भारत ने जॉर्जिया के त्बिलिसी में एशियाई विकास बैंक (एडीबी) द्वारा आयोजित '2023 क्षेत्रीय सहयोग और एकीकरण सम्मेलन: आर्थिक गलियारा विकास (ईसीडी) के माध्यम से क्षेत्रीय सहयोग और एकीकरण को मजबूत करना' में पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान को प्रदर्शित किया। 5 से 7 सितंबर, 2023 तक आयोजित सम्मेलन में 30 से अधिक सदस्य देशों की भागीदारी देखी गई, जिनमें ईसीडी के लिए जिम्मेदार एडीबी के विकासशील सदस्य देशों के वरिष्ठ अधिकारी, विकास भागीदार एजेंसियों और क्षेत्रीय सहयोग संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) की विशेष सचिव (लॉजिस्टिक्स) सुश्री सुमिता डावरा ने किया। सम्मेलन का उद्देश्य था (i) ईसीडी के साथ स्थानिक परिवर्तन/क्षेत्र-केंद्रित दृष्टिकोण को एकीकृत करने के तरीकों का पता लगाना तथा व्यापक दृष्टिकोण के माध्यम से क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करना एवं (ii) निवेश योग्य परियोजनाओं पर आर्थिक गलियारा विकास (ईसीडी) फ्रेमवर्क के अनुप्रयोग और परिचालन दिशानिर्देशों पर ज्ञान साझा करना। सुश्री डावरा ने सम्मेलन को बताया कि पीएम गतिशक्ति - मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए राष्ट्रीय मास्टर प्लान एक मेड इन इंडिया पहल है, जो आर्थिक गतिविधियों और सामाजिक अवसंरचना के लिए मल्टी-मॉडल इन्फ्रास्ट्रक्चर कनेक्टिविटी की एकीकृत योजना के लिए एक परिवर्तनकारी 'संपूर्ण-सरकारी' दृष्टिकोण है, जिससे लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार होगा। पीएम गति शक्ति के सिद्धांत क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के हिस्से के रूप में सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र-आधारित विकास पर आधारित हैं। उन्होंने भारत सरकार के लक्षित कार्यक्रमों, अवसंरचना निवेश के लिए भारी पूंजीगत व्यय और संपूर्ण लॉजिस्टिक्स तथा अवसंरचना के इकोसिस्टम को बदलने की दिशा में भू-स्थानिक और अन्य अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को अपनाने का उल्लेख किया।
नेपाल और पूर्वी भारतीय राज्यों के बीच निर्बाध कनेक्टिविटी और व्यापार आवागमन के लिए भारत-नेपाल हल्दिया पहुँच-नियंत्रित गलियारा परियोजना तथा विकास केंद्रों और सीमावर्ती स्थलों तक मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी के लिए क्षेत्रीय जलमार्ग ग्रिड (आरडब्ल्यूजी) परियोजना के उदाहरणों पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने क्षेत्रीय साझीदारों के साथ कनेक्टिविटी बढ़ाने में पीएम गतिशक्ति को अपनाने की प्रस्तुति दी। साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि एडीबी और भागीदार देश गति शक्ति दृष्टिकोण की तर्ज पर क्षेत्र-केंद्रित विकास मॉडल को एकीकृत करके, दक्षिण एशिया उप क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग (एसएएसईसी) जैसे अपने क्षेत्रीय सहयोग कार्यक्रमों के दायरे को व्यापक बनाने के लिए ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं, जिससे परियोजना नियोजन में समय और लागत की बचत के साथ-साथ अवसंरचना परियोजनाओं के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के स्पष्ट लाभ होंगे।