित 12 आतंकी दोषी करार, उम्रकैद की सजा


जयपुर. जिला न्यायालय ने सबूतों के आधार पर माना है कि वर्ष 2014 में राजस्थान एटीएस और एसओजी के द्वारा गिरफ्तार किए गए 12 इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन और सिमी स्लिपर सेल के लिए काम करते थे. कोर्ट ने सिमी के 13 सदस्यों में से 12 को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई जबकि एक को बरी कर दिया गया. आरोपी उस वक्त इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स की आड में आतंकी संगठन के लिए काम कर रहे थे. मामले की सुनवाई करते हुए डीजे उमाशंकर व्यास ने यह फैसला सुनाया. 

इससे पहले मंगलवार को इनको एक बस में भारी सुरक्षा के बीच कोर्ट परिसर में लाया गया था. जहां  राजस्थान में सिमी की स्लीपर सेल से जुड़े करीब 7 साल पुराने मामले में यह  फैसला कोर्ट ने दिया. उस वक्त दिल्ली में गिरफ्तार हुए आतंकियों से मिले इनपुट के आधार पर राजस्थान में एटीएस और एसओजी की टीमों ने वर्ष 2014 में जयपुर, सीकर व अन्य जिलों में 13 संदिग्ध युवकों को गिरफ्तार किया था. जिन पर आरोप था कि यह स्टूडेंट्स प्रतिबंधित संगठन सिमी से जुड़े है और राजस्थान में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने, दहशत  फैलाने, बम बनाने के लिए काम कर रहे थे.

इन युवकों पर आरोप था कि इन्होंने फर्जी दस्तावेजों से सिम खरीदे, जिहाद के नाम पर फंड एकत्रित करने का काम किया, आतंकियों को शरण देने, बम विस्फोट के स्थलों की रेकी करने सहित कई काम किए. इसके बाद से ही लम्बे समय से कोर्ट में सुनवाई चल रही थी. गिरफ्तारी के वक्त एटीएस ने यह भी दावा किया था कि सिमी की स्लीपर सेल को एक्टिव करने के लिए जयपुर से गिरफ्तार हुए मारुफ के रिश्तेदार उमर ने इंटरनेट के जरिए संपर्क कर इन युवकों को संगठन से जोड़ा था. इसके बाद ये युवक एक्टिव होकर आतंकी गतिविधियों में लिप्त हो गए. लेकिन वो किसी बड़ी आतंकी साजिश को अंजाम दे पाते इसके पहले ही एटीएस और एसओजी ने इस स्लीपर सेल से जुड़े 13 युवाओं को गिरफ्तार कर लिया और उसके बाद पिछले सात साल से मामले में कोर्ट में ट्रायल चल रहा था. जानकारी के अनुसार इस केस में अभियोजन पक्ष ने 178 गवाह और 506 दस्तावेजी साक्ष्य कोर्ट में पेश किए है. लोक अभियोजक लियाकत खान ने मामले की पैरवी की.

बड़ी बात यह है कि गिरफ्तारी के वक्त यह भी सामने आया था कि ये आतंकी गोपालगढ़ में हुई पुलिस फायरिंग से भी नाराज थे. एटीएस ने इनके पास से लैपटॉप, फोन, पेनड्राइव, किताबें, दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि बरामद किया था. जिसमें इससे जुड़े सबूत मिले. दिल्ली एटीएस की सूचना पर राजस्थान एटीएस ने 28 मार्च, 2014 को एफआईआर दर्ज की थी और पूरी कार्रवाई की.

दोषी आरोपियों में अब्दुल मजीद, मोहम्मद वाहिद, मोहम्मद उमर, मोहम्मद आकिब, मोहम्मद वकार, मोहम्मद अम्मार, बरकत अली, मशरफ इकबाल, मोहम्मद मारूफ, अशरफ अली, मोहम्मद साकिब अंसारी, वकार अजहर,मोहम्मद सज्जाद शाामिल थे. गिरफ्तार एक आरोपी सरकारी गवाह बन चुका है.