चुनावों में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी, कांग्रेसजनों का जयपुर में हुआ बड़ा सम्मेलन


जयपुर। पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना से लाभान्वित होने वाले 13 जिलों के प्रमुख कांग्रेसजनों का सम्मेलन राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा की अध्यक्षता में आज जयपुर के बिड़ला सभागार में आयोजित हुआ जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव व राजस्थान प्रभारी अजय माकन, राज्य मंत्रीमण्डल के सदस्यगण सहित हजारों की संख्या में कांग्रेस नेताओं एवं कार्यकर्ता सम्मिलित हुए।

सम्मेलन में उपस्थित कांग्रेसजनों को सम्बोधित करते हुए राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा कि प्रदेश की महत्वकांक्षी परियोजना ईआरसीपी से संबंधित तथ्यों की जानकारी प्रदान करने हेतु इस योजना से लाभान्वित होने वाले समस्त 13 जिलों के जनप्रतिनिधियों एवं कांग्रेस कार्यकर्ताओं का सम्मेलन बुलाया गया है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना पर लम्बे समय से राजस्थान में कार्य हुआ तथा राजस्थान की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय पूरी तैयारी के साथ डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट केन्द्र सरकार को भेजी गई जिसके पश्चात् प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राजस्थान में जनसभा को सम्बोधित करते हुए पूरी संवेदना एवं सकारात्मकता के साथ इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने का आश्वासन राजस्थान की जनता को दिया था। उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार की ओर से मुख्यमंत्री महोदय ने अनेक दफा केन्द्र सरकार को राजस्थान की इस महत्वकांक्षी परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग की, किन्तु केन्द्र में जल संसाधन मंत्री राजस्थान से होने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जनसभा में किये गये वादे को भूल गये। उन्होंने कहा कि राजस्थान के लोगों की प्यास बुझाने वाली इस महत्वकांक्षी परियोजना पर जब केन्द्र सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो मुख्यमंत्री महोदय ने विकट परिस्थितियों के बावजूद 9600 करोड़ रूपये का प्रावधान बजट में कर परियोजना का काम प्रारम्भ किया। उन्होंने कहा कि जब केन्द्र की भाजपा सरकार राजस्थान से 25 में से 25 सांसद जिताने के बावजूद राजस्थान की जनता से किये गये वादे की अनदेखी कर रही है तो केन्द्र सरकार एवं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के अहम को झुकाने के लिये केन्द्र के विरूद्ध आन्दोलन करने के अलावा कोई रास्ता शेष नहीं रहा है।

सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि आज का अधिवेशन परिपाटी से हटकर है क्योंकि इस सम्मेलन में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को लेकर चर्चा की जायेगी। उन्होंने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना प्रदेश की महत्वकांक्षी परियोजना है जिसकी डीपीआर केन्द्र सरकार के उपक्रम वेप्फॉस लिमिटेड द्वारा तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि 37200 करोड़ की लागत से बनने वाली इस परियोजना को वर्ष 2016-2017 में भाजपा की वसुंधरा राजे सरकार ने बनाया था। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने राजस्थान में कांग्रेस सरकारों द्वारा बनाई गई योजनाओं को रोकने अथवा बंद करने का कार्य किया था। