आठवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर मैसूर पैलेस ग्राउंड पर PM मोदी विराट योग प्रदर्शन में सम्मिलित हुए, देशभर में हुए आयोजन


कर्नाटक। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आठवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर हजारों लोगों के साथ मैसूर पैलेस ग्राउंड में विराट योग प्रदर्शन में हिस्सा लिया। इस अवसर पर अन्य तमाम लोगों सहित कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत, मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई और केंद्रीय मंत्री सर्बानन्द सोनोवाल भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि मैसुरु जैसे आध्यात्मिक केंद्रों ने जिस योग-ऊर्जा को सदियों से पोषित किया, आज वह योग-ऊर्जा विश्व स्वास्थ्य को दिशा दे रही है। आज योग वैश्विक सहयोग का पारस्परिक आधार बन रहा है और योग मानव मात्र को निरोग जीवन का विश्वास दे रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हम देख रहे हैं कि योग घरों की चहारदीवारी से बाहर निकलकर पूरे विश्व में फैल गया है; और यह आध्यात्मिक बोध, प्राकृतिक और साझा मानव चेतना का प्रतीक बन गया है, खासतौर से अभूतपूर्व महामारी के पिछले दो वर्षों के दौरान।

उन्होंने कहा, “योग अब वैश्विक पर्व बन गया है। योग किसी व्यक्ति मात्र के लिये नहीं, संपूर्ण मानवता के लिये है। इसलिये, इस बार योग दिवस की विषयवस्तु है – मानवता के लिये योग।” प्रधानमंत्री ने इस विषयवस्तु को विश्वस्तर पर अपनाने के लिये संयुक्त राष्ट्र और सभी देशों को धन्यवाद दिया। मनीषियों का उद्धरण देते हुये प्रधानमंत्री ने कहा, “योग हमें शांति देता है। योग से प्राप्त शांति किसी व्यक्ति मात्र के लिये नहीं है। योग हमारे समाज में शांति लाता है। योग हमारे राष्ट्रों और विश्व में शांति लाता है। और, योग हमारे ब्रह्माण्ड में शांति लाता है।” उन्होंने आगे कहा, “यह पूरा ब्रह्माण्ड हमारे अपने शरीर और आत्मा से आरंभ होता है। ब्रह्माण्ड हमसे आरंभ होता है। और, योग हमें भीतर से चेतन करता है और जागरूकता की भावना पैदा करता है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में इस बार योग दिवस हम एक ऐसे समय पर मना रहे हैं, जब देश अपनी आजादी के 75वें वर्ष का पर्व मना रहा है, अमृत महोत्सव मना रहा है। योग दिवस की यह व्यापकता, यह स्वीकार्यता भारत की उस अमृत भावना की स्वीकार्यता है, जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को ऊर्जा दी थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि यही कारण है कि देशभर के उन 75 प्रमुख स्थलों पर विराट योग प्रदर्शनों का आयोजन किया जा रहा है, जो भारत के गौरवशाली इतिहास के साक्षी रहे हैं तथा जो सांस्कृतिक ऊर्जा के केंद्र रहे हैं।

उन्होंने कहा, “भारत के ऐतिहासिक स्थलों पर सामूहिक योगाभ्यास का अनुभव भारत के अतीत, भारत की विविधता और भारत के विस्तार को एक सूत्र में पिरोने जैसा है।” उन्होंने अभिनव कार्यक्रम ‘गार्डियन योग रिंग’ के बारे में भी बताया, जो विदेश में भारतीय मिशनों के साथ-साथ 79 देशों और संयुक्त राष्ट्र संगठनों द्वारा किये जाने वाले सामूहिक योगाभ्यास के जरिये योग की एकीकरण ऊर्जा का प्रदर्शन से सम्बंधित है तथा जिसने राष्ट्रीय सीमाओं को पार कर लिया है। सूर्य जैसे-जैसे पूर्व से पश्चिम की तरफ बढ़ रहा है, योग में हिस्सा लेने वाले देशों में विराट योगाभ्यास हो रहा है। अगर पृथ्वी के किसी एक बिंदु से देखा जाये, तो ऐसा लगेगा कि यह सब-कुछ एक के बाद एक, लगभग बारी-बारी से घटित हो रहा है। यही है ‘वन सन, वन अर्थ’ की अवधारणा। उन्होंने कहा, “योग के ये प्रयोग स्वास्थ्य, संतुलन और सहयोग की अद्भुत प्रेरणा दे रहे हैं।”