यादों में अरुण जेटली, जानिए उनके जीवन से जुड़ी 10 बड़ी बातें


नई दिल्ली. पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली 66 वर्ष के थे. अरुण जेटली को सांस में तकलीफ के चलते 9 अगस्त को एम्स में भर्ती करवाया गया था. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कई दिग्गजों ने निधन पर शोक जताया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली बीजेपी के वो मजबूत कड़ी थे जिनके जाने से पार्टी को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है. बीजेपी के 'अरुण' के चले जाने को लेकर भाजपा में हर कोई दुखी है. उन्हें हर राजनीतिक विषय पर अपने स्पष्ट विचारों एवं वाकपटुता के लिए जाना जाता था.

अरुण जेटली से जुड़ी 10 बड़ी बातें-

1. अरूण जेटली अपने कॉलेज लाइफ में एक हौनहार छात्र थे. दिल्ली के 'श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स' से वाणिज्य में स्नातक की और दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की. यहां वो छात्रसंघ अध्यक्ष भी बने.

2. अरुण जेटली 1977 में अदालत में जिरह करने उतरे. यानी बतौर वकील उन्होंने अपना करियर शुरू किया. अरुण जेटली कोका कोला कंपनी और पेप्सिको इंक जैसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों के केस लड़ें. जून 1998 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व किया था जहां दवाओं और धन शोधन से संबंधित कानून की घोषणा का अनुमोदन किया गया था. इसके साथ ही जेटली ने कानूनी और समसामयिक मामलों पर किताबें लिखीं.

3. अरुण जेटली आपातकाल के दौरान 19 माह तक जेल में रहे. इसके बाद वो जनसंघ में शामिल हो गए. जहां से उनका कभी ना रुकने वाला राजनीतिक सफर शुरू हुआ. 1989 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की तत्कालीन सरकार ने अरूण जेटली को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया था. उन्होंने बोफोर्स घोटाले में जांच के लिए कागजी कार्रवाई की थी.

4. अटल बिहार वाजपेयी की सरकार में जेटली को कानून एवं न्याय, सूचना एवं प्रसारण तथा विनिवेश मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया था. अटल बिहारी वाजपेयी के सबसे भरोसेमंद क्षत्रपों में से एक थे.

5. अरुण जेटली ने अपने जीवन में सिर्फ एक बार अमृतसर सीट से 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें कांग्रेस नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन्हें हरा दिया था.

6. जेटली सिद्धांतों के बड़े पक्के इंसान थे, अनुशासन पसंद व्यक्तित्व के धनी थे, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब 2009 में उन्हें राज्यसभा में विपक्ष का नेता बनाया गया. तब एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत को मानते हुए उन्होने बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया था.

7. 2002 में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी की जीत की रणनीति बनाने वालों में अरुण जेटली बेहद अहम किरदार थे. राजनीति विश्लेषकों का मानना है कि केंद्र की राजनीति में नरेंद्र मोदी को लाने का श्रेय अरुण जेटली को ही जाता है.

8. अरुण जेटली का क्रिकेट प्रेम भी किसी से छुपा हुआ नहीं था, जेटली बीसीसीआई के उपाध्यक्ष भी रह चुके थे. उन्होंने 2014 के आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण के बाद निराशा में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

9. जब 1980 में भाजपा का गठन हुआ तो जेटली को भाजपा युवा विंग का अध्यक्ष बनाया गया था. जब 1980 और 1990 के दशक में भाजपा अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में भारत में मुख्य धारा की राजनीतिक पार्टी बनने के लिए संघर्ष कर रही थी तो उस समय जेटली भाजपा की युवा ब्रिगेड की फौज को परिपक्व राजनीतिज्ञों में बदलने का कार्य कर रहे थे.

10. एक परिपक्व निर्णयकर्ता, क्षमतावान व्यक्तित्व के धनी अरुण जेटली ने अपनी काबिलियत को बखूबी साबित किया. वह प्रमोद महाजन और अटल बिहारी वाजपेयी के बाद भाजपा के मुख्य रणनीतिकारों में शुमार रहे. हर महत्वपूर्ण निर्णय में पार्टी उनकी राय जरुर लेती थी. जिसके आधार पर भावी निर्णय होते थे.