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती वुसंधरा राजे सरकार ने रिफाईनरी जैसी महत्वपूर्ण योजना को चार साल तक ठण्डे बस्ते में रखा तथा जब कांग्रेस नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने आन्दोलन चलाकर दबाव बनाया तो प्रधानमंत्री को बुलाकर रिफाईनरी का पुन: शिलान्यास कराने का कार्यक्रम घोषित किया। कांग्रेस नेताओं द्वारा आपत्ति दर्ज कराने पर कार्यक्रम का नाम बदलकर कार्य शुभारम्भ करना बताया गया, किन्तु प्रोजेक्ट में देरी होने के कारण 40 हजार करोड़ की परियोजना 70 हजार करोड़ रूपये की लागत की हो गई है। उन्होंने कहा कि आमजनता को अभियान से जोडक़र केन्द्र सरकार पर इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलाने हेतु दबाव बनाना पड़ेगा क्योंकि यदि ईआरसीपी परियोजना में देरी हो गई तो इसकी लागत कई गुना बढ़ जायेगी। उन्होंने कहा कि ईआरसीपी जैसी महत्वकांक्षी परियोजना पर राजनीति नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह परियोजना 13 जिलों के लोगों को भविष्य में पेयजल प्रदान करने के लिये है। उन्होंने कहा कि षडय़ंत्रपूर्वक दौसा जिले में अफवाह फैला दी गई कि ईआरसीपी परियोजना से दौसा का नाम हटा दिया गया है जबकि दौसा जिले एवं ईसरदा बांध में पानी लाने में यह परियोजना पर काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना की डीपीआर तत्कालीन राजस्थान रिवर बेसिन ऑथोरिटी के चेयरमेन श्रीराम वेदिरे ने बनाई थी जो कि वर्तमान में केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रालय में सलाहकार है। उन्होंने कहा कि श्रीराम वेदिरे द्वारा बनाई गई डीपीआर को आज जल शक्ति मंत्रालय गलत ठहराकर क्या साबित करना चाहता है यह समझ से परे है। गहलोत ने कहा कि राज्य किसी भी परियोजना के लिये अपने प्रदेश के कैचमेंट से प्राप्त पानी एवं दूसरे राज्य के कैचमेंट से प्राप्त पानी का प्रयोग इस शर्त के साथ कर सकते हैं यदि परियोजना में आने वाले बांध एवं बैराजों का डूब क्षेत्र दूसरे राज्य की सीमा में नहीं आता हो। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के तहत् किसी दूसरे प्रदेश की भूमि हमारे द्वारा निर्मित बांध के डूब क्षेत्र में नहीं आती है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश द्वारा पार्वती नदी की सहायक नदी नेवज पर मोहनपुरा बांध एवं कालीसिंध नदी पर कुंडालिया बांध निर्मित कर 265000 हैक्टेयर सिंचाई क्षेत्र 2017 में विकसित कर लिया तथा बांधों के निर्माण के पश्चात् 2017 में एनओसी राजस्थान से ली। उन्होंन कहा कि ईआरसीपी परियोजना केन्द्रीय जल आयोग की वर्ष 2010 की गाईडलाईन्स के अनुसार ही तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय जल आयोग द्वारा प्राप्त 36 साल के आंकड़ों के अनुसार चम्बल नदी का औसतन 19000 मिलियन क्यूबिक मीटर एवं 75 प्रतिशत निर्भरता पर 11 हजार 200 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी प्रतिवर्ष यमुना नदी के माध्यम से समुद्र में व्यर्थ बह जाता है जबकि इस परियोजना के माध्यम से मात्र 3500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी ही उपयोग में लिया जायेगा जिस पर केन्द्र सरकार क्यों आपत्ति जता रहा है समझ से परे है। उन्होंने 07 जुलाई, 2018 को जयपुर में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिये गये भाषण को पढक़र सुनाया, साथ ही दिनांक 06 अक्टूबर, 2018 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अजमेर में की गई घोषणा को भी पढ़ा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि ईआरसीपी के तकनीकी पहलूओं का अवलोकन किया जा चुका है तथा संवेदनशीलता एवं सकारत्मकता के साथ परियोजना का निर्णय लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि जयपुर में आयोजित जल शक्ति मंत्रालय की बैठक में राजस्थान के जलदाय मंत्री डॉ. महेश जोशी ने जब केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री को प्रधानमंत्री द्वारा किये गये वादे की याद दिलाई तो केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने राजस्थान सरकार के मंत्री को रिकार्ड चेक करने का कहते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ऐसा कोई वक्तव्य नहीं देने की बात कही। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने जयपुर तथा अजमेर में आयोजित प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की रैली के वीडियो भेजने की बात कहकर कहा था कि यदि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ईआरसीपी पर एक शब्द भी बोला हो तो वे राजनीति से सन्यास ले लेंगे अथवा राज्य के जलदाय मंत्री एवं मुख्यमंत्री सन्यास लें। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने तो आज तक कोई वीडियो नहीं भेजा, किन्तु प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की उक्त दोनों रैलियों के वीडियो केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री को दिखा दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सभा में मौजूद उनके मंत्री प्रधानमंत्री द्वारा कही गई बात को ही अनसुना कर रहे हैं अथवा ध्यान नहीं दे रहे हैं, यह आश्चर्यजनक घटना है। उन्होंने कहा कि पीने योग्य पानी नदियों में बहकर समुद्र में गिरकर बर्बाद हो रहा है इसलिये प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को उनके द्वारा किया गया वादा याद दिलाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में केन्द्र ने कैनबेतवा राष्ट्रीय परियोजना घोषित कर दी, किन्तु राजस्थान के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि होती है, 25 सांसद राजस्थान से भाजपा के जीते हैं इसलिये ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिलना राजस्थान के प्रदेशवासियों का अधिकार है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में विरोध करने का भी एक तरीका होता है, जनहित की परियोजनाओं में व्यवधान उत्पन्न करना जनता के अधिकारों का हनन् है। उन्होंने कहा कि राजस्थान की जनता की आवाज केन्द्र सरकार को सुननी पड़ेगी क्योंकि शीघ्र ही चुनाव आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना से क्षेत्र की जनता ही नहीं आने वाली पीढिय़ां भी लाभान्वित होंगी। श्री गहलोत ने कहा कि कोरोना जैसी महामारी से उत्पन्न विकट परिस्थितियों के बावजूद राजस्थान सरकार ने इस परियोजना के लिये 9600 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया है। उन्होंने कहा कि देश में फैडरल सरकार की व्यवस्था है तथा राज्यों के हितों पर काम करना केन्द्र सरकार का कत्र्तव्य है। उन्होंने कहा कि इस योजना पर काम बंद करने को केन्द्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को कहना आश्चर्यजनक है। उन्होंने कहा कि राजस्थान का पानी, राजस्थान का पैसा, राजस्थान के संसाधन, डूब क्षेत्र में दूसरे राज्य की भूमि नहीं उसके बावजूद केन्द्र सरकार द्वारा ईआरसीपी परियोजना का काम बंद करने हेतु राजस्थान सरकार को कहना समझ से परे है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से सवाल करते हुए कहा कि पानी जैसे प्राकृतिक संसाधन पर जब सभी का अधिकार समान होता है तो केन्द्र सरकार के मंत्रालय ने इस परियोजना को बंद करने के लिये कैसे लिख दिया। श्री अशोक गहलोत ने घोषणा की कि राजस्थान सरकार पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का काम बंद नहीं करेगी, यदि केन्द्र सरकार द्वारा सहयोग नहीं किया गया तो भी राजस्थान सरकार इस परियोजना को पूर्ण करेगी। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा विपक्षी नेताओं पर दबाव बनाने हेतु संवैधानिक संस्थाओं का दुरूपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार चाहे ईडी, सीआईडी, आईटी दबाव बनाने के लिये भेज दे किन्तु वे डरने वाले नहीं है तथा यह परियोजना पूर्ण होकर रहेगी। उन्होंने कहा कि इस परियोजना को केन्द्रीय परियोजना का दर्जा दिलवाने के लिये विधानसभा में पक्ष एवं प्रतिपक्ष को साथ मिलकर प्रधानमंत्री के पास जाकर बात करने का प्रस्ताव भी दिया गया था किन्तु भाजपा की कथनी और करनी में फर्क है। उन्होंने कहा कि उदयपुर जैसी भयावह घटना के घटित होने पर उन्होंने नेता प्रतिपक्ष एवं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष को सरकार के साथ शांति बहाली एवं शांति कायम रखने हेतु साथ मिलकर कार्य करने का प्रस्ताव दिया था किन्तु भाजपा नेता ऐसे जघन्य हत्याकाण्ड होने के बावजूद 7 दिन के लिये हैदराबाद चले गये, जबकि सरकार ने तो अपराधियों को पकडऩे से लेकर अपने सभी कत्र्तव्यों की पूर्ति की। उन्होंने कहा कि देश में शांति एवं भाईचारा बनाये रखने की अपील करने हेतु प्रधानमंत्री से मांग की जाती है, किन्तु देश के प्रधानमंत्री अपने ही देशवासियों से अपील नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ईआरसीपी 13 जिलों के लोगों की प्यास बुझाने की परियोजना है किन्तु केन्द्र सरकार ध्यान नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि भारत का सबसे बड़ा प्रदेश राजस्थान है जिसमें 10 प्रतिशत देश का भू-भाग है किन्तु जल उपलब्धता केवल एक प्रतिशत है, ऐसी परिस्थिति में जल-जीवन मिशन के तहत् केन्द्र से अधिक सहयोग की अपेक्षा करना न्यायोचित है। उन्होंने कहा कि राजस्थान के गॉंव दूर-दूर बसे हुए हैं, अन्य राज्यों के मुकाबले दो गॉंवों के बीच की दूरी अधिक होती है, किन्तु केन्द्र सरकार द्वारा जल-जीवन मिशन के तहत् भी राजस्थान को कोई विशेष पैकेज नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सभी कांग्रेस कार्यकर्ता संकल्प के साथ जनता के बीच जाकर ईआरसीपी परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा केन्द्र से दिलवाने हेतु अभियान चलायें। उन्होंने कहा कि यदि केन्द्र सरकार इस परियोजना को केन्द्रीय परियोजना का दर्जा नहीं देगी तो भी राजस्थान सरकार 13 जिलों के लोगों की प्यास बुझाने हेतु पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का कार्य पूर्ण करेगी। सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं राजस्थान प्रभारी श्री अजय माकन ने कहा कि ईआरसीपी परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलवाने के लिये केन्द्र सरकार के विरूद्ध अभियान चलाने की जिम्मेदारी लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने जनहित में महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि देश के 10.04 प्रतिशत भू-भाग राजस्थान में है, किन्तु पानी केवल एक प्रतिशत है एवं भूमिगत् जल केवल 1.72 प्रतिशत है जिसका तात्पर्य यह है कि राजस्थान के क्षेत्रफल के हिसाब से 10 गुना पानी की कमी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बतायें कि राजस्थान में 10 गुना कम पानी होने के बावजूद नदियों में बहकर अतिरिक्त पानी समुंद्र में क्यों जाने दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पेयजल एवं सिंचाई के लिये ईआरसीपी बहुत ही महत्वपूर्ण परियोजना है जिसे वर्ष 2018 में राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने का वादा प्रधानमंत्री ने राजस्थान की जनता से किया था। उन्होंने कहा कि जब केन्द्र के पास डीपीआर है जो कि पूवीवर्ती भाजपा शासन के दौरान ही प्रधानमंत्री को प्रदत्त की गई थी तो आज इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने में राजस्थान से भेदभाव क्यों किया जा रहा है। सम्मेलन को जलदाय मंत्री डॉ. महेश जोशी, जल संसाधन मंत्री श्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीय, जयपुर शहर नितर्वमान जिलाध्यक्ष एवं मंत्री श्री प्रतापसिंह खाचरियावास, जयपुर देहात निवर्तमान जिलाध्यक्ष एवं राज्यमंत्री श्री राजेन्द्र सिंह यादव, जयपुर जिले प्रभारी उपाध्यक्ष एवं मंत्री श्री गोविन्दराम मेघवाल ने भी सम्बोधित किया। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी ने बताया कि सम्मेलन में भरतपुर, अलवर, कोटा, बारां, झालावाड़, सवाईमाधोपुर, टोंक, अजमेर, जयपुर, दौसा, करौली, बूंदी एवं धौलपुर जिलों के कांग्रेस विधायक/विधायक प्रत्याशी, सांसद/सांसद प्रत्याशी, जिला प्रमुख, जिला परिषद् सदस्य, प्रधान, पंचायत समिति सदस्य, सरपंच, नगर निकायों के मेयर, सभापति, चेयरमेन, नगर निकाय के पार्षद, उप जिला प्रमुख, उप प्रधान, उप सभापति, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद, पूर्व विधायक प्रत्याशी, इन जिलों से नियुक्त बोर्ड/निगमों के चेयरमेन/वाईस चेयरमेन, सभी अग्रिम संगठन युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस, कांग्रेस सेवादल, एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष, नगर निकाय के पूर्व अध्यक्ष, पीसीसी सदस्य, एआईसीसी सदस्य, निवर्तमान ब्लॉक अध्यक्ष, वर्तमान/निवर्तमान जिलाध्यक्ष, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सम्भाग प्रभारी तथा जिला प्रभारियों ने भाग लिया।