भारत में दूरसंचार को नियंत्रित करने वाली नई कानूनी संरचना की आवश्यकता पर विचार आमंत्रित


नई दिल्ली। दूरसंचार में, भारत की अर्थव्यवस्था की वास्तविक शक्ति को उजागर करने, सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन में तेजी लाने और "आत्मनिर्भर भारत" के विज़न से जुड़ी उपलब्धि को हासिल करने की क्षमता है। दूरसंचार डिजिटल शासन को सक्षम बनाता है, जो नागरिकों और उद्यमों के लिए वस्तुओं व सेवाओं के डेटा संचालित तथा जन-केंद्रित वितरण पर जोर देता है।

भारत में दूरसंचार के लिए कानूनी संरचना उन कानूनों द्वारा शासित होती है, जिन्हें भारत के स्वतंत्र होने से बहुत पहले बनाया गया था। हाल के दशकों में प्रौद्योगिकी काफी विकसित हुई है। उभरती हुई प्रौद्योगिकियों के साथ तालमेल बिठाने के लिए, अधिकांश देशों में दूरसंचार कानून समय के साथ विकसित हुए हैं। इनमें संयुक्त राज्य अमेरिका (1996), ऑस्ट्रेलिया (1979), यूनाइटेड किंगडम (2003), सिंगापुर (1999), दक्षिण अफ्रीका (2000) और ब्राजील (1997) शामिल हैं।

हितधारक बदलती प्रौद्योगिकी से तालमेल के लिए कानूनी संरचना को विकसित करने की मांग कर रहे हैं।

उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए, संचार मंत्रालय, भारत सरकार, के दूरसंचार विभाग ने दूरसंचार क्षेत्र में एक नयी कानूनी संरचना की आवश्यकता पर एक परामर्श पत्र तैयार किया है। परामर्श पत्र https://dot.gov.in पर उपलब्ध है। परामर्श पत्र पर, हितधारकों से विचार आमंत्रित किये गए हैं, जिसकी अंतिम तिथि 25 अगस्त, 2022 है।