लम्बे समय बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली में, पांच सवाल पूछे गए तो क्या मिले जवाब? पढें...



नई दिल्ली. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत करीब दस माह बाद दिल्ली दौरे पर हैं. इस दौरान उनकी कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के साथ कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं से भी मुलाकात होनी हैं.  राजनीतिक गलियारों में अशोक गहलोत को राष्ट्रीय कांग्रेस का कार्यका​री अध्यक्ष बनाने के आॅफर मिलने की बात सामने आ रही है तो कोई कह रहा है कि वो राजनीतिक नियुक्तियों की लिस्ट लेकर दिल्ली गए हैं ताकि उन पर फाइनल मुहर लग सके. इस दौरान मंत्रीमंडल विस्तार पर भी चर्चा करेंगे और किसे मंत्री बनाना है किसे हटाना है इस पर चर्चा करने दिल्ली गए हैं. गहलोत और पायलट के बीच बेहतर समन्वय के प्रयास भी इस दौरान आलाकमान द्वारा किए जाएंगे ऐसी भी चर्चा है ताकि दोनों का सम्मान बना रहे. बहरहाल अब चाहे चर्चे जो भी हों लेकिन दिल्ली पहुंचने पर पत्रकारों ने गहलोत से क्या सवाल किए और क्या गहलोत के जवाब रहे आप भी पढें.

पांच सवालों के जवाब


सवाल न. 1- आप काफी लम्बे समय करीब 10 महीने बाद दिल्ली आ रहे हैं, मीटिंग हो रही है, क्या कुछ खास रहेगा मीटिंग में ?

जवाब- मीटिंग होगी तब बताएंगे आपको। कल मीटिंग है, उसमें आए हैं, कल बातचीत करेंगे, आगे प्लानिंग क्या है, काफी लंबे अरसे बाद मीटिंग हो रही है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से तो मीटिंग हुई है, पर फिजिकली मीटिंग में कल हम सब लोग मिलेंगे।


सवाल न. 2- जिस तरह के राजनीतिक हालात बने हुए हैं, किसानों का आन्दोलन चल रहा है  क्या कहेंगे?
जवाब- किसानों के आन्दोलन ने तो सबको उद्वेलित किया हुआ है, राहुल गांधी बराबर बोल रहे हैं उसके ऊपर भी, हम सब लोग आवाज उठा रहे हैं। इस सर्दी के अंदर, ठंड के अंदर 22-23 दिन हो गए किसानों को, आप कल्पना कीजिए, मीडिया में रिपोर्ट आ रही है कि 38 लोग मारे गए हैं, क्या बीत रही होगी उनके ऊपर ठंड के अंदर सोच सकता है कोई आदमी, तो इसका तो अविलंब हल निकलना चाहिए। कल सुप्रीम कोर्ट में जब केस लगा था, तो उम्मीद बंधी थी कि कोई रास्ता निकाल देंगे, पर अभी रास्ता निकला नहीं है। उम्मीद करते हैं कि कोई न कोई रास्ता निकले।


सवाल न. 3- जब प्रधानमंत्री मध्यप्रदेश में किसानों को संबोधित कर रहे थे, तो उन्होंने राजस्थान की कांग्रेस सरकार को टारगेट किया. कर्जमाफी को लेकर उन्होंने सीधा निशाना साधा कि कर्जमाफी नहीं की गई जो कांग्रेस शासित राज्य हैं?

जवाब- कर्जमाफी हमने की, हमें केन्द्र सहयोग नहीं कर रहा. जो को-ऑपरेटिव बैंक्स हैं राजस्थान की, भूमि विकास बैंक हैं सब कर्जे माफ कर दिए हमने सभी के। जो राष्ट्रीयकृत बैंक के हैं, जो भारत सरकार के अंडर में आती हैं आरबीआई के, उनके कर्जे किसानों के हैं, वो माफ नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि भारत सरकार बातचीत नहीं कर रही है। हमने प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखे हैं कि राष्ट्रीयकृत बैंकों को ये निर्देश जाने चाहिए कि जैसे हमने कर्जे माफ किए हैं हमारी बैंकों के, उसी रूप में वो लोग कर्जे माफ करने के लिए आगे आएं, अभी तो फैसला किया नहीं है। तो दोष तो उनके ऊपर जाता है जो कर्जा माफ नहीं कर पा रहे हैं राष्ट्रीयकृत बैंकों वाले।


सवाल 4- राजस्थान की वर्तमान कांग्रेस सरकार को दो साल पूरे हो चुके हैं क्या कहेंगे.
जवाब- मैंने प्रदेशवासियों को कहा है कि उनके आशीर्वाद से, उनकी दुआओं से हम लोगों ने दो साल तक जो शासन किया है, जो वायदे किए थे उनमें से आधे वादे हम लोगों ने पूरे किए हैं, जबकि आचार संहिता लागू हुई थी, कोरोना अलग आ गया, तब भी हमने कमी नहीं रखी और कोरोना में बेमिसाल काम हुए हैं राजस्थान के अंदर, स्वास्थ्य सेवाओं में भी अच्छा बन गया इन्फ्रास्ट्रक्चर, तो मैं समझता हूं कि कुल मिलाकर बहुत अच्छा रहा।



सवाल न. 5- केन्द्र सरकार की मदद की बता करें तो राज्य के हिस्से का जो करीब 11 हजार करोड़ से ज्यादा का बाकी है, मिल पा रहा है, क्या कहेंगे?

जवाब- वो आंकडे तो सबको मालूम हैं, कोई छिपा नहीं सकता. आज राज्यों को मिलने वाला जीएसटी का पैसा रुक गया है. कोविड का मुकाबला कौन कर रहा है, राज्य सरकारें कर रही हैं और वो पैसा रुका हुआ है, तो तकलीफ तो राज्यों को हो रही है ना. पूरा वित्तीय प्रबंधन गड़बड़ा रहा है, रेवेन्यू ध्वस्त हो गया है, हालांकि केंद्र की भी कम हुई है राज्यों की भी कम हुई है पर केंद्र के पास तो आरबीआई भी है अधिकार हैं नोट छापने के, राज्यों के पास क्या है? तो केंद्र को आगे आकर राज्यों के क्या माली हालत हैं देखना चाहिए, इम्दाद करनी चाहिए। किसानों को जो ये संघर्ष करना पड़ रहा है, ये नौबत बुलाई क्यों केंद्र ने? अगर वो सबसे बातचीत कर लेते किसान नेताओं से, पार्लियामेंट में डिस्कशन हो जाता ढंग से, तो ये नौबत ही नहीं आती। आज कितना, पूरा मुल्क ही नहीं पूरी दुनिया के मुल्कों के अंदर इस आन्दोलन को लेकर जो प्रदर्शन हो रहे हैं, रैलियां हो रही हैं, वो हम सबके लिए चिंता का विषय होना चाहिए